विशेष आलेख : सरहद पर दम तोड़ती चिकित्सा सुविधाएं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

विशेष आलेख : सरहद पर दम तोड़ती चिकित्सा सुविधाएं

जहां एक ओर केंद्र में नई सरकार का कब्ज़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर जम्मू एवं कष्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारीयां ज़ोरों षोरों से जारी हैं। यह तो आने वाला वक्त ही समय ही बताएगा कि केंद्र की तरह यहां भी सत्ता परिवर्तन होता है या फिर राज्य की मौजूदा सरकार ही दोबारा सत्ता ग्रहण करेगाी। लेकिन इस बार यह कहते हुए कोई भी झिझक महसूस नहीं होनी चाहिए कि जिस तरह से देष की जनता को वर्तमान केंद्र सरकार ने बेवकूफ बनाया षायद ही इससे पहले ऐसा नहीं हुआ था। इस बार का चुनाव सिर्फ महंगाई को मुद्दा बनाकर लड़ा गया था, बेचारी जनता कांग्रेस से परेषान थी, इसलिए आंख बंद करके मोदी की झोली में चली गई, मगर जाते ही एहसास हुआ कि यह काल कोठरी तो पहले से भी ज़्यादा खतरनाक है। नई सरकार के पद ग्रहण के बाद खाद पदार्थों की महंगाई में लगातार इज़ाफा होता जा रहा है और जनता सिर्फ बेबस होकर तमाषा देख रही हैै। हालांकि सरकार अपनी बातों से जनता को यह समझाने की कोषिष ज़रूर कर रही है कि कुछ सख्त फैसले आने वाले अच्छे दिनों की दावत दे रहे हैं। फ्रांस से हथियार खरीदने और सरहद की सुरक्षा पर पैसे खर्च की बातें ज़रूर की जा रही है। लेकिन सरहद पर आबाद लोगों के स्वास्थ्य, षिक्षा, रोज़गार जैसी बुनियादी सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सवाल यह है कि क्या इन हथियारों से सिर्फ सरहद की रखवाली की जाएगी या यहां सरहद पर बसने वालों के के स्वास्थ्य व षिक्षा के अलावा दूसरी बुनियादी सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाएगा। यह वह सवाल है जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों की ज़बान पर आम है। संभव है कि इसका कोई उपयुक्त जबाब सरकार के पास न हो। सीमावर्ती क्षेत्र आज भी तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
          
जम्मू प्रांत के पुंछ जि़ले में वैसे तो समस्याओं की भरमार है लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या चिकित्सा का न होना है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में सब सेंटरों की कुल तादाद 1907 है जबकि 3044 की ज़रूरत है यानी 1137 केन्द्रों की कमी है। कम्युनिटी हैल्थ सेंटर की तादाद 84 है हालांकि ज़रूरत 114 की है। सब सेंटर में महिला स्वास्थ्य श्रमिकों की तादाद 3941 है जबकि पुरूशों की तादाद 541 है। प्राईमरी हैल्थ सेंटर में डाक्टरों की तादाद 845 है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अलग अलग विषेशज्ञों की तादाद 173 है। जबकि फार्मासिस्ट  की कुल तादाद 705 है। अलग अलग तरह की जांच करने वालों की तादाद 680 है। पीएचसी और वीएचसी में नर्सिंग स्टाफ की तादाद 867 है। उल्लिखित आंकड़ों में कहीं भी अस्पतालों की इमारतों का जि़क्र नहीं है और न ही इनकी संख्या बताई गई है। लिहाज़ा मैं पाठकों के अलावा सरकार और स्वास्थ्य विभाग के सामने अपने अनुभव की रोषनी में अस्पतालों की इमारतों का जि़क्र करूंगा। ताकि यह अनुभव किया जा सके कि यहां की जनता उल्लिखित सुविधाओं से किस कद्र फायदा ले पा रही है। सरहदी जि़ला पुंछ जोकि फैन्स से घिरा हुआ है। यहां पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सा केंद्र कायम किए गए हैं जो सब सेंटर, डिस्पेंसरी, प्राईमरी हैल्थ सेंटर की षक्ल में हैं। इनमें से कई चिकित्सा केन्द्रों पर 24 घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है केई ऐसी सुविधा से वंचित हैं। इसकी ताज़ा मिसाल है मगनाड़ प्राईमरी हैल्थ सेंटर जो इस सुविधा से वंचित हैं। सरकार की ओर से जो चिकित्सा बनाए गए हैं उनमें से कुछ चिकित्सा लोगों के घरों में चल रहे हैं जबकि कुछ स्थानों पर चिकित्सा केन्द्र के लिए सरकारी इमारत बना दी गई है लेकिन उनमें अभी सब सेंटर कायम नहीं किया गया है। इसकी मिसाल है सलोतरी सब सेंटर जिसके लिए इमारत बनायी गयी है। लेकिन ज़मीन के मालिक ने पूरा मुआवज़ा न मिलने की वजह से सेंटर को इमारत में नहीं रखने दिया। यह इमारत खाली पड़े रहने की वजह से दिन ब दिन बदहाली का षिकार होती जा रही है। गांव सलोतरी के स्थानीय निवासी अब्दुल करीम कहते हैं कि इमारत में रात को कुत्ते और गीदड़ आकर बैठते हैं क्योंकि इमारत के दरवाज़े टूट चुके हैं। गांव के एक और स्थानीय निवासी अब्दुल रषीद ने बताया कि हम अपनी मांगे लेकर कई बार आला अधिकारियों के पास गए लेकिन हम गरीबों की कोई नहीं सुनता है। हमें अब समझ में नहीं आता है कि हम अपनी किसको सुनाएं। सलोतरी सब सेंटर अब किराए की एक दुकान में चलता है। जब सेंटर के डाक्टरों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमें छोटी सी दुकान में काफी परेषानी का सामना करना पड़ता है। खासतौर से गर्मी के दिनों यहां बैठा नहीं जाता। इस तरह कई चिकित्सा केन्द्र तो इससे भी ज़्यादा बदतर हालत में चल रहे हैं। 
            
