- धर्म की नगरी काशीवासियों की रही बल्ले-बल्ले
- मां गंगा निर्मलीकरण, बुनकर कल्याण, घाटों की सफाई, गंगा जलमार्ग, स्मार्ट सिटी सहित 5 परियोजनाओं को मिली मंजूरी
- बजट में पूर्वांचल के लिए 1000 करोड़ से भी अधिक का प्राविधान
- एम्स की स्थापना से अब किसी की जान न जाने की उम्मीद जगी, गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को मिला सौगात
केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की बजट को लेकर देश में चाहे जिस तरह की प्रतिक्रियाएं हो, लेकिन धर्म की नगरी बनारस के साथ-साथ पूर्वांचल के लोग इससे काफी खुश है। जिस उम्मीद से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रुप में काशीवासियों ने चुना, उसका फायदा मिलने लगा है। पूर्व की तुलना में पहले बिजली कटौती से मुक्ति मिली, अब बजट में मां गंगा की निर्मलीकरण व अविरल बहते रहने के लिए नमामि गंगा प्रोजेक्ट अंतर्गत 2037 करोड़, संकट से जूझ रहे बुनकरों को उबारने व हथकरघा क्षेत्र प्रोत्साहन के लिए व्यापार सुविधा केन्द्र निर्माण के लिए 50 करोड़, घाटों की सफाई के लिए 10 करोड़ के अलावा इलाहाबाद बाया वाराणसी होते हुए पटना-कोलकाता-हल्दिया तक गंगा जलमार्ग के लिए 4200 करोड़ का प्राविधान, अच्छे दिन आ गए कहने के लिए विवश कर दिया है। इतना ही नहीं देशभर बनने वाली 100 स्मार्ट सिटी योजना में बनारस तो है ही सारनाथ, गया व वाराणसी के बीच बौद्ध सर्किट निर्माण, स्वास्थ्य के मद्देनजर पूर्वांचल में एम्स व मेडिकल कालेज की स्थापना की भी मंजूरी बजट दिया गया है।
मां गंगा की दशा व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए चुनाव के दौरान मोदी ने जो वादा किया था वह पूरा होता दिखने लगा है। इसके लिए 2037 करोड़ की जो धनराशि आवंटित की गयी है उससे बनारस, इलाहाबाद, कानपुर से हरिद्वार तक मां को गंगा का निर्मलीकरण किया जायेगा। इन इलाकों के घाटों की सफाई के लिए भी 10 करोड़ खर्च करने की योजना है। इलाहाबाद से हंडिया-संतरविदासनगर भदोही-बनारस-पटना-कोलकाता होते हुए हल्दिया तक 1620 किमी जलमार्ग बनाकर पानी का जहाज चलाने की भी योजना है। इस योजना में यात्री के साथ-साथ मालवाहक जहाज भी चलेंगे। इसके लिए कुल 4200 करोड़ राशि का प्राविधान है और 6 साल के अंदर कार्य पूरा कर आवागमन शुरु करने की बात कहीं गयी है। जलमार्ग पर हर 30 किमी पर एक टर्मिनल व डैम भी बनाए जायेंगे। जिससे यात्री व व्यापारी अपनी यात्रा व माल अमूक स्थानों तक पहुंचा सकते है। माना जा रहा है कि इससे यात्रियों व व्यपारियों का समय तो बचेगा ही भाड़ा में भी काफी किफायत होगी। इतना हीं नहीं नमामि गंगे योजना का सर्वाधिक लाभ इलाहाबाद-बनारस के सहित पूरे पूर्वांचल का होगा। न सिर्फ टूरिज्म बढेगा बल्कि माल ढुलाई भी आसान हो जायेगा। बड़े जहाजों का आवागमन पश्चिम बंगाल से पटना के रास्ते तमाम पर्यटक स्थलों तक की पहुंच आसान हो जायेगा। रेल व सड़क मार्ग से आधे दाम पर माल की ढुलाई होगी। बड़े जहाज से एक बार में 1000 टन माल ढोया जा सकता है। बड़े प्लांट मशीनरी जलमार्ग से आसानी से पहुंचाएं जा सकते है। गंगा में हर वक्त पर्याप्त पानी होगी और अविरल हिलोेरे मारती लहरें पर्यटकों को लुभाएगी।
