गाजा पट्टी पर चार दिनों से जारी इजरायली हवाई हमले में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढ़कर 124 हो गई। तटीय बस्तियों पर इजरायली बमबारी में कई फिलीस्तीनी नागरिक मारे गए। हिंसा में आई तेजी से पिछले कुछ दिनों से चुप्पी साधे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बेचैनी बढ़ गई है। आस्ट्रेलिया ने इजरायली हमलों में तेजी की आशंका को देखते हुए अपने नागरिकों से गाजा पट्टी छोड़ने का अनुरोध किया है। आस्ट्रेलिया ने तेल अवीव स्थित अपने दूतावास में इसके लिए विशेष सहायता केंद्र बनाया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश सैनिक अभियान जारी रखेगा और उन्होंने जमीनी हमले की संभावना से भी इनकार नहीं किया है। नेतन्याहू ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित हुए टेलीविजन संबोधन में कहा, "हम इसे तब खत्म करेंगे जब हमें यह महसूस होगा कि हमने अपना लक्ष्य साध लिया है। और लक्ष्य शांति स्थापित करना है।"
मध्य पूर्व के समाचार चैनल अल जजीरा के मुताबिक, इजरायल ने नि:शक्तों के लिए बनाए गए पुनर्वास केंद्र पर बमबारी की जिसमें चार लोग मारे गए हैं। शनिवार को जबालिया में हुए विस्फोट में तीन रोगी और एक नर्स मारी गई। रात भर चले हमल में दर्जनों लोग मारे गए हैं। इजरायली हमले का आज पांचवां दिन है।
इजरायल ने मंगलवार को हमले शुरू किए। उसने कहा है कि हमास के नियंत्रण वाले गाजा से सप्ताह भर से जारी रॉकेट हमलों के जवाब में अभियान शुरू किया गया है। सेना ने कहा है कि चार दिनों के दौरान इजरायली वायुसेना ने गाजा में कुल 1160 ठिकानों पर निशाना साधा है।
मंत्रालय ने बताया कि हताहतों में दो तिहाई नागरिक, बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि गाजा पट्टी के अस्पतालों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। नेतन्याहू ने नागरिकों के मारे जाने पर हो रही आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा है कि इजरायल अपनी रक्षा के लिए वह सबकुछ करेगा जो वह कर सकता है। उन्होंने हमास पर आवासीय इलाकों को छिपने का ठिकाना बनाकर नागरिकों को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
इस्लामिस्ट हमास मूवमेंट ने कहा है कि समूह केवल उसी स्थिति में संघर्ष विराम स्वीकार करेगा, जब बदले में उसे कुछ हासिल होगा। हमास ने कहा है कि बदले में 2012 के संघर्ष विराम की बहाली और हाल के दिनों में बंदी बनाए गए कैदियों की रिहाई होनी चाहिए। जहां संकट का समाधान होता नजर नहीं आ रहा है, वहीं दुश्मनी खत्म करने के लिए बाहर से कूटनीतिक प्रयास तेज हो गए हैं।
मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र की आयुक्त नवी पिल्लै ने शुक्रवार को हमले में नागरिकों के मारे जाने पर अपनी चिंता जाहिर की और कहा कि रिपोर्ट से 'यह गंभीर संदेह उभरता है कि इजरायली हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानूनों के मुताबिक हो रहा है या नहीं।'
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने भी गुरुवार को इजरायल और गाजा में अबतक की सबसे भीषण हिंसा भड़कने का खतरा जताया था। अमेरिका ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का पक्ष लेते हुए समझौते में मदद की पेशकश की है।
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