कांग्रेस पार्टी को राजी करने की पहलकदमी के रूप में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार प्रस्तावित बीमा संशोधन विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में ही पारित कराने के लिए इसमें छोटे मोटे फेरबदल करने को तैयार है। जेटली ने कहा कि सरकार चाहती है कि यह विधेयक जो 2008 से लंबित है, किसी तरह पास हो जाए। यदि वे (कांग्रेस) इसमें छोटा मोटा सुधार चाहते हैं तो उन्हें इसका सुझाव देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस मामले में आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक हुई थी लेकिन उसमें कोई सहमति नहीं बन पाई।
जेटली ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि सबका इरादा आगे बढने का है और यदि सचमुच आगे बढने की मंशा है तो तीन ही विकल्प हैं। या तो इसे इसी रूप में पारित किया जाए क्योंकि यह संप्रग के समय का विधेयक है जिसमें बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। दूसरा विकल्प है कि यदि संप्रग ने अपना मन बदल लिया है तो उन्हें इस विधेयक के प्रस्ताव को सदन में नामंजूर करवा देना चाहिए लेकिन ऐसी स्थिति में यह विधेयक दूसरे सदन (लोकसभा) में मंजूर होगा। तीसरा विकल्प यह है कि यदि संप्रग कुछ छोटा मोटा सुधार चाहे तो वह सुझाव दे।
इसके अलावा चौथी संभावना यही है कि इस विधेयक पर कुछ मत कीजिए और इसे लटकाए रखिए। लेकिन मेरी राय में इसका कोई औचित्य नहीं है। गौरतलब है कि यह विधेयक आज राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया जाना था लेकिन सरकार ने कल रात इसे तय सूची से हटा लिया था। राज्यसभा में सत्तारूढ राजग बहुमत में नहीं है और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस विधेयक को एक प्रवर समिति के समक्ष रखे जाने के लिए राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को पत्र लिखा है।
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