आलेख : 'सिपाहीजी ' से सुरक्षा की गारंटी...!! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 12 जुलाई 2014

आलेख : 'सिपाहीजी ' से सुरक्षा की गारंटी...!!

indian rail security
देश की नई सरकार के नए रेल मंत्री ने एक बार फिर यात्री सुरक्षा के लिए महिलाओं  समेत करीब 20 हजार आरपीएफ जवानों की नियुक्ति की घोषणा की है। लेकिन सवाल उठता है कि जवानों की यह अधिक संख्या क्या  रेल यात्रियों को यात्रा के दौरान पूर्ण सुरक्षा का अहसास करा पाएगी। क्या इससे  ट्रेनों में होने वाली डकैतियां रुक जाएंगी। उनका माल - आसबाब गायब नहीं होगा। यात्री नशाखुरान गिरोह का शिकार नहीं होंंगे। ट्रेनों में यात्रियों को हिजड़े परेशान नहीं करेंगे। क्या इस बात की कोई गारंटी है। 

जहां तक आरपीएफ में महिला जवानों की नियुक्ति का सवाल है। वर्तमान में हालत यह है कि तमाम तामझाम और दावों के बावजूद  महिला रेल यात्री महिलाओं के लिए संरक्षित डिब्बों के बजाय पुरुषों वाले सामान्य डिब्बों में सफर करना इसलिए अधिक पसंद करती हैं क्योंकि  इसमें वे खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करती है। महिला डिब्बों में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं। जबकि आरपीएफ और जीअारपी में अभी भी पर्याप्त संख्या में महिला जवान हैं। जहां तक यात्री सुरक्षा का सवाल है, तो जवानों की संख्या बढ़ाने के बजाय नियमों की जटिलता को  दूर करना ज्यादा जरूरी है। क्योंकि यह मामला शुरू से राज्यों की  पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल के बीच लटका हुआ है। 

राजकीय रेल पुलिस पर आरोप लगता रहा है कि यात्रियों को सुरक्षा देने के मामले में वह अनमने भाव से कार्य करती है। वहीं आरपीएफ जवानों के पास अपराध नियंत्रण के लिए कोई अधिकार ही नहीं है। ट्रेनों में होने वाले हर अपराध को उसे आखिरकार जीअारपी के सुपुर्द करना पड़ता है। जबकि रेलवे में एकल सुरक्षा प्रणाली लागू करने की मांग वर्षों से की जा रही है। जिससे यात्रियों की सुरक्षा का पूरा  दायित्व आरपीएफ या जीअारपी में किसी एक दिया जाए। नीतीश कुमार के रेल मंत्रीत्व काल में एेेसी चर्चा शुरू हुई थी कि सरकार ने रेलवे में यात्री सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से आरपीएफ को देने का फैसला कर लिया है। लेकिन बाद में बात अाई - गई हो गई। एेसे में ,स्पष्ट  है कि  नियमों की जटिलता को   खत्म  व सुरक्षा बलों को जवाबदेह बनाए बगैर केवल जवानों की भर्ती से यात्रियों की पूर्ण  सुरक्षा की उम्मीद बेमानी ही कही जाएगी। 







तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।

कोई टिप्पणी नहीं: