सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की 2017 में होने वाली 350वीं जयंती से पहले गुरुगोविंद सिंह की जन्मस्थली को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनाने के क्रम में अनिवासी भारतीय (एनआरआई) और पूरे भारत के व्यवसाई लगभग 600 करोड़ रुपये का योगदान देंगे। तख्त हरमंदिर साहिब के अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सहित दुनिया भर के अनिवासी भारतीय और मुंबई, दिल्ली, लुधियाना, कोलकाता और अन्य शहरों के व्यवसायी हरमंदिर साहिब को विकसित करने में योगदान के लिए आगे आए हैं।
गुरुगोविंद सिंह की 350वीं जयंती पर दुनियाभर से लगभग 50 लाख लोगों, खासतौर से सिखों के आने की उम्मीद है। तख्त प्रबंधक समिति के महासचिव चरणजीत सिंह ने बताया, "इसे विकसित करने के लिए अनिवासी भारतीयों और व्यवसाइयों से उम्मीद के मुताबिक धनराशि का योगदान मिलने में समस्या नहीं होगी।" तख्त हरमंदिर साहिब के एक अधिकारी आर.एस. जीत ने बताया कि 350वीं जयंती से पहले हरमंदिर साहिब के निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम पूरा करने के लिए तेजी से काम चल रहा है।
परियोजना के तहत स्वर्ण मंदिर की तरह स्वर्ण गुरु दरबार बनाने की योजना है। जीत ने बताया कि स्वर्ण गुरु दरबार का मुख्य आकर्षण सोने से जड़ी इसकी छत होगी। उन्होंने बताया, "पूरी परियोजना में सोने के काम की कीमत 50 करोड़ रुपये होगी।" ब्रिटेन के बाबा मोहिंदर सिंह, गुरु दरबार के विकास कार्य में धनराशि दे रहे हैं, जिसमें 100 वाहनों की क्षमता वाली पार्किं ग भी शामिल है। मुंबई के व्यवसाई इकबाल सिंह और सुरजीत सिंह गुरुद्वारा कर्मचारियों के लिए 100 कमरों के निर्माण के लिए धनराशि दे रहे हैं।
समिति श्रद्धालुओं के लिए 100 पूर्ण वातानुकूलित कमरों का निर्माण करा रही है और एक वातानुकूलित दीवान हॉल बनावाने की योजना बना रही है। पटना साहिब के चौतरफा विकास के लिए समित ने केंद्र सरकार को 1,200 करोड़ रुपये की धनराशि देने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें पटना साहिब को पवित्र शहर का दर्जा दिए जाने की मांग भी की गई है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वह शहर में सिख परिपथ बनाने को लेकर उत्सुक हैं। मांझी ने हाल ही में तख्त हरमंदिर साहिब का दौरा किया था और समिति को परियोजना पूरी करने और 2017 के आयोजन को सफल बनाने के लिए हर संभव मदद देने का वादा किया था।
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