राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अर्थव्यवस्था की हालत को अत्यधिक कठिन बताते हुए आज कहा कि सरकार भारत को सतत उच्च विकास पथ पर ले जाने को प्रतिबद्ध है और साथ ही मुद्रास्फीति को काबू में रखा जाएगा व कर व्यवस्था विरोध भाव से मुक्त रखी जाएगी। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, हम आर्थिक मोर्चे पर अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। लगातार दो वर्ष से हमारी वृद्धि दर 5 प्रतिशत से कम रही है, कर उगाही कम हुई है, मुद्रास्फीति अवांछित स्तर पर बनी हुई है। अत: भारतीय अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना मेरी सरकार के लिए बड़ा काम है।
भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, हम अर्थव्यवस्था को सतत उच्च विकास पथ पर ले जाने के लिए मिलजुल कर काम करेंगे। महंगाई नियंत्रित करेंगे। निवेश चक्र में तेजी लाएंगे, रोजगार सृजन के प्रयासों को तेज करेंगे और देश की अर्थव्यवस्था के प्रति घरेलू व अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास बहाल करेंगे।
उच्च मुद्रास्फीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नई सरकार इसको काबू में रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार किया जाएगा और इसके लिए विभिन्न राज्यों में लागू सबसे अच्छी व्यवस्थाओं को समाहित किया जाएगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि खाद्य महंगाई रोकने के लिए विभिन्न कृषि एवं कृषि आधारित उत्पादों के आपूर्ति पक्ष को सुधारने पर बल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस वर्ष सामान्य से कम मानसून की संभावना के प्रति सतर्क है और इसके लिए उपयुक्त योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
मुखर्जी ने कहा कि सरकार एक ऐसा नीतिगत वातावरण तैयार करेगी जिसमें स्थायित्व हो और जो पारदर्शी तथा निष्पक्ष हो। उन्होंने कहा, कर व्यवस्था को युक्तिसंगत तथा सरल बनाया जाएगा जो निवेश, उद्यम और विकास के विरद्ध नहीं होगी, वरण उसे बढ़ाने में सहायक होगी। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार इस प्रस्तावित नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के बारे में राज्यों की चिंताओं का निराकरण करते हुए जीएसटी लागू करने का हर संभव प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि व्यवसाय करने को आसान बनाने के लिए सुधार किए जाएंगे। सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने की नीति अपनाएगी जिसमें ऐसा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी शामिल है जिसकी अनुमति उन क्षेत्रों में होगी जिनसे रोजगार तथा परिसंपत्ति सृजन में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के तेज सृजन के श्रम आधारित विनिर्माण को युक्तिसंगत तरीके से बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटन एवं कृषि आधारित उद्योगों में भी रोजगार के अवसरों का विस्तार किया जाएगा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में रोजगार केंद्रों को करियर केंद्रों में रूपांतरित करने का वादा करते हुए कहा गया है कि करियर केंद्रों के जरिए युवाओं को प्रौद्योगिकी के साथ परामर्श व प्रशिक्षण के द्वारा पारदर्शी व कारगर तरीके से रोजगार के अवसरों से जोड़ा जाएगा।
अभिभाषण में सभी वर्ग के श्रमिकों के लिए पेंशन और स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा तंत्र को सुदृढ करने और उन्हें आधुनिक वित्तीय सुविधाएं सुलभ कराने का वादा किया गया है।
सरकार का विस्तृत एजेंडा पेश करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित करने की जरूरत है जिसकी मुख्य विशेषता ‘दक्षता, मात्रा और गति’ होगी। इसके लिए, सरकार खासकर देशभर में समर्पित माल परिवहन गलियारों एवं औद्योगिक गलियारों के साथ साथ विश्वस्तरीय निवेश एवं औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करेगी।
सरकार नवप्रवर्तन एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया को तेज करने के लिए हब एंड स्कोप (धूरी और तीर) मॉडल के माध्यम से केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर मंजूरी के लिए सिंगल विंडो प्रणाली लागू करने का प्रयास किया जाएगा।
मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाने के लिए कार्यपद्धति सरल बनाई जाएगी और व्यापार ढांचा मजबूत किया जाएगा ताकि कारोबार परिचालन में समय और लागत में कमी लाई जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार बुनकरों की कार्यदशाओं में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करेगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र की समीक्षा करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए एक कार्यबल का गठन किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि ढांचागत क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे और कृषि को वैज्ञानिक पद्धति व कृषि-प्रौद्योगिकी के जरिए मुनाफे का उद्यम बनाने के उपाय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति अपनाएगी जो कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि के वैज्ञानिक तरीके से पहचान करने और उसका कारगर विकास करने में सहायता करेगी।
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