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सोमवार, 14 जुलाई 2014

आलेख : महिला हिंसा का बढ़ता ग्राफ

women-tortured
मई के महीने में उत्तर प्रदेष के बंदायू जि़ले में दो दलित चचेरी बहनों के सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या के मामले ने एक बार फिर हमें अंतरराश्ट्रीय स्तर पर षर्मसार किया है। दोनों बहनों के सामूहिक बलात्कार के बाद उन्हें पेड़ से लटका दिया गया। जिस बर्बर तरीके से वारदात को अंजाम दिया गया उसने हिंदुस्तानी संस्कृति की ज़मीन को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया की भारत में महिलाअ¨ं की सुरक्षा पर अभी भी एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। हर घटना के बाद एक बार यह मामला तूल पकड़ता है लेकिन कुछ ही दिन बीतते-बीतते बैताल वापस अपनी डाल पर पहुंच जाता है। बल्कि हर बार महिलाअ¨ं के साथ ह¨ने वाले अपराध¨ं में वृद्धि ही पाई जाती है। इसके अलावा ऐसे मामलों में पुलिस का रवैया भी ठीक नहीं होता है। पीडि़ता रिपोर्ट दर्ज कराने जब पुलिस स्टेषन जाती जाती है तो पुलिस वाले उसकी रिपोर्ट लिखने के बजाय उसे ही दोश देने लगते हैं। बलात्कार के मामलों में साल दर साल इज़ाफा होता जा रहा है। 
          
बलात्कार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि बलात्कार से पीडि़त महिला बलात्कार के बाद स्वयं अपनी नज़रों मंे गिर जाती है और जिंदगी भर उसे उस अपराध की सज़ा भुगतनी पड़ती है, जिसने उसे नहीं किया। वर्श 2011 में देषभर में बलात्कार के कुल 7,112 मामले सामने आए, जबकि 2010 में 5,484 मामले ही दर्ज हुए थे। 2007 से 2011 की अवधि के दौरान अर्थात् चार सालों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो इस मामले में दिल्ली नंबर वन रही। एनसीबी के आंकड़ो के मुताबिक दिल्ली लगातार चैथे साल बलात्कार के मामले में सबसे आगे रही। विष्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रत्येक 54वें मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार होता है। राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेष इस मामले में सबसे आगे है। 2012 में दिल्ली में हुए दामिनी केस को जिस तरह से अंजाम दिया गया था उसने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए थे। मई महीने में हुए बंदायू केस पर तो अब तक लोगों की निगाहें टिकी हैं। देषी मीडिया के साथ साथ विदेषी मीडिया ने भी इस केस को खासी तवज्जो दी। 
          
भारत में महिलाओं पर हो रहे यौन हमले दुनिया में भारत की छवि पर कालिख पोत रहे हैं। संयुक्त राश्ट्रª के महासचिव बान की मून ने बंदायू घटना होने के बाद कहा था कि हमने पिछले दो सप्ताह में महिलाओं और लड़कियों पर भयानक हमले देखे हैं। चाहे नाइजीरिया से लेकर पकिस्तान हो या फिर कैलीफोर्निया से लेकर भारत हो। लेकिन मैं खासतौर पर हैरान हंू भारत में उन दो नाबालिग लड़कियों के बलात्कार और हत्या से जो सिर्फ इस वजह से घर से बाहर निकली थीं क्योंकि उनके घर में षौचालय नहीं था। बान की मून ने कहा था कि हमें यौन हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार नहीं। इस दौरान बान की मून ने कई घटनाओं का जिक्र किया। इनमें उत्तर प्रदेष के बदायंू में दो बहनों की गैंगरेप के बाद हत्या और लाष को पेड़ से टांगने के अलावा कैलीफोर्निया में प्यार से ठुकराने से नाराज़ 22 साल के लड़के के हाथों तीन महिलाओं की हत्या और पकिस्तान में अपनी इच्छा से षादी करने वाली गर्भवती महिला को पत्थर मार कर मारने की घटना षामिल है। इस बारे में अमेरिका ने भी साफ कहा था कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा डरावनी है। 
          
जम्मू कष्मीर राज्य में भी महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा में भी लगातार इज़ाफा होता जा रहा है। गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य मंे हर रोज़ जम्मु से श्रीनगर क¨ ज¨ड़ने वाली जवाहर टनल में के आर पार एक घटना घटित होती है। जम्मू एवं कष्मीर में भी महिलाओं के साथ होने वाले हादसों की एक लहर सी दौड़ रही है। पिछले दिनों अनंतनाग जि़ले के वेरीनाग में आवारा लड़कों ने एक बस को बिना किसी खौफ के निषाना बनाकर छात्राओं के साथ साथ छेड़छाड़ की, जबकि दूसरे दिन कोलगाम में एक अध्यापक पर छात्रा के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा। इसके अलावा किष्तवा ड़ में चार लड़कों ने एक 15 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। जम्मू कष्मीर में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं में लगातार इज़ाफा हो रहा है। अगर 2012 की बात की जाए तो राज्य में 2012 में सामूहिक बलात्कार की 303 घटनाएं घटित हुईं, वहीं 2013 में यह तादाद बढ़कर 378 पहंुच गई। इन आंकड़ों की रोषनी में कहा जा सकता है कि  राज्य में अ©सतन प्रति दिन एक महिला के साथ बलात्कार ह¨ता है। सवाल यह पैदा होता है कि आखिर नारी जाति के साथ बढ़ते हादसों पर लगाम कब लगेगी? आखिर क्या वजह है कि वारदात को अंजाम देने वाले लोगों के इरादे इतने बुलंद होते जा रहे हैं? आखिर कहीं तो कमी है? महिलाओं  के खिलाफ उत्पीड़न और अत्याचार तब तक नहीं थम सकता जब तक हम महिलाओं  को सम्मान की निगाह से नहीं देखेंगे। जिस दिन पुरूश महिलाओं को सम्मान से देखना षुरू कर देंगे उसी दिन समस्या का समाधान अपने आप हो जाएगा। इसके बावजूद भी अगर कोई इस तरह की घटना को अंजाम देता है तो उसे कानूनी रूप से कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए।










नाजि़म अली मिन्हास
(चरखा फीचर्स)

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