दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि चार से घटाकर तीन साल करने के लिए डीयू को सलाह देने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा गठित स्थायी समिति सोमवार की बैठक सोमवार शाम चार बजे होने जा रही है। यह जानकारी समिति के एक सदस्य ने दी। यूजीसी ने शनिवार को स्थायी समिति का गठन किया, जिसके अध्यक्ष यूजीसी के उपाध्यक्ष हैं। पाठ्यक्रम अवधि में बदलाव संबंधी सुझाव के लिए समिति में डीयू के शैक्षिक और सहायक परिषद, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा), दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू), कॉलेजों के प्रधानाचार्य और शिक्षकों को शामिल किया गया है।
डूटा की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने बताया, "हम आज (सोमवार) चार बजे यूजीसी स्थायी समिति की बैठक कर रहे हैं, जहां हम तीन साल के पाठ्यक्रम संबंधी रणनीति पर चर्चा करेंगे।" दिल्ली विश्वविद्यालय को कुछ पत्र भेजने के बाद आयोग ने रविवार को विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि इसे सिर्फ तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लेना चाहिए जो कि चार वार्षीय पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) से पहले प्रचलन में था, अन्यथा विश्वविद्यालय पर यूजीसी अधिनियम,1956 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
आयोग ने कहा कि पिछले साल शुरू किया गया चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का उल्लंघन है, जो कि 10+2+3 प्रणाली का समर्थन करती है। डीयू को पिछली व्यवस्था की ओर लौटना चाहिए। आयोग ने विश्वविद्यालय को सोमवार को पत्र के साथ आज्ञा का अनुपालन करने का आदेश भी दिया था। विश्वविद्यालय की ओर से कोई टिप्पणी न आने पर विश्वविद्यालय परिसर में संदेह की स्थिति बनी हुई है, जहां मंगलवार से दाखिला शुरू होना है।
एक वामपंथी छात्र समूह ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करके मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले में हस्तक्षेप करने और बदलाव में तेजी लाने की मांग की है। अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसयू) के अध्यक्ष सन्नी ने बताया, "अब मंत्री को बात करनी होगी। हमने सुना है कि कॉलेज दाखिला समितियों के साथ बैठक कर रहे हैं, वे यूजीसी के पत्र पर चर्चा नहीं कर रहे। आज (सोमवार को) जरूरी है कि मंत्री हस्तक्षेप करें।"
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