जि़ला पुंछ के सिटी हेडक्र्वाटर से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर खनेतर स्थित है। खनेतर को 26 मार्च 2012 को माॅडल विलेज का दर्जा दिया गया था। इसको माॅडल विलेज का दर्जा मिले हुए दो साल से भी ज़्यादा का अर्सा गुज़र चुका है। इस दौरान कई राजनेताओं ने यहां का दौरा किया जिसमें ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अली मोहम्मद सागर, खेल मंत्री ताज मोहीउद्दीन, पूर्व सांसद मदन लाल षर्मा, सड़क एवं भवन निर्माण मंत्री अब्दुल मजीद वानी षामिल हैं। तकरीबन 15000 की आबादी वाले खनेतर में तीन पंचायतें हैं जिन्हें दूपरीयां, किल्सां और दिलेरा के नाम से जाना जाता है। हर एक पंचायत में दस वार्ड हैं। इस क्षेत्र में सरकार की ओर से चार चिकित्सा केंद्र कायम किए गए हैं जिनमें से एक खनेतर हाईस्कूल के निकट एक प्राईवेट घर में है। इस चिकित्सा केंद्र के लिए सरकार की ओर से कोई इमारत नहीं बनाई गई है। दूसरा दूपरीयां और तीसरा दिलेरा के नाम से जाना जाता है। इन दोनों सब सेंटरों के लिए भी सरकार की ओर से कोई इमारत नहीं दी गई है। यह भी दूसरे सब सेंटरों की तरह एक दुकान में चल रहे हैं। पीएचसी मगनाड़ से मिली जानकारी के अनुसार हर एक सब सेंटर में चार कर्मचारी होते हैं लेकिन खनेतर सब सेंटर पर सिर्फ तीन कर्मचारी हैं यानी यहां पर सफाई कर्मचारी मौजूद नहीं है। सफाई का काम डाक्टर को किसी दूसरे से करवाना पड़ता है। इसी के साथ किल्सां पंचायत के दस वार्डों में एक बड़ी आबादी गुज़र बसर कर रही है। इस पंचायत में कोई भी सब सेंटर नहीं है। सब सेंटर न होने की वजह से जनता को काफी परेषानियों का सामना करना पड़ता है। इस पंचायत में जब भी कोई बीमार होता है तो उसे तकरीबन दो किलोमीटर का पैदल यात्रा करके टांडा बस स्टैंड तक जाना पड़ता है। फिर वह टांडा बस स्टैंड पहुंचकर किसी प्राइवेट दवाखाने से दवाई खरीदता है। अगर बीमारी बड़ी होती है तो मजबूरन पुंछ षहर जाना पड़ता है। 
          
खनेतर की जनता के लिए अगर सरकार अपने कीमती खज़ाने से एक पीएचसी दे दे तो काफी हद तक यहां के लोगों की परेषानियों का हल हो सकता है। इस तरह गांव दर्रा दूलिया का सब सेंटर भी एक गांव में आबाद है। इसके लिए भी अभी तक सरकारी इमारत का इंतेज़ाम नहीं हो सका है। चिकित्सा की बुनियादी सुविधा न होने की वजह से इन सेंटरों पर डाक्टरों और मरीज़ों को काफी परेषनियों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत सब सेंटर भेंज एक आलीषान इमारत में आबाद है। इसमें काफी अच्छी चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं। इस सेंटर में पांच कर्मचारी और दो आषा कार्यकर्ता काम करती हैं। यहां की जनता सरकार से अपील करते हुए कहती है कि दूसरे सब सेंटरों पर ऐसी सुविधा क्यों नहीं है? साफ है कि सरहदी इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं की हालत बहुत ही दयनीय स्थिति में है। जिन सब सेंटरों की इमारत नहीं है उनकी इमारत का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए। साथ ही जहां पर सब सेंटर हैं उन्हें और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया जाए तभी सरहद पर चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था बेहतर हो सकती है। 




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बशारत हुसैन शाह बुखारी
(चरखा फीचर्स)

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