बिहार : बड़े भाई-भाभी 15 साल और छोटे भाई 9 साल तक मुख्यमंत्री की भूमिका में रहे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 जुलाई 2014

बिहार : बड़े भाई-भाभी 15 साल और छोटे भाई 9 साल तक मुख्यमंत्री की भूमिका में रहे

  • कुल 24 साल में भी दलितों को मकान नहीं बना

homeless mahadalit
पटना। और सत्ता पर लालू प्रसाद यादव काबिज हो गए। बिहार के लोग सामाजिक न्याय के पक्षधर हो गए। मुस्लिम-यादव ‘माई समीकरण की हवा में कांग्रेस धाराशाही हो गयी । 1990-2005 तब सामाजिक मसीहा लालू प्रसाद यादव का जादू सिर पर चढ़कर बोलते रहा। चरवाहा विघालय खोल दिए। सरकारी जमीन पर रहने वाले दलितों को वासभूमि पर मालिका हक दिलवाने के लिए वासगीत पर्चा दिया। 

लगान निर्धारण केस नम्बर 22 वर्ष 1993-94 के तहत 300 वर्ग फीट डिसमिल गैर मालिक/ आम जमीन दलितों को दिया गया। दीघा के दिलचंद मुसहर के पुत्र सोमर मुसहर और उनकी पत्नी मुनकीया देवी के नाम से जमीन दी गयी। 0-50 रूपया सालाना लगान देना है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न प्रकार के सेस एवं सरचार्ज (अधिभार) का भी भुगतान लगान,धारक को करना है। यदि अन्य कोई शत्र्त सरकार के द्वारा निर्धारित की जाती है, अथवा पहले से निर्धारित है तो उसे भी लगान धारक को मानना है। लगान एवं शेष परवाना निर्गत की तिथि से देय करना है। रैयत को लगान-निर्धारित की गयी जमीन को बेचने/अन्तरण करने का अधिकार नहीं है। परन्तु लगान निर्धारित की गयी जमीन पर रैयत एवं उनके वंशजों का उत्तराधिकार है। सदर, पटना के अंचलाधिकारी का हस्ताक्षर से परवाना निर्गत 9 जुलाई 1993 अंकित है। जमीन का विवरण है। पटना जिला सदर अनुमंडल, पटना के सदर, पटना में मौजा दीघा थाना न. 1 फुलवारी पो. दीघा, थाना, खाता न. 419, खेसरा न.679, एराजी 300 वर्ग फीट, चैहद्दी- उत्तर भोला, दक्षिण जनक सरदार, पूरब. और पश्चिम दर्शाया गया है। 

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दलितों को परवाना राजद अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के करकमलों से दिया गया। ‘माई’ समीकरण के तहत वर्ष 1990-2005 (15 साल ) तक लालू-राबड़ी मुख्यमंत्री रहे। दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने परवानाधारी दलितों को इंदिरा आवास योजना से मकान बनाने का प्रयास ही नहीं किया। सर्वविदित है कि नाच बगीचा, दीघा में है। यह क्षेत्र नगर परिषद दानापुर निजामत में है। तब तो नुरूम से मकान बन जाना चाहिए था। जब ग्रामीण क्षेत्र में थे, तब इंदिरा आवास योजना से और अब अरबन में आ जाने से नुरूम से मकान बन जाना चाहिए। मगर मकान बना ही नहीं। बड़े भाई लालू प्रसाद यादव ने दलितों को मकान बनाया। तो छोटे भाई नीतीश कुमार भी मकान नहीं बनाएं। छोटे भाई 2005 से 2014 तक मुख्यमंत्री रहे। बड़े भाई-भाभी 15 साल और छोटे भाई 9 साल मुख्यमंत्री की भूमिका में रहे। कुल 24 साल में भी दलितों को मकान नहीं बना। इसके कारण दलित झोपडि़यों में रहने को बाध्य हैं। 

अब बिहार में सालभर के लिए टाइम बांड सीएम जीतन राम मांझी हैं। जो दलित है और मुसहर समुदाय के भी हैं। अच्छे दिन लाने वाले मोदी सरकार केन्द्र में काबिज हैं। 5 साल में अच्छे दिन लाने को प्रयत्नशील हैं। अब देखना है कि रामजीचक दीघा क्षेत्र में नाच बगीचा में रहने वाले दलितों का मकान बन पा रहा है! 




आलोक कुमार
बिहार 

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