दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि दुष्कर्म की वारदात में वृद्धि के पीछे लिव-इन रिश्तों की विफलता या युवाओं का रिश्ते का अंत करने वाले वादों के प्रति अपरिपक्व व्यवहार जिम्मेवार है। न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की पीठ ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में कहा है कि लड़के और लड़कियों को विवाह जैसे अत्यंत दिखावटी नैतिकता वाले रिश्ते या यहां तक कि लिव-इन रिश्ता बनाने जैसे जीवन से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले को लेते समय बेहद सावधान रहना होगा।
अदालत ने कहा, "दुष्कर्म के मामले में वृद्धि के पीछे लिव इन रिश्तों की विफलता या युवाओं द्वारा लिया गया कोई अपरिपक्व फैसला जिसकी परिणति बहुधा रिश्तों के अंत के रूप में सामने आता है, कारण है। कई बार शारीरिक संबंध बनने के बाद रिश्ते टूटते हैं।"
अदालत ने यह नजरिया एक लड़की के पिता सहित परिवार के चार सदस्यों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकारार रखते हुए दिया। लड़की के परिवार को उसके प्रेमी के साथ संबंध को स्वीकार नहीं था, इसलिए अक्टूबर 2006 में प्रेमी की हत्या कर दी। घटना पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में घटी।
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