बात अपने जीवन में सफलता पाने की हो या सार्वजनिक जीवन को उपादेय बनाने की, सामाजिक और राष्ट्रीय फलकों की हो या फिर वैश्विक छवि निर्माण से लेकर उल्लेखनीय और उत्कृष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति की, हर मामले में उन लोगों की भूमिका प्रभावी और निर्णायक होती है जो हमारे साथ रहते हैं या जिनका हमें साथ मिलता है।
ये सलाहकार ही हैं जो हमारे कर्मयोग को वो आयाम दे सकते हैं जिनसे कि हमारा यश और प्रतिष्ठा का ग्राफ अपने उच्चतम आकार और शिखर तय करता है। भारतीय संस्कृति और इतिहास से लेकर विश्व समुदाय की ऎतिहासिक पृष्ठभूमि का समग्र चिंतन करें तो यह स्पष्ट होता है कि जिन लोगों के साथ विलक्षण मेधा-प्रज्ञा वाले, कुशाग्र बुद्धि वाले अनुभवी, अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ और चिंतक रहे, उन लोगों ने विश्वविजयी व्यक्तित्व पाया और जन हित, राष्ट्रहित एवं विश्व कल्याण का ऎसा इतिहास कायम किया कि जो आज तक पूरी श्रद्धा और आदर के साथ याद किया जाता है।
इन लोगों ने कभी भी अपने आपको सभी विषयों का ज्ञाता या सर्वज्ञ-त्रिकालज्ञ नहीं माना, न अपने आपको प्रभु या संप्रभु के रूप में स्थापित किया, बल्कि सभी विषयों के विद्वानों और अनुभवियों की टीम को पूरा आदर-सम्मान दिया, समाज और राष्ट्र हित में उनके विलक्षण ज्ञान और सुदीर्घ अनुभवों का भरपूर उपयोग किया और इन सभी को आधार मानकर अपने आपको इतने उच्चतम व सर्वोत्तम शिखर पर स्थापित किया कि आज भी हम इनका गुणगान करते नहीं थकते। सदियां और युग बीत गए पर उन लोगों के यश और कामों की सुगंध आज भी पूरे वेग के साथ बहती है।
जो लोग आगे बढ़ना चाहते हैं, भीड़ से अपने आपको अलग दिखाने के इच्छुक हैं, जग में नाम करना चाहते हैं उनके लिए यह जरूरी है कि वे श्रेष्ठतम बुद्धिजीवियों के समूहों को सलाहकार बनाएं तथा उनकी राय से काम करें। यही समूह स्वामीभक्त भी होता है और सही एवं सटीक राय देने वाला भी। ज्ञानी और अनुभवियों की सबसे बड़ी विशेषता यह भी है कि वे सही बात पूरी स्पष्टता के साथ कहने में कभी हिचकते नहीं क्योंकि उनके लिए समाज और देश सर्वोपरि होता है और ऎसे में वे वही बात कहते हैं जो समाज, क्षेत्र एवं देश के हित में हो। झूठी वाहवाही और अन्तरंगता पाने के लिए वे भरमाने वाली बात कभी नहीं करते।
ज्ञानियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी सच्ची और कड़वी बात से कोई नाराज हो जाएगा तो प्रतिष्ठा एवं पद छीन लिए जाएंगे या कि अपनी ठेकेदारी और धंधे बंद हो जाएंगे। इस मामले में इन विलक्षण बौद्धिक सम्पदा से भरपूर लोगों का स्वाभिमान दूसरे सारे लोगों के मुकाबले कहीं अधिक होता है।,
अच्छे और सच्चे सलाहकार वे ही हो सकते हैं जो बाहर की हवाओं और हलचलों से समय-समय पर वाकिफ भी कराते रहें और सत्य का भान भी कराते रहें। श्रेष्ठ और उच्च आदर्शों तथा उच्चतम लक्ष्यों को सामने रखने वाले लोग अपने साथ ऎसे ही सलाहकारों को रखा करते हैं जो हर दृष्टि से योग्यतम और बुद्धि तथा अनुभवों की कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरे हुए हों। यही कारण है कि इन लोगों को सफलता के साथ लक्ष्यों की प्राप्ति आसान होती चली जाती है।
आजकल सलाहकारों का संकट नही हैं, खूब सारे सलाहकारों और रायचन्दों का कुंभ हर कहीं उमड़ा हुआ है लेकिन संकट यह है कि ये लोग सलाहकारों की खाल में चमचागिरी और चापलूसी का काम ही कर रहे हैं। सलाह देना तो ये लोग भूल गए हैं, उलटे किसे किस प्रकार भरमाते हुए अपने उल्लू सीधे किए जाएं, इसमें इन्होंने महारत हासिल कर ली है। फिर जिनके ये खास या सलाहकार कहें जाते हैं वे लोग भी इन्हीं की तरह हैं।
उन्हें न सच से मतलब हो ता है, न समुदाय से, न किसी की अच्छाई से। फिर अब सलाहकारों की जो खेप आ रही है उसमें भी कौन से बुद्धिजीवी, ज्ञानी और अनुभवी हैं, सारे के सारे वे लोग हुआ करते हैं जिनके अपने-अपने जाने कितने सारे धंधे होते हैं। कुछ धंधे दिखते हैं, बाकी के बारे में रहस्य हमेशा बना रहता है।
कई सारे बड़े-बड़े लोगों का इतिहास यही रहा है कि वे थे तो अच्छे आदमी मगर चापलुसों और चमचों से घिरे रहने तथा अपनी ही अपनी बड़ाई सुनते रहने के आदी होने की वजह से इनका ऎसा पराभव हुआ कि वे बाद में गुमनामी के अंधकार में खो ही गए या फिर बदनामी के बवण्डर में फंसकर रह गए। आज कोई इनका नाम तक लेना पसंद नहीं करता या फिर नाम लेते हुए भी घिन आती है।
अपने जमाने के इन बड़े रहे लोगों को दो-चार साल में ही लोग इस कदर भुला देते हैं कि फिर जब कभी इनका नाम या संदर्भ भी कोई पूछता है तो दिमाग पर जोर लगाना पड़ता है तब कहीं इनका नाम जुबाँ पर आ पाता है। सिर्फ नालायक और स्वार्थी सलाहकारों के ही कारण कितने सारे लोगों की मिट्टी पलीत हो गई, यह सभी जानते हैं। अच्छे और योग्य सलाहकार उन्हीं के साथ रहते हैं जो अच्छे इंसान होते हैं। इसके विपरीत अधिकांश लोगों के साथ वे लोग ही चिपके रहते हैं जो किसी न किसी तरह की चाशनी या शहद के शौकीन होते हैं । ऎसे लोग अपने लाभ के लिए किसी के साथ भी हो जाते हैं। इनका न कोई जमीर होता है न सिद्धातों और स्वामीभक्ति की कोई जमीन।
किसी भी बड़े इंसान के बारे में सटीक भविष्यवाणी करनी हो तो इसके लिए उन लोगों को देख लेना चाहिए जो इनके साथ रहते हैं। इन साथ वालों और सलाहकारों के चरित्र और चाल-चलन के आधार पर स्पष्ट और सही भविष्य आसानी से बताया जा सकता है। जो डूब गए, बरबाद हो गए वे आज भी अपने साथ वालों को ही सारा दोष देते हैं, जो तर गए हैं वे हमेशा ध्यान रखते हैं कि हमारे साथ चापलुस और चमचों की बजाय बुद्धिजीवी, ज्ञानी और अनुभवी हमेशा बने रहने चाहिएं।
---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com
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