महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग हुई भाजपा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 25 सितंबर 2014

महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग हुई भाजपा


devendra fadnavis
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' के सवाल पर ठनी रार के कारण गठबंधन की बात नहीं बनी। राज्य में भाजपा और शिवसेना 25 वर्ष बाद विधानसभा चुनाव में आमने-सामने होगी। दोनों पार्टियों ने गुरुवार को आघाड़ी तोड़ने का फैसला ले लिया। राज्य भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने घोषणा की कि सीटों को लेकर बात नहीं बनने के कारण 'भाजपा और शिवसेना ने अपनी-अपनी राह चलने का फैसला लिया है।' विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर तीन सप्ताह से दोनों पार्टियों के बीच रस्साकशी चल रही थी। भाजपा अब समानधर्मा छोटी पार्टियों की मदद लेकर चुनाव में उतरेगी।

शिवसेना के एक नेता ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत से भाजपा 'घोर अहंकारी' हो गई है। गठबंधन टूटने की दोषी वही है। कई दिनों से इस बात पर मंथन होता रहा कि कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी और मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी कौन होगा, लेकिन अंत तक निष्कर्ष नहीं निकल सका। फड़नवीस ने कहा, "हमने आखिरी क्षण तक अपनी ओर से गठबंधन बचाने की पुरजोर कोशिश की।" "शिवसेना की तरफ से सीटों के तालमेल पर हालांकि कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं आया जो सभी घटकों को सम्मानजनक रूप से स्वीकार्य होता।" उन्होंने कहा, "इसीलिए हमने अपनी-अपनी राह चलने का फैसला लिया है।"

घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिव सेना के सांसद आनंदराव अदसुल ने आरोप लगाया कि भाजपा का शिव सेना के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ उसकी 'गुप्त साझीदारी' है। कोई अधिकृत बयान नहीं आने के बावजूद इस बात पर अनुमानों का बाजार गर्म हो गया है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में शिव सेना की नुमाइंदगी बनी रहेगी या नहीं। यहां इस बात की भी खबरें हैं कि मोदी सरकार में सेना के एक मात्र मंत्री अनंत गीते नई दिल्ली से मुंबई के लिए रवाना हो चुके हैं। 

फड़नवीस ने हालांकि यह कहा कि भाजपा का शिवसेना के साथ 'दोस्ताना' सलामत रहेगा और चुनाव प्रचार के दौरान उनकी पार्टी अपने 'दोस्त' के खिलाफ मुंह नहीं खोलेगी। उन्होंने कहा, "हमें इस घटनाक्रम पर खेद है और दुखी हैं, लेकिन हमारे पास कोई चारा नहीं था क्योंकि शिवसेना आखिरी समय तक सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हुई।"फड़नवीस ने कहा, "नामांकन दाखिल करने की तिथि 27 सितंबर तक ही है और हमें न चाहते हुए भी यह फैसला लेना पड़ा है।"

महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता एकनाथ खड़से ने कहा कि शिवसेना की चर्चा मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के इर्द-गिर्द घूमती रह गई। शिवसेना 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 151 सीटों पर प्रत्याशी उतारने के अपने पैंतरे से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हुई। शिवसेना ने भाजपा, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-अठावले (आरपीआई-ए), स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (एसएसएस), राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) और शिव संग्राम के खाते में 137 सीटें छोड़ी, मगर बात नहीं बनी। इन पार्टियों में से एसएसएस, आरएसपी और शिव संग्राम ने 15 अक्टूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ उतरने का फैसला लिया है।

खड़से ने कहा, "हमारा संयुक्त प्रयास महाराष्ट्र से किसी भी कीमत पर कांग्रेस-राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) को उखाड़ फेंकने के लिए था।" भाजपा और शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने आईएएनएस को 19 सितंबर को ही संकेत दे दिया था कि गठबंधन टूट रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था, "यह टूटने के कगार पर है। केवल औपचारिक घोषणा भर बाकी है और उसीकी प्रतीक्षा है।" इसी तरह शिवसेना के एक पदाधिकारी ने आईएएनएस को संकेत दिया था कि गठबंधन 'टूट चुका' है, लेकिन पार्टी ने अपना रुख तय करने के पहले घटनाक्रम की प्रतीक्षा करने का फैसला लिया है। शिवसेना और भाजपा छह दलों वाले विशाल गठबंधन का हिस्सा थीं। टूट से पहले विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन के जीतने का अनुमान जाहिर किया जा रहा था।

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