सिजवाहा पंचायत सचिव को अतिरिक्त प्रभार
छतरपुर/10 जून/कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने जनपद पंचायत बड़ामलहरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत कायन के सचिव अभिषेक जैन के निलंबित हो जाने पर तत्काल प्रभाव से सिजवाहा पंचायत के सचिव भागीरथ लोधी को कायन ग्राम पंचायत का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
मंत्री उमाशंकर गुप्ता 12 को आयेंगे
छतरपुर/10 जून/प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता 12 जून को सायं साढ़े 4 बजे दमोह से कार द्वारा प्रस्थान कर रात्रि 8 बजे छतरपुर सर्किट हाउस छतरपुर आयेंगे। मंत्री श्री गुप्ता स्थानीय संस्कार वाटिका में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर रात्रि साढ़े 9 बजे कार द्वारा झांसी के लिये प्रस्थान करेंगे।
कलेक्टर ने की जनसुनवाई, सैकड़ों आवेदकों की समस्याओं का हुआ निराकरण
छतरपुर/10 जून/राज्य शासन के निर्देशानुसार प्रति मंगलवार को जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में आज कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने जिला पंचायत सभाकक्ष में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुये आवेदकों की समस्याओं का निराकरण करने के उद्देश्य से जनसुनवाई की। भीषण गर्मी की परवाह किये बगैर जनसुनवाई में सैकड़ों आवेदक अपनी समस्याओं को लेकर उपस्थित हुये। कलेक्टर डाॅ. अख्तर ने सभी आवेदकों की समस्याओं को बड़े इत्मिनान से सुना एवं उनका निराकरण किया। उन्होंने आवेदकों को आश्वासन देते हुये कहा कि जिन आवेदकों की समस्यायें मौके पर निराकृत नहीं हो पा रही हैं, उनका निराकरण शीघ्र कराया जायेगा। उन्होंने आवेदकों से प्राप्त आवेदनों को संबंधित विभागों के अधिकारियों को सौंपते हुये शीघ्र निराकृत करने के निर्देश दिये। जनसुनवाई में लोग मुख्यतः बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक न्याय, पंचायत व ग्रामीण विकास एवं राजस्व विभाग से संबंधित शिकायतें लेकर उपस्थित हुये। इस अवसर पर अतिरिक्त सीईओ श्री ए बी खरे, डिप्टी कलेक्टर श्री रविन्द्र चैकसे, जिला शिक्षा अधिकारी श्री एस एन तिवारी सहित अन्य जिलाधिकारी उपस्थित थे।
शिक्षकों को 11 जून से शाला में उपस्थिति देने के निर्देश
छतरपुर/10 जून/लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों हेतु 1 मई से 14 जून 2014 तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया गया था, किंतु स्कूल चलें हम अभियान से संबंधित गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन हेतु अब कक्षा 1 से 12 तक के शिक्षकों को 11 जून से अपनी उपस्थिति विद्यालय में देने के निर्देश दिये गये हैं। अवकाश की शेष रही अवधि के लिये शिक्षकों को नियमानुसार अर्जित अवकाश की पात्रता होगी।
मध्यान्ह भोजन में लापरवाही न करें
