बिहार : हादसा होते-होते टल गया। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 14 जुलाई 2014

बिहार : हादसा होते-होते टल गया।

patna news
पटना। पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा पटना घाट से दीघा घाट (पी.-डी.) तक डीएमयू शहीद गाड़ी चलायी जाती है। इंसान और जानवरों से पी.-डी. रेलखंड को खतरा है। इसके कारण चालक सीटी बजाकर ही गाड़ी चलाते रहते हैं। बिना सीटी से रेलगाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं है। अब तो चालक को सीटी ही बजानी पड़ती है। रेलखंड पर नजर रखनी पड़ती है। दीघा घाट हाॅल्ट से आगे रेल पटरी धंस गयी है। गाड़ी चलाने वाले चालक की सुझबुझ से पटरी जोड़ टूटकर धंसी पटरी को देखकर गाड़ी में ब्रेक लगा दिया। इस तरह संभावित हादसा होते-होते टल गया।  

बिहार में सत्तर के दशक में कांग्रेस के खिलाफ विपक्षियों ने मोर्चा। विपक्षियों के संगठनात्मक प्रयास से नब्बे के दशक में कांग्रेस को सत्ता से खदेड़कर लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बन गए। चारा घोटाला में घसीटे जाने वक्त अपनी धर्मपत्नी राबड़ी देवी को कीचन से निकालकर मुख्यमंत्री बना दिए। इसके बाद राजद अपने कुशासन के दलदल में फंसकर कमजोर हो गया।इस कमजोरी का फायदा मजबूती से 74 आंदोलन के दोस्त और छोटे भाई नीतीश कुमार ने उठाया। बिहार से सत्ता से बेदखल होने के बाद लोक सभा में लालू प्रसाद यादव पहुंच गए। बिहार में कांग्रेस का विरोध करने वाले चतुर राजनीतिज्ञ लालू ने केन्द्र में कांग्रेस से दोस्ती कर ली। केवल दोस्ती ही नहीं किए वरण रेलवे मंत्रालय भी हथिया लिए । 

patna news
राजद अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अंग्रेजों के द्वारा निर्मित रेलखंड को चालू करने का प्रयास किए। मालगाड़ी वाले रेलखंड को यात्री रेलखंड में तब्दील कर दिए। पटना घाट से दीघा घाट तक डीएमयू शहीद गाड़ी चलायी। सुबह में शहीद गाड़ी पटना घाट से चलकर दीघा घाट पहुंचती है। उसके बाद दीघा घाट से चलकर आर.ब्लाॅक हाॅल्ट पर रूक जाती है। आर. ब्लाॅक से ठहराव करके पौने पांच चलकर दीघा घाट पहुंचती है। प्रथम चरण में आर0ब्लाॅक हाॅल्ट से दीघा हाॅल्ट तक परिचालन किया गया। इस रूट पर सात हाॅल्ट दीघा, राजीव नगर, शिवपुरी,पुनाईचक,बेलीरोड,पुराना सचिवालय और आर0ब्लाॅक बनाया गया। जनता और संवेदकों की मांग पर पटना घाट तक बढ़ाया गया। इस विस्तार से पटना जक्शन,राजेन्द्र नगर,गुलजारबाग, पटना सिटी और पटना घाट तक किया गया। आरंभ में टिकट दर सिर्फ 5 रू0 रखा गया। बाद में रेल मंत्री ने साधारण टिकट पर एक रू0 घटाते चले गये। 

 अब दीघा घाट से गुलजारबाग जाने तक दो रू0 और इसके आगे जाने पर तीन रू0 लिया जाता है। पटना घाट से गाड़ी 8 बजकर 20 मिनट में खुलती है। सभी स्टेशनों और हाॅल्टों पर रूकते हुए दीघा हाॅल्ट पर 9 बजकर 45 मिनट पर पहुंची है। कुछ ही समय के बाद प्रस्थान कर जाती है। गाड़ी आर0 ब्लॉक पर रूक जाती है। यहां पर उतरकर स्टेशन जाने वालों को रिक्सा को 30 रू0 देना पड़ता है । इसी के कारण मुसाफिर इस गाड़ी से मोहभंग कर लेते हैं। सीधे पटना घाट तक परिचालन करके वापस आने पर परिचालन सफल हो जाता मगर ऐसा डी0आर0एम0,दानापुर के द्वारा नहीं किया जाता है। इससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है। कोई 6-7 घंटा विश्राम करके पुनः आर0 ब्लाॅक से 4 बजकर 40 मिनट पर खुलती है। जो दीघा पहुंचकर आर0ब्लॅाक तक पहुंची है। उसके बाद पटना स्टेशन से राजेन्द्र नगर,गुलजारबाग, पटना सिटी और पटना घाट तक किया गया।

इस रूट पर सात हाॅल्ट दीघा, राजीव नगर, शिवपुरी, पुनाईचक, बेलीरोड, पुराना सचिवालय और आर0ब्लाॅक हाॅल्ट पर टिकट काउंटर बनाया गया। जो टूट चुका है। टिकट काउंटर नहीं रहने के कारण यात्री टिकट कटवाते ही नहीं है। इन यात्रियों का अच्छे दिन आ गए हैं। 



आलोक कुमार 
बिहार 

कोई टिप्पणी नहीं: