सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 1993 में जनवरी और अप्रैल में गुजरात के सूरत में हुए बम विस्फोटों के मामले में निचली अदालत से दोषी ठहराए गए सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया। विस्फोटों में आठ वर्ष के एक बच्चे की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। टाडा अदालत ने उक्त आरोपियों को जनवरी-फरवरी 1993 में गुजरात के सूरत में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराते हुए 10-20 साल कैद की सजा सुनाई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर तथा न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की पीठ ने शुक्रवार को टाडा अदालत के फैसले को पलट दिया। अपने फैसले में पीठ ने कहा, "आवश्यक वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ और इसी आधार पर याचियों के खिलाफ टाडा (अब निष्प्रभावी आतंकवादी एवं विध्वसंक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम) के तहत सुनवाई और दोषी करार दिया जाना जायज नहीं ठहरता।"
अदालत ने कहा है कि जांच एजेंसी ने टाडा के तहत सूचना दर्ज करने से पहले जिला पुलिस प्रमुख से अनुमति नहीं ली जबकि ऐसा करना अनिवार्य था और इसको अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
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