लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद जदयू में भड़की बगावत की आग लगातार सुलग रही है। इसकी वजह से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और जीतन राम मांझी नए सीएम बनाए गए। मांझी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार के बाद जदयू में भड़की नाराजगी की ज्वाला और धधकी। अब इसने नीतीश कुमार को अपने लपेटे में ले लिया है। शुक्रवार को बागियों की जमात में चार नए विधायक शामिल हो गए। विधायकों ने ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू की अगुआई में सीधे नीतीश को निशाने पर ले लिया।
ज्ञानू, पूनम देवी, मदन सहनी, रविंद्र राय और राजू सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जदयू की फजीहत का एकमात्र जिम्मेदार नीतीश का 'अहंकार' है। नीतीश ने बिना किसी से पूछे भाजपा से रिश्ता तोड़ा। नतीजा जनता ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। प्रेस कांफ्रेंस से पहले विधायकों ने पूनम के घर बैठक की। बागियों का दावा है कि पार्टी के 50 विधायक उनके साथ हैं और वे सभी शरद यादव के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। बागी विधायकों ने स्पष्ट कर दिया कि अगर पार्टी नहीं मानती है तो जरूरत पड़ी तो वे नई पार्टी भी बना सकते हैं या राज्यसभा चुनाव में जदयू को परेशानी में भी डाल सकते हैं। नीतीश ने जीतन राम मांझी जैसे सीधे-सादे महादलित को बलि का बकरा बना कर रख दिया।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही नाराज चल रहे विधान पार्षद नीरज कुमार और संजय सिंह आखिरकार ठंडे पड़ गए। शुक्रवार को दोनों नेताओं को पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अलग-अलग बुला कर बात की। सूत्रों के अनुसार नीरज ने नीतीश को बताया कि विधान परिषद के चुनाव के दौरान एक नेता ने उन्हें हराने की कोशिश की, लेकिन पार्टी ने कार्रवाई करने की बजाए उसे मंत्री बना दिया। इसका उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। चर्चा है कि संजय ने नीतीश से पार्टी में कद छोटा किए जाने पर शिकायत दर्ज कराई है। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वे खुद को जनता से ऊपर समझ रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को तो वे अपना स्टाफ समझते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें