बिहार : अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर में मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 जून 2014

बिहार : अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर में मीनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता

food in hospital bihar
दानापुर। कल्याणकारी सरकार के द्वारा नागरिकों की सेवा की जाती है। अपने नागरिकों की हित और ख्याल में योजनाएं बनायी जाती है। गर्भधारण के बाद गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केन्द्र से पोष्ट्रिक आहार दिया जाता है। जब संस्थागत प्रसव कराने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अथवा अनुमंडल अस्पताल में प्रसूता जाती हैं। तो वहां भी भोजन देने की व्यवस्था की जाती है। वक्त के अनुसार सरकार पारदर्शिता के आधार पर जगह-जगह दीवार पर लिखकर बताया जाताा है। यहां पर आपको भोजन देने की व्यवस्था है। इसके लिए अनुमंडलीय अस्पताल, दानापुर के उपाधीक्षक डा. देवेन्द्र कुमार सिंह के द्वारा बाजाप्ता मीनू भी निर्धारित कर दिया जाता है।मगर मीनू के अनुसार भोजन मिलता ही नहीं है।आप कागज में लपेटे सूखी रोटी और सब्जी को देखकर शरमा जाएंगे!

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मीनू के अनुसार सुबह का नास्ता 7ः00 से 9ः00 बजे तक पावरोटी 4 पीस, उबला अंडा 1 और दूध टोडा पैक 25 मिली देना है। दोपहर का भोजन 12ः00 से 2ः00 बजे तक उबले चावल 125 गा्रम,दाल-50 ग्राम,सब्जी 120 ग्राम एवं दही-100 ग्राम देना है। शाम का नास्ता 4ः00 से 5ः00 बजे तक ग्लुकोज बिस्कुट-2 एवं चाय एक कम मिलना है। रात का भोजन 8ः00 से 9ः00 बजे तक चार चपाती-120 ग्राम, दाल-50 गा्रम, सब्जी-100 ग्राम और फल मौसम के अनुसार मिलना है।

जरा आप इस बोलती तस्वीर को देख लें। मीनू के अनुसार रात में चार चपाती-120 ग्राम, दाल-50 ग्राम, सब्जी-100 ग्राम और मौसमी फल मिलना है। आप खुद ही तय कर लें कि क्या मीनू के अनुसार प्रसूता को भोजन दिया जा रहा है? अगर आप स्वास्थ्यकर्मी हैं तो सरकार के पक्ष में मीनू के अनुसार मिलने वाले सामग्री बताकर पल्ला झार लेंगे। अगर सही मायने में बयान करेंगे तो आपको खुद ही निर्णय लेने को कहकर मुंह पर ताला जकड़ लेंगे। आखिर कहां है 50 ग्राम दाल और मौसमी फल। दूरदूर नजर नहीं आ रही है। आप ढूढ़ते रह जाएंगे।

जब जच्चा-बच्चा वार्ड के खिदमद करने गए परिवार वालों से बातचीत की गयी।तब काफी निराशा लगा। यह तो हाथी के दिखाने वाला दांत साबित हुआ। भाई साहब, सुबह का नास्ता को 10 बजे दिया जाता है। वह भी खिचड़ी थमा दिया जाता है। अंडा तो गोल ही है। दोपहर और शाम का नास्ता तो नजर ही नहीं आता है। 




आलोक कुमार
बिहार 

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