छतरपुर/10 जून/मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत डाॅ. सतेन्द्र सिंह द्वारा मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत जिले के प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में कार्यरत मध्यान्ह भोजन एजेन्सी को निर्देश जारी किये गये हैं कि 16 जून 2014 से स्कूूल चले अभियान, अंतर्गत शालाओं का सघन निरीक्षण किया जायेगा एवं मध्यान्ह भोजन कार्य में लापरवाही करने वाली एजेन्सी के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। समस्त लीड प्रभारियों को डाॅ सतेन्द्र सिंह मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि जिन मध्यान्ह भोजन एजेन्सियों को कार्यालय द्वारा खाद्यान्न वितरण कार्ड उपलब्ध है, उन्हें ही खाद्यान्न वितरण किया जाये एवं जिन एजेन्सियांे को खाद्यान्न कार्ड प्राप्त नहीं हुए हैं, वे तत्काल प्रभारी अधिकारी मध्यान्ह भोजन जिला पंचायत छतरपुर से खाद्यान्न वितरण कार्ड प्राप्त करें एवं कार्यवाही सुनिश्चित करें।
शैक्षणिक सत्र 2014-15 हेतु खाद्यान्न जारी
छतरपुर/10 जून/जिला पंचायत सीईओ डाॅ. सतेन्द्र सिंह ने जानकारी दी है कि आगामी 16 जून से नवीन शैक्षणिक सत्र 2014-15 प्रारंभ हो जायेगा। नये सत्र में नियमित मीनू अनुसार एवं गुणवतता पूर्ण मध्यान्ह भोजन का वितरण करने के उद्देश्य से माह जून 2014 का खाद्यान्न जारी किया गया है। प्राथमिक शाला हेतु 100 ग्राम प्रति छात्र के मान से 1 हजार 495 क्विं 29 किग्रा गेहूं एवं 488 क्विं चावल तथा माध्यमिक शाला हेतु 150 ग्राम प्रति छात्र के मान से 1 हजार 185 क्विं 29 किग्रा गेहूं एवं 355 क्विं 59 किग्रा चावल का आवंटन जारी किया गया है। इसी तरह प्राथमिक शाला हेतु प्रति छात्र 3 रूपये 34 पैसे के मान से 65 लाख 32 हजार 179 रूपये की राशि एवं माध्यमिक शाला हेतु प्रति छात्र 5 रूपये के मान से 51 लाख 24 हजार 194 रूपये की राशि शाला में कार्यरत एजेंसी के खातों में अंतरित की जा रही है।
बहुत सुना है, बेटी बचाओं, कोई तो मेरी बिटियां की जान बचायेे
मध्यप्रदेष के बुदेलखण्ड मे छतरपुर जिले के बक्सवाहा ब्लाक मे वीरमपुरा गांव जो अपनी अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान दर्ज करा चुका है, यहां रियो टिन्टो नामक कंपनी जो हीरे की तलाष मे भारत आकर हीरे की खोज हेतु प्रयोग शाला बनाकर कार्य कर रहै है। वही एक गरीब परिवार मीना रजक बालिका, (उम्र 7 माह) के इलाज के लिए अस्पताल तलाष रही हैं सवाल? यह नही की अस्पताल नही, सवाल यह है? कि अस्पतालों की वर्तमान व्यवस्था के चलते बालक ठीक हो पायेगा? चर्चा से यह बात सामने आई कि मीना कि माॅं रेखा रजक व पिता अनिल रजक का कहना है, कि उनका पहला बच्चा भी इसी तरह की गभीर बीमारी से ग्रसित हो गया था। मीना के परिवार की सैंकडांे कोषिष और शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों मे अनुमानित 60 से 70 हजार रूपये खर्च कर दिये, लेकिन बच्चे की मृत्यु हो गई, डांक्टर का कहना है कि रेखा रजक मीना की माॅ अब आगामी समय मे किसी बच्चे को जन्म नही दे सकती है। बेटे के इलाज मे पैसे तो खर्च कर दिये लेकिन परिवार कर्ज के बोझ से लद गया। मीना के जन्म के दौरान दमोह के एक प्राइवेट अस्पताल मे डिलेवरी पर 30 हजार रूपये खर्च