अहमदाबाद की सहारा सिटी 464 करोड़ रुपए में बिकी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 जून 2014

अहमदाबाद की सहारा सिटी 464 करोड़ रुपए में बिकी

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा को जेल से बाहर निकालने के लिए आवश्‍यक जमानत राशि का इंतजाम करने के लिए सहारा समूह ने अपनी संपत्तियों की बिक्री शुरू कर दी है। सहारा ने अहमदाबाद के सहारा सिटी रेजीडेंशियल प्रोजेक्‍ट की 4.21 लाख वर्ग मीटर जमीन एक स्‍थानीय डेवलपर को 464 करोड़ रुपए में बेच दी है।

एचएन सफल के मालिक धीरेन वोरा ने बताया कि उन्‍होंने सहारा सिटी प्रोजेक्‍ट को 464 करोड़ रुपए में खरीदा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार यह राशि सेबी द्वारा प्रबंधित सहारा के बैंक एकाउंट में जमा करा दी गई है। सहारा समूह ने भोपाल के नजदीक शेला गांव में कुछ साल पहले सहारा सिटी रेजीडेंशियल प्रोजेक्‍ट लांच किया था। हालांकि इसके अधिकांश ग्राहकों  ने शिकायत की है कि पूरा भुगतान करने के बावजूद सहारा ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं और मकान का पजेशन भी नहीं दिया है।


सहारा मामले से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

1. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2008 में सहारा इंडिया फाइनेंनशियल कॉरपोरेशन पर नया फंड एकत्रित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

2. सहारा ने अपनी दो नई इकाई, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग के जरिए नया फंड इकट्टठा करने की तैयारी की और इसकी इजाजत उसे रेजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से मिल गई।

3. दोनों नई इकाइयों को फंड जुटाने की ईजाजत देने के चलते रेजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की भूमिका पर सवालिया निशान लगा, क्योंकि उसने बिना किसी नेट वर्थ (कुल पूंजि) की इन दोनों कंपनियों को लगभग 20,000 करोड़ रुपए का फंड जुटाने की इजाजत दे दी।

4. सहारा ने लगभग 3 करोड़ निवेशकों से पैसा लिया, जबकि सेबी के नियम के मुताबिक 50 से ज्यादा लोगों से पैसे लेने के लिए उसे सेबी से इजाजत लेनी चाहिए थी। इसके साथ इतनी बड़ी स्कीम को सहारा ने समय सीमा में नहीं बांधा और इसे 10 साल तक जारी ऱखा जबकि सेबी के नियम के मुताबिक इन स्कीमों को 6 हफ्ते में बंद कर देना चाहीए था।

5. सहारा ने सहारा प्राइम सिटी के लिए फंड जुटाने के लिए स्टॉक मार्केट का दरवाजा खटखटाया। इसके लिए उसे रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस जारी करना पड़ा और इसी के बाद इस घोटाले की भनक के एम अब्राहम को लगी और मामला पकड़ में आया।

6. आगे जांच करने पर के एम अब्राहम ने पाया कि सहारा अपने निवेशकों की पहचान का कोई ब्यौरा नहीं रख रहा औऱ इसी पर सवाल खड़ा हुआ कि वह किन निवेशकों को पैसा वापस करेगा जबकि उसके पास ऐसी कोई सूची नहीं है।

7. सेबी ने पाया कि सहारा ने जिन दो कंपनियों के नाम पर फंड जुटाए उसके लिए निवेशकों से चेक भुगतान तीसरी फर्म सहारा इंडिया के नाम से लिया।

8. जब 2011 में सेबी ने मामले को उठाया, तब सहारा सिक्योरिटी एपिलेट ट्राइब्यूनल पहुंच गया लेकिन वहां पर सेबी के आरोप सही पाए गए।

9. इसके बाद सहारा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन अगस्त 2012 में कोर्ट ने सहारा को सभी निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपए 90 दिनों में वापस लौटाने का फैसला दिया।
इसके बाद सहारा ने कोर्ट में झूठा हलफनामा दिया कि उसने सभी निवेशकों को पैसे लोटा दिए है और महज 5000 करोड़ रुपए देना बचा है।

10. इस हलफनामें से सुप्रीम कोर्ट ने सहारा पर सख्त रुख ले लिया और तुरंत सुब्रत राय समेत कंपनी के दो डायरेक्टरों को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने सहारा को मामले को कानूनी दांव पेंच में फसाने का भी आरोप लगाया औऱ आदेश में कहा कि जबतक सहारा निवेशकों का पैसा सेबी के पास जमा नहीं कराता किसी को भी जमानत नहीं दी जाएगी।

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