लखनउ निर्भयाकांड में आखिर किसे बचा रही पुलिस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 21 जुलाई 2014

लखनउ निर्भयाकांड में आखिर किसे बचा रही पुलिस

  • अकेला सख्श कैसे महिला को मार डाला 
  • हेलमेट वाले अंजान व्यक्ति के साथ कैसे बाइक पर चली गयी महिला 
  • सच से परे है पुलिसिया खुलासा 

तीन दिन पहले लखनउ के मोहनलालगंज के प्राथमिक स्कूल में गैंगरेप के बाद नृशंस हत्या की पुलिस द्वारा सुलझाई गयी गुत्थी नागरिकों के गले के नीचे नहीं उतर रही। पुलिस ने जिस थ्योरी का सहारा लिया है उसमें वह खुद उलझती नजर आ रही है। लखनउ ही नहीं पूरे सूबे को दहला देने वाली इस जघंय निर्भयाकांड में आखिर किसे बचाना चाह रही है पुलिस, यह सवाल हर शख्स को अंदर ही कुरेद रहा है। जांच करने मौके पर पहुंची समाजसेविका नूतन ठाकुर व आशिष अवस्थी सहित आम जनमानस भी पुलिस के इस हरकत से सोच में पड़ गयी है। लोग जानना चाहते है कि अकेला सख्श कैसे महिला को मार डाला। हेलमेट वाले अंजान व्यक्ति के साथ कैसे महिला बाइक पर चली गयी। आखि रवह राजू है कौन जिसके एक फोन पर वह घर से निकल गयी। ये तमाम सवाल पुलिस के इस खुलासे पर प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए काफी है। 

पुलिस ने इस मामले में वारदात की रात रामसेवक और मृतका के फोनों की सर्विंलांस लोकोशन एक जगह पाई है। पुलिस ने रामसेवक को इस घटना का मुख्य अभियुक्त बनाकर गिरफ्तार किया है। उसके शरीर पर हाथापाई के दौरान लगे नाखूनों की खरोंचे मिलीं हैं। लेकिन ऊपर बताई थ्योरी में उठे सवालों का जबाव पुलिस खुद ही नहीं दे पा रही है। न तो पुलिस ने उस राजीव की पहचान सार्वजनिक की है जिसके नाम पर मृतका मोहनलालगंज तक चली गई थी? अगर मृतका राजीव को करीब से जानती थी तो उसने बाइक पर बैठने के बाद भी नहीं भांप पाई कि वह गलत व्यक्ति के साथ है। और न ही पुलिस के पास इस सवाल का जबाव नहीं है कि अकेला एक व्यक्ति डेढ़ इंच की चाभी से मृतका के निजी अंगों पर अकेले इतने प्रहार कैसे कर सकता है? 

सच तो यह है कि शुरआती दौर में लखनऊ में हुए दर्दनाक हादसे का खुलासा पहली दृष्टि में ही फर्जी लग रहा है एक ऐसा अनजान राजीव नाम का शख्स जिसे मृत महिला कभी नहीं मिली उसके कहने पर रात दस बजे महिला घर से निकलती है . जो शख्स कभी नहीं मिला वो हेलमेट लगाया था . महिला ने उसका चेहरा देखने की भी जरुरत महसूस नहीं की . उसने मोटर साइकिल पर बैठने को कहा और इतनी रात को वो बिना उसका चेहरा देखे बैठ गई . कई किलोमीटर दूर जाकर एक सुनसान स्कूल में हेलमेट उतारने पर महिला ने देखा अरे यह तो गार्ड रामसेवक है . राजीव नाम का शख्स कही दुनिया में ही नहीं है ..तीखे सवाल पूछने पर मैडम सुतापा नवनीत सिकेरा की तरफ माइक बढ़ाती है और सिकेरा एसएसपी प्रवीण कुमार की तरफ . सिकेरा इस तरह की कई फर्जी कहानी बनाने में पहले भी माहिर रहे है .दो दिन से पुलिस रामसेवक जिसे पुलिस हत्यारा मान रही है अपनी हिरासत में लिए हुए है और उससे अभी तक मृतका का मोबाइल और वो हथियार बरामद नहीं कर पाई जिससे महिला की हत्या की गई थी. यह असली कहानी से ज्यादा फ़िल्मी कहानी लगती है .




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---सुरेश गांधी---

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