मंदी सहित अन्य समस्याओं से जूझ रहे बुनकरों व साड़ी कारोबारियों का बजट में ख्याल रखते हुए मोदी ने अपने वायदे के मुताबिक बुनकरों के कल्याण व हथकरघा क्षेत्र प्रोत्साहन के लिए व्यापार सुविधा केन्द्र निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये का प्राविधान किया है। इससे न सिर्फ गरीब बुनकर मजदूरों का पलायन रुकेगा, बल्कि वाराणसी मेगा कलस्टर की स्थापना से वस्त्र उद्योग को भी बढ़ा मिलेगा। व्यापार सुविधाकरण केन्द्र व शिल्प संग्राहालय की स्थापना अंगूलियों की जादू लगाने वाले इलाके के बुनकरों के लिए सरकार की बड़ी सौगात है। बुनकरों की दशकों पुरानी मांग थी कि एक छत के नीचे उनकों सारी सुविधाएं मिलें ताकि तैयार उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। बुनकरों का मानना है कि यह सौगात बहुत तो नहीं है, लेकिन खुशी है कि इसकी शुरुवात तो हुई। यदि इस योजना को बिचैलियों की नजर नहीं लगी तो उनका काफी कल्याण होगा और व्यापार केन्द्र खुलने से वह अपने माल आसानी से अच्छे दरों पर बेच सकते है। देखा जाएं तो मोदी ने पूर्वांचल के लिए बजट में 1000 करोड़ से भी अधिक का प्राविधान किया है। वाराणसी वाया जौनपुर-सुल्तानपुर मार्ग फोरलेन तो बनेगा ही अब 24 घंटे बिजली आपूर्ति भी पक्का हो गया है। लोगों को अपनी बाते व शिकायते करने के लिए पीएमओं हाउस बनाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
पूर्वांचल में एम्स की स्थापना से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को काफी लाभ व सहूलियतें मिलेगी। उम्मीद है कि अब सहजे ही उनके किसी सगे-संबंधी की जान नहीं जायेंगी। क्योंकि यहां के अधिकांश अस्पताल सुविधाओं के अभाव में सिर्फ रेफर तक सिमित होकर रह गए है। किडनी टासंप्लांट, हार्ट अटैक, कार्डियक सर्जरी, न्यूरो, बाईपास सर्जरी, समेत विभिन्न गंभीर रोगों की सर्जरी के लिए एम्स भेजे जाने वाले दो दर्जन से अधिक मरीज खुद की सांसे भगवान की मर्जी पर छोड़ देने को विवश होते है। हैरानी होगी कि गंभीर रोगों से पीडि़तों के अलावा इसमें मरीज की संख्या होती है जिन्हें तत्काल इलाज की दरकार होती है। दुर्घटनाओं में गंभीर रुप से घायल दो दर्जन से अधिक मरीज पूर्वांचल के अस्पतालों में पहुंचते है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ देते है। जो बनारस तक किसी तरह पहुंच जाते है वहां भी चिकित्सकों की लापरवाही उन्हें नहीं बचा पाती।
बनारस जब स्मार्ट सीटी बनेगा तो न सिर्फ व्यापार बढ़ेगा बल्कि काफी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। सारनाथ, गया व वाराणसी के बीच बौद्ध सर्किट बनने से भी काशी की महत्ता तो बढ़ेगी ही, महात्मा बुद्ध की जन्मभूमि और कर्मक्षेत्र रहे काशी व कुशीनगर में विश्वस्तरीय प्र्यटन सुविधाओं का संजाल स्थापित हो सकेगा। इन दोनों स्थानों के अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सारनाथ व कुशीनगर में सालाना करीब 7 लाख से भी अध्कि विदेशी पर्यटक अपनी आमद दर्ज कराते है। यह पर्यटक मुख्यरुप से श्रीलंका, जाना, कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, ताइवान, चीन, सहित पूरे भारत के कोने-कोने से आते है। गांव-गांव में ई-क्रांति लाने के लिए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके तहत 500 करोड़ का प्राविधान बजट में किया गया है।
---सुरेश गांधी---
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