हुये। एक मजदूर परिवार जो वमुष्किल अपनी अजीविका चला रहा हो उस पर कर्ज का कमर तोड़ बोझ है, आगे मीना के इलाज के लिए परिवार के पास कोई पैसा नही है, और परिवार बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है मध्यप्रदेष पोषण परियोजना के अंर्तगत राजेष यादव ब्लाक समन्वक बक्सवाहा के द्वारा परिवार को परियोजना से अवगत कराते हुए, उचित परामर्ष कर बमुष्किल बच्चें का इलाज कराने के लिए तैयार किया गया। और यह समझाईष दी, कि हर बीमारी का इलाज संभव है बषर्ते वह बच्चे की देखभाल ठीक से करें ताकि इलाज के दौरान बच्चा कमजोर न हो इतना ही नही ”समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र” के ब्लाक मेडीकल आफिसर डांॅक्टर एल.एल. अहिरवार और पोषण पुर्नवास केन्द्र की प्रभारी डांॅ. मधुलिका अहिरवार के द्वारा बालिका को जिला चिकित्सालय मे इलाज के लिए रेफर किया गया है। जिला चिकित्सालय मे बालिका के प्राथमिक उपचार की शुरूआत की बालिका की गंभीर बीमारी का पता लगाने हेतु डांक्टर द्वारा सोनोग्राफी एवं एक्सरे लिये जैसा कि पूर्व मे चर्चा के अनुसार पाया कि उस परिवार के पास इलाज के लिये कोई पैसे नही अब सरकारी अस्पतालों मे भी प्राईवेट जांचे कराई जा रही है। एक दिन मे 3000 हजार खर्च करने के बाद परिवार ने ततकालिन डांक्टर से इलाज पर ज्यादा खर्च होने और मुक्त मे इलाज की मांग की तो डां. ने खरी खोटी सुना दी और दूसरे अस्पताल मे इलाज कराने कि सलाह दे दी । पैसों के अभाव के कारण परिवार इजाल न कराकर घर वापिस आ गये। जबकि नियम की बातंे करे तो, बी.पी.एल/दीनदयाल उपचार योजना के अंतर्गत और बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इलाज संभव था। यह है कि ब्लाक एवं जिला स्तर पर राजेष यादव ब्लाक समन्वक बक्सवाहा द्वारा बच्चे का इलाज सुनिश्चित करने हेतु निरन्तर प्रयासरत है। मै बहद दुखी है, अब मेरे घर मे कोई संतान जन्म नही ले सकती, एक तरफ मेरी बेटी को मे तिल-तिल मरते देख रहा हूॅ, दूसरी तरफ पत्नि की बुरी हालत और आर्थिक बेवसी मेरे परिवार को खत्म कर देगी, मैने बहुत सुना है बेटी बचाओं मे आषा करता हॅू कि कोई तो मेरी बिटियां की जान बचाये : पिता- अनिल रजक
डांक्टर रितिका शुक्ला का कहना है कि मीना रजक की स्थिति गंभीर है बालिका को हाइड्रो सिलकिोन बीमारी ज्ञात होती है, किसी बिषेषज्ञ या न्यूरो सर्जन के द्वारा ही इलाज संभव है, और खर्च भी अधिक हो सकता है।
बहुत सुना है, बेटी बचाओं, कोई तो मेरी बिटियां की जान बचायेे
मध्यप्रदेष के बुदेलखण्ड मे छतरपुर जिले के बक्सवाहा ब्लाक मे वीरमपुरा गांव जो अपनी अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान दर्ज करा चुका है, यहां रियो टिन्टो नामक कंपनी जो हीरे की तलाष मे भारत आकर हीरे की खोज हेतु प्रयोग शाला बनाकर कार्य कर रहै है। वही एक गरीब परिवार मीना रजक बालिका, (उम्र 7 माह) के इलाज के लिए अस्पताल तलाष रही हैं सवाल? यह नही की अस्पताल नही, सवाल यह है? कि अस्पतालों की वर्तमान व्यवस्था के चलते बालक ठीक हो पायेगा? चर्चा से यह बात सामने आई कि मीना कि माॅं रेखा रजक व पिता अनिल रजक का कहना है, कि उनका पहला बच्चा भी इसी तरह की गभीर बीमारी से ग्रसित हो गया था। मीना के परिवार की सैंकडांे कोषिष और शासकीय एवं प्राइवेट अस्पतालों मे अनुमानित 60 से 70 हजार रूपये खर्च कर दिये, लेकिन बच्चे की मृत्यु हो गई, डांक्टर का कहना है कि रेखा रजक मीना की माॅ अब आगामी समय मे किसी बच्चे को जन्म नही दे सकती है। बेटे के इलाज मे पैसे तो खर्च कर दिये लेकिन परिवार कर्ज के बोझ से लद गया। मीना के जन्म के दौरान दमोह के एक प्राइवेट अस्पताल मे डिलेवरी पर 30 हजार रूपये खर्च हुये। एक मजदूर परिवार जो वमुष्किल अपनी अजीविका चला रहा हो उस पर कर्ज का कमर तोड़ बोझ है, आगे मीना के इलाज के लिए परिवार के पास कोई पैसा नही है, और परिवार बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है मध्यप्रदेष पोषण परियोजना के अंर्तगत राजेष यादव ब्लाक समन्वक बक्सवाहा के द्वारा परिवार को परियोजना से अवगत कराते हुए, उचित परामर्ष कर बमुष्किल बच्चें का इलाज कराने के लिए तैयार किया गया। और यह समझाईष दी, कि हर बीमारी का इलाज संभव है बषर्ते वह बच्चे की देखभाल ठीक से करें ताकि इलाज के दौरान बच्चा कमजोर न हो इतना ही नही ”समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र” के ब्लाक मेडीकल आफिसर डांॅक्टर एल.एल. अहिरवार और पोषण पुर्नवास केन्द्र की प्रभारी डांॅ. मधुलिका अहिरवार के द्वारा बालिका को जिला चिकित्सालय मे इलाज के लिए रेफर किया गया है। जिला चिकित्सालय मे बालिका के प्राथमिक उपचार की शुरूआत की बालिका की गंभीर बीमारी का पता लगाने हेतु डांक्टर द्वारा सोनोग्राफी एवं एक्सरे लिये जैसा कि पूर्व मे चर्चा के अनुसार पाया कि उस परिवार के पास इलाज के लिये कोई पैसे नही अब सरकारी अस्पतालों मे भी प्राईवेट जांचे कराई जा रही है। एक दिन मे 3000 हजार खर्च करने के बाद परिवार ने ततकालिन डांक्टर से इलाज पर ज्यादा खर्च होने और मुक्त मे इलाज की मांग की तो डां. ने खरी खोटी सुना दी और दूसरे अस्पताल मे इलाज कराने कि सलाह दे दी । पैसों के अभाव के कारण परिवार इजाल न कराकर घर वापिस आ गये। जबकि नियम की बातंे करे तो, बी.पी.एल/दीनदयाल उपचार योजना के अंतर्गत और बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इलाज संभव था। यह है कि ब्लाक एवं जिला स्तर पर राजेष यादव ब्लाक समन्वक बक्सवाहा द्वारा बच्चे का इलाज सुनिश्चित करने हेतु निरन्तर प्रयासरत है। मै बहद दुखी है, अब मेरे घर मे कोई संतान जन्म नही ले सकती, एक तरफ मेरी बेटी को मे तिल-तिल मरते देख रहा हूॅ, दूसरी तरफ पत्नि की बुरी हालत और आर्थिक बेवसी मेरे परिवार को खत्म कर देगी, मैने बहुत सुना है बेटी बचाओं मे आषा करता हॅू कि कोई तो मेरी बिटियां की जान बचाये : पिता- अनिल रजक
डांक्टर रितिका शुक्ला का कहना है कि मीना रजक की स्थिति गंभीर है बालिका को हाइड्रो सिलकिोन बीमारी ज्ञात होती है, किसी बिषेषज्ञ या न्यूरो सर्जन के द्वारा ही इलाज संभव है, और खर्च भी अधिक हो सकता है।
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