कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हत्या व दुष्कर्म से संबंधित एक बयान के मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पॉल के खिलाफ अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) की जांच के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए गुरुवार को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। न्यायालय के इस फैसले को पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के लिए झटके रूप में देखा जा रहा है। पॉल और राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति निशिता म्हात्रे ने न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं की हत्या करने और उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को भेजने से संबंधित बयान के लिए पॉल के खिलाफ सीआईडी जांच के आदेश दिया।
न्यायमूर्ति म्हात्रे ने न्यायमूर्ति गिरिश चंद्र गुप्ता और न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ द्वारा विभाजित फैसला देने के बाद अपील पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति म्हात्रे ने हालांकि, यह स्पष्ट किया कि सीआईडी जांच पर न्यायालय निगरानी नहीं रखेगा। न्यायालय का गुरुवार को आया यह आदेश वर्ष 2013 में बीरभूम जिले में पंचायत के एक निर्दलीय सदस्य की हत्या किए जाने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने का आदेश देने के एक दिन बाद आया है। पॉल नाडिया जिले के कृष्णानगर संसदीय सीट से सांसद हैं। उन्हें उस वक्त देशभर में रोष का सामना करना पड़ा था जब तृणमूल के कार्यकर्ता को हत्या के लिए उकसाने वाला उनका वीडियो टेलीविजन पर जारी हुआ था।
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