मेघालय में आई भयंकर बाढ़ में मरने वालों की संख्या गुरुवार को 39 हो गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। बाढ़ प्रभावित गारो हिल्स क्षेत्र में स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि यदि पहले से एहतियात नहीं बरता गया, तो बाढ़ का पानी कम होने के बाद डायरिया, हैजा और आंत्रशोध जैसी बीमारियां फैलने का खतरा है। स्वास्थ्य सेवा निदेशक ई. डखार ने बताया, "बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अगले 10 से 15 दिनों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद जल जनित बीमारियों के फैलने की आशंका है।"
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि आधिकारिक रूप से अब तक बाढ़ में मरने वालों की संख्या 39 बताई गई है, जबकि कई लोग अब भी लापता हैं। ब्रह्मपुत्र और जिंगिरम नदियों में आई बाढ़ में 300 से ज्यादा गांव डूब गए और एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 85 राहत शिविर स्थापित किए हैं। पश्चिमी गारो हिल्स जिले के मजिस्ट्रेट प्रवीण बख्शी ने कहा, "निचले क्षेत्रों में बसे राजबाला, चिबिनांग, सेल्सेला, टिकरिकिल्ला, चरबाटपाड़ा और पुशकुरनिपरा जैसे इलाके अब भी बाढ़ में डूबे हैं।"
बख्शी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अर्धसैनिक बलों को बचाव अभियान में लगाया गया है। राज्य में आई भीषण बाढ़ ने न सिर्फ सड़कों, पुलों और खेतों में लगी फसलों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पशुधन और संरक्षित खाद्यान भी बाढ़ में तबाही में बर्बाद हो गए।
डखार ने बताया, "मोबाइल मेडिकल टीम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है और लोगों के बीच ओआरएस और डायरिया रोधक दवाएं बांटी गई हैं।" मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र से वित्तीय सहायता मांगी है।
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