प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय नौसेना के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रमादित्य को देश को सौंप दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत किसी को आंख दिखाने के पक्ष में नहीं है लेकिन हम किसी के आगे आंख भी नहीं झुकाएंगे। नौसैनिकों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'सेना में 'वन रैंक-वन पेंशन' योजना लागू करने के साथ ही देश में युद्ध स्मारकों का निर्माण होगा। बदलते समय में देश की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं जिसमें नौसेना का महत्व बढ़ा है।'
इससे पहले मोदी जब युद्धपोत पर पहुंचे थे तो वह उस पर मौजूद मिग-29के लड़ाकू विमान की कॉकपिट में पायलट सीट पर बैठ गए थे और पायलट से विमान के बारे में जायजा लिया था। इस दौरान उन्होंने अपने सिर से टोपी उताकर उसे हवा में लहराया था। हालांकि, पीएम के कार्यक्रम के बीच में बारिश ने थोड़ी देर के लिए रुकावट भी डाली थी। इससे पहले मोदी गोवा के नजदीक दाबोलिम नेवी बेस पर पहुंचे थे। वहां नेवी चीफ आरके धवन ने उनकी अगवानी की। इसके बाद वह हेलिकॉप्टर से आईएनएस विक्रमादित्य के लिए रवाना हुए। गोवा तट के करीब होने वाले कार्यक्रम में पहुंचने वाले मोदी का किसी रक्षा इकाई का बतौर पीएम पहला दौरा होगा। कार्यक्रम के दौरान नौसेना मोदी के सामने कई तरह के हैरतअंगेज कारनामे पेश करेगी।
मोदी के दौरे के मद्देनजर नेवी ने सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर रखी थी। नेवी ने जंगी बेड़े, लड़ाकू विमान, सर्विलांस प्लेन वगैरह की तैनाती की थी। सूत्रों के मुताबिक, नेवी मोदी की सुरक्षा को लेकर कोई भी चांस नहीं लेना चाहती थी। पीएम की सुरक्षा के मद्देनजर गोवा में सभी जगहों पर ट्रैफिक मूवमेंट पर नजर गई थी।
आईएनएस विक्रमादित्य आईएनएस विराट के बाद देश का दूसरा एयरक्राफ्ट करियर है। नेवी में इसके शामिल होने के बाद भारत एशिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसके पास इस तरह के दो युद्धपोत हैं। जहां तक चीन की बात है, उसने इसी साल अपना पहला एयरक्राफ्ट करियर लायनिंग लॉन्च किया है। खबरों के मुताबिक, चीन दो और युद्धपोत बना रहा है।
आईएनएस विक्रमादित्य 16 नवंबर, 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसे नौसेना में शामिल किया था और इसे गेमचेंजर बताया था। भारत और रूस के बीच 2004 में 94.7 करोड़ डॉलर में इस पोत का सौदा हुआ था। इस पोत की सप्लाई में दो बार देरी हुई और इसके पुनर्निर्माण की लागत बढ़कर 2.3 अरब डॉलर हो गई। रूस और भारत के बीच डिफेंस पार्टनरशिप की दिशा में यह एक और बड़ा कदम है। मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह रूस के साथ सामरिक रिश्तों को और मजबूत करेंगे।
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