विशेष आलेख : शिक्षा की बदहाल होती व्यवस्था - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 21 जुलाई 2014

विशेष आलेख : शिक्षा की बदहाल होती व्यवस्था

शिक्षा हासिल करना सभी का मूलभूत अधिकार है। लेकिन आज भी बहुत से बच्चे अपने इस मूलभूत अधिकार से वंचित हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम,2009 के लागू ह¨ जाने के बाद भी देश के सरकारी विद्यालय¨ं अ©र उसमें मिलने वाली शिक्षा की गुणवŸाा की दशा श¨चनीय है। देष के ग्रामीण क्षेत्रों में त¨  स्थिति अ©र भी दयनीय है। अगर जम्मू एवं कष्मीर के सरहदी इलाकों की बात की जाए तो हालात और भी बदतर नजर आते हैं। जम्मू प्रांत का सरहदी जि़ला पुंछ षिक्षा की दृश्टि से आज भी काफी पिछड़ा हुआ है। खनेतर गांव जोकि पुंछ हेडक्र्वाटर से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है षिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करने के लिए काफी है। इसकी जीती जागती मिसाल है खनेतर का हाईस्कूल । इस स्कूल के बारे में गांव के स्थानीय निवासी मोहम्मद अज़ीज चैहान (55) का कहना है कि 1986 में इस स्कूल को हाईस्कूल का दर्जा दिया गया था। 28 साल गुज़र जाने के बाद भी स्कूल की हालत खस्ताहाल ही है। स्कूल में दी जाने भी षिक्षा की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। गौरतलब है कि 2012 में खनेतर गांव को आदर्श गांव का दर्जा दिया गया था। जिसके तहत यहां सभी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाना था। यहां की जनता ने आदर्श गांव की खुषी में काफी सारे विकास के सपने अपनी आंखों में संजोए थे। मगर अफसोस उनके यह सपने आज तक सपने ही बने हुए हैं। 
         
तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने के बावजूद भी यहां के लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़कर लिखकर गांव और देष का नाम रोषन करें। मगर षिक्षा का उचित बंदोबस्त न होने की वजह से माता-पिता के साथ उनके बच्चों के सपने भी तार तार हो रहे हैं। गांव में षिक्षा की बदहाली का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खनेतर हाईस्कूल की बिल्डिंग में ग्यारह कमरे हैं जिसमें एक कमरे में कार्यालय, एक में स्टाफ या लैब, एक में लाइब्रेरी, एक में प्रयोगषाला और एक में बावर्चीखाना है जबकि बाकी के छह कमरों में कक्षा 10 तक की कक्षाएं लगती हैं। स्कूल में नवीं के तीन और दसवीं के दो सेक्षन हैं। यह सोचने का विशय है कि 13 कक्षाओं का संचालन 6 कमरों में कैसे होता होगा? इन्हीं हालातों में यहां के बच्चे गर्मी, सर्दी और बरसात के दिनों में षिक्षा ग्रहण करते हैं। इस बारे में स्कूल में पढ़ने वाली 10 वीं कक्षा की छात्रा निकहत बुखारी का कहना है कि नवीं कक्षा के तीन सैक्षन हैं और दसवीं कक्षा के दो। पहली से छठी तक की कक्षाएं बाहर बरामदे में लगती हैं। इसी बारे में  स्कूल के दसवी कक्षा के छात्र एजाज अहमद बताते हैं कि कक्षाएं बरामदे में लगने से बच्चों को सर्दी और बरसात के दिनों में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे हालात¨ं में जहां पर किसी सामान्य इंसान द्वारा एक दिन काट पाना मुश्किल ह¨गा हमारे देश के न©-निहाल शिक्षा ग्रहण करने जैसा महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। वह शिक्षा ज¨ उनके अ©र इस देश के भविष्य का निर्माण करेगी।
              
इस स्कूल को हायर सेकेंडरी स्कूल बनाने की मांग काफी लंबे अर्से से हो रही है लेकिन राजनेताओं के ज़रिए अभी तक इस मांग को पूरा नहीं किया गया है। लेकिन जब चुनाव का दौर आता है तो राजनेताओं के ज़रिए जनता की भावनाओं से खेलते हुए यह एलान किया जाता है कि खनेतर हाईस्कूल को हायर सेंकेडरी का दर्जा दे दिया जाएगा । लेकिन हकीकत बिल्कुल इसके उलट है। हाईस्कूल खनेतर में 13 कक्षाएं 6 कमरों में चलती हैं तो क्या ऐसे में स्कूल की बिल्डिंग इसके हायर सेकेंडरी होने की इजाजत देती है। सवाल यह पैदा होता है कि हर बार चुनाव का वक्त नज़दीक आते ही राजनेता जनता से झूठे वादे क्यों करते हैं? खनेतर हाईस्कूल में ही जब इस वक्त बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है तो इसको हायर सेकेंडरी का दर्जा दिलवाने का झूठा वादा राजनेता क्यों करते हैं, समझ से परे है? खनेतर हाईस्कूल को हायर सेकेन्डरी का दर्जा दिए जाने के बारे में 2003 में इसी स्कूल से सेवानिवृत्त होने वाले पूर्व प्रधानाध्यापक सैय्यद षौकत हुसैन षाह कहते हैं कि खनेतर तहसील हवेली का सबसे बड़ा गांव है। तहसील हवेली में उस वक्त ग्रामीण स्तर पर कोई स्कूल नहीं था फिर भी समय गुज़रने के साथ इस स्कूल को हायर सेकेंडरी का दर्जा अभी तक नहीं दिया गया है। चुनाव का वक्त नज़दीक आने पर तमाम राजनेता आते हैं और वह जनता से झूठे वादे करके चले जाते हैं। वह आगे कहते हैं कि खनेतर की जनता ने इस बार निर्णय किया है कि वह विधानसभा चुनाव में उसी उम्मीदवार को वोट देगी जो खनेतर हाईस्कूल को हायर सेकेंडरी का दर्जा दिलाएगा। इसी स्कूल से दसवीं पास करने वाली नजमा बुखारी का कहना है कि खनेतर हाईस्कूल को हायर सेकेंडरी का दर्जा न मिलने की वजह से बच्चों को आगे की पढ़ाई करने के लिए पुंछ या फिर चंडक जाना पड़ता है। खनेतर से पुंछ जाने में बच्चों को गाडि़यों में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। पुंछ हाईस्कूल में खनेतर के छात्र-छात्रओं को एडमिषन न के बराबर मिलता है जिसकी वजह से खासतौर से लड़कियों की पढ़ाई बीच में छूट जाती है।  खनेतर की जनता सरकार से अपील करते हुए कहती कि जल्द से जल्द खनेतर हाईस्कूल की बिल्डिंग के निर्माण का काम पूरा करने के साथ इसको हायर सेकेंडरी का दर्जा भी दिया जाए ताकि यहां के आगे की पढ़ाई हासिल कर अपना भविश्य संवार सकें। खनेतर में कुल  तीन पंचायते हैं और यह क्षेत्र  चुनाव में हवेली तहसील हवेली के उम्मीदवार की जीत में एक अहम रोल अदा करता है। बावजूद इसके इस क्षेत्र  से जनप्रतिनिधियों की इतनी बेरूखी समझ से परे है। यहां की जनता सरकार से अपील करते हुए कहती है कि क्या खनेतर क्षेत्र  हिंदुस्तान का हिस्सा नहीं, अगर है तो अब तक हम मूलभूत सुविधाओं से वंचित क्यों हैं ?



live aaryaavart dot com

अनीस-उल-हक़
(चरखा फीचर्स)

कोई टिप्पणी नहीं: