हिमाचल प्रदेश में रविवार को ब्यास नदी हादसे में बचे एक व्यक्ति ने सोमवार को बताया कि कैसे नदी सेकेंड भर में 'पानी की कब्र' में तब्दील हो गई। इस हादसे में हैदराबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज के 26 छात्र बह गए थे। हादसे में जीवित बचने वालों में से एक वी.एन.आर. विग्नाना ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी संकाय के सदस्य किरण ने बताया, "सेकंड के एक अंश के भीतर शांत नदी पानी की कब्र में तब्दील हो गई।" ब्यास नदी में आई तेज उफान के बाद इंस्टीट्यूट के छह छात्राओं समेत कम से कम 24 विद्यार्थियों के लापता होने की सूचना मिली थी।
सोमवार को अधिकारियों ने कहा कि हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से नदी में पानी छोड़े जाने के बाद दुर्भाग्य से बह गए 19 लोगों का अभी पता नहीं चला है, जबकि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से पांच शवों को बरामद कर लिया गया है। जीवित बचने वाले अधिकांश लोग मैदानी इलाकों से ताल्लुक रखते हैं। सोमवार को उन्होंने बताया कि हादसे के बाद वे चकित थे, क्योंकि उन्हें बचाकर बाहर निकालने वाला स्थानीय प्रशासन से वहां कोई मौजूद नहीं था। हादसे में बची छात्रा किरण ने बताया कि छात्र मनाली के रास्ते में नदी के किनारे तस्वीरें खींच रहे थे कि अचानक यह हादसा हो गया।
जीवित बचे एक दूसरे व्यक्ति रवि ने कहा, "पानी का स्तर अचानक पांच से छह फीट ऊंचा हो गया जिसमें छात्र बह गए।" उन्होंने कहा जिला प्रशासन की तरफ से घंटों कोई मदद करने नहीं आया। भावुक होकर कुमार ने कहा, "अगर प्रशासन तत्काल हरकत में आती, तो 10 से 15 जानें बचाई जा सकती थीं।" उनके अनुसार, पर्यटकों को पानी में न जाने की चेतावनी के लिए वहां कोई बोर्ड नहीं लगा था। कुमार ने कहा, "पानी में जाने से पहले हमलोगों ने स्थानीय लोगों से पूछा था, तो उन्होंने हामी भरी। जब यह हादसा हुआ, तो हमारी मदद की जगह वे हमलोगों पर ही चिल्लाने लगे।" जीवित बचे एक और व्यक्ति रवि ने बताया कि अंधेरे के कारण तलाशी अभियान में बाधा आई। "सर्चलाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। घटना के लगभग 12 घंटे बाद तलाशी अभियान शुरू हुआ।"
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