अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा देने के बारे में चीन के रुख पर भारत ने शुक्रवार को कड़ा प्रतिरोध जताया। चीन ने कह था कि 'सद्भावना के तहत' अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा दिया जाता है। भारत ने कहा कि 'वीजा अर्जी पर अधिवास या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।'
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के इस बयान पर कि बीजिंग ने 'सद्भाव के तौर पर' अरुणाचल प्रदेश के लोगों को नत्थी वीजा देने का फैसला लिया है, एक दिन बाद भारत की विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा, "..वीजा आवेदन करने वालों के साथ अधिवास या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। आखिरकार हम सभी एक ही तरह के लोग हैं।" अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना हिस्सा मानता है। उन्होंने कहा, "आखिरकार हम सभी एक ही तरह के लोग हैं। यही तर्क हम लगातार (चीन के सामने) देते चले आ रहे हैं।"
सुजाता सिंह नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में वांग की टिप्पणी पर पूछे गए सवालों का जवाब दे रही थीं। वांग ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि भारत का 'पूर्व क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश) सापेक्षिक रूप से बड़ा है और विवादित है। यह एक वस्तुगत तथ्य है। लेकिन वहां रहने वाले लोगों को एक दूसरे के संपर्क में आने की जरूरत है और स्थानीय लोगों की यात्रा की आवश्यकता को हल करने के लिए हमने नत्थी वीजा की एक विशेष व्यवस्था बहाल की है।..यह सद्भावना और लचीलापन है।'
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