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गुरुवार, 19 जून 2014

एनडीएमए के सदस्यों ने दिया इस्तीफा, औरों से भी मांगा इस्तीफा


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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम.शशिधर रेड्डी और इसके सदस्यों ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार ने उनसे इस्तीफे की मांग की थी और राष्ट्रीय महिला आयोग व बाल अधिकार आयोग के प्रमुखों से भी इस्तीफे की मांग की गई है। यह जानकारी विश्वस्त सूत्रों ने दी है। एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी और कम से कम पांच अन्य सदस्यों के इस्तीफे की पुष्टि बाद में प्राधिकरण के एक अधिकारी ने की। उपाध्यक्ष सहित एनडीएमए में सात सदस्य होते हैं।

तेलंगाना से कांग्रेस नेता रेड्डी को 2005 में एनडीएमए की स्थापना के वक्त उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्हें 2010 में अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर नियुक्त किया गया था। अधिकारी ने बताया कि यह कदम प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उनसे इस्तीफा मांगे जाने के बाद उठाया गया है। प्रधानमंत्री एनडीएमए के अध्यक्ष होते हैं और उपाध्यक्ष कबीना स्तर के मंत्री, जबकि इसके अन्य सदस्य राज्यमंत्री के समतुल्य माने जाते हैं।  रेड्डी के अतिरिक्त एनडीएमए के अन्य सदस्यों के.एम.सिंह, बी.भट्टाचार्य, जे.के.सिन्हा, मुजफ्फर अहमद, के.सलीम अली और मेजर जनरल जे.के.बंसल ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया। 

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के सूत्रों ने बताया कि आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा को भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। ममता शर्मा अभी निजी अवकाश पर हैं और इन दिनों विदेश में हैं। उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कुशल सिंह को भी पद छोड़ने के लिए कहा गया है। आयोग के सूत्रों ने जानकारी देते हुए आगे कहा कि उन्होंने इस्तीफा सौंपने से मना कर दिया है और अक्टूबर 2014 तक अपना तय कार्यकाल पूरा करने पर जोर दिया है।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष पी. एल. पुनिया ने इस बीच कहा कि उन्हें पद छोड़ने के लिए अभी तक नहीं कहा गया है। पुनिया ने कहा, "मुझसे किसी ने भी पद छोड़ने के लिए नहीं कहा है।" उन्होंने कहा, "आयोग के अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति ने मुझे नियुक्त किया है और यदि राष्ट्रपति मुझसे पद छोड़ने के लिए कहते हैं तो मैं त्याग पत्र दे दूंगा। यह संवैधानिक पद है और मैं अपना कार्यकाल पूरा करूंगा, कोई मुझे हटा नहीं सकता।" पुनिया को अक्टूबर 2013 में तीन वर्षो के लिए अजा/जजा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

इस बीच भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष कर्ण सिंह ने कहा, "सरकार की ओर से मुझसे किसी ने भी कुछ भी नहीं कहा है।" राज्यसभा के सदस्य कर्ण सिंह का परिषद में यह तीसरा कार्यकाल है। आयोग के अध्यक्षों पर तलवार पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के कार्यकाल के दौरान नियुक्त कई राज्यपालों को रुखसत होने के लिए कहने के बाद लटकाई गई है।

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