सीधी (मध्यप्रदेश) की खबर (24 सितम्बर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 सितंबर 2014

सीधी (मध्यप्रदेश) की खबर (24 सितम्बर)

कृषि महोत्सव का आयोजन 25 सितम्बर से 20 अक्टूबर तक होगा

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सीधी 24 सितम्बर 2014     जिले में 25 सितम्बर से 20 अक्टूबर 2014 तक कृषि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।  आयोजन का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं सम्बद्ध विषयों जैसे-पशु पालन, उद्यानिकी, मछली पालन आदि पर किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों के मध्य सीधा सम्पर्क कायम कर दोनों के मध्य नवीन एवं वैज्ञानिकी तकनीकी सुधार से वर्तमान फसलों की उत्पादकता बढ़ाना एवं नवीन फसल (किस्मों) की संभावनाओं के आधार पर भविष्य में प्रदेश के फसल चक्र को परिवर्तन कर कृषि को लाभ का धंधा बनाना है। सम्पूर्ण कार्यक्रम किसान एवं कृषि केन्द्रित रहेगा। जिले में 25 सितम्बर से 20 अक्टूबर 2014 के मध्य कृषि महोत्सव अंतर्गत विभिन्न आयोजन जिला, विकासखण्ड एवं ग्राम स्तर पर आयोजित किए जावेंगें, जिसमें किसान कल्याण तथा कृषि विकास, मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य विभाग, सहकारिता, पंचायत और ग्रामीण विकास, वन, जल संसाधन, उर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, राजस्व, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, स्कूल शिक्षा, आदिवासी विकास, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं संबंधित संस्थाएं, विज्ञान केन्द्र, पंचायती राज संस्थान से संबद्ध विभाग एवं संस्थाएं भाग लेंगे। इन समस्त कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधिगण एवं त्रि-स्तरीय, पंचायती राज के प्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित की जावेगी। विभिन्न विभागों से संबंधित मुख्य गतिविधियां आयोजित होंगी।

श्री राजबली सिंह के निधन पर शोक-संवेदना

टोंकों-रोंकों-ठोंकों क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी जिले के सहकारिता आंदोलन के पुरौधा श्री राजबली सिंह के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया हैं। शोक संवेदना प्रगट करते हुए श्री तिवारी ने कहा है कि श्री राजबली सिंह पुरूषार्थी व्यक्तित्व के थे, वह बिषम परिस्थियों में भी कभी अपने को समझौता बादी नही बनाया। वह अपने राजनैतिक जीवन में कभी समय देख कर पाला नही बदला। वह बीना लाग लपेट के खरी-खरीं बात करते थे। श्री राजबली सिंह कभी पार्टी, जाति, संप्रदाय जैसी संकीर्णता के नजरिये से अपना दृष्टिकोण तय नही करते थे। जिले में राजबली सिंह और सहकारिता पर्यायवाची थे। पदधारण के दौरान उनकी प्रशासनिक कसावट बेजोड़ रहती थी। जन संघर्ष एवं जन आंदोलन के कार्य मे लगे लोगों का वह बहुत ही आदर करते थे। श्री राजबली सिंह के वाणी और कार्यो में जितनी कडक और दृढता रहती थी, उससे जादा घर आयें लोगांे के आदर में मिठास उनके स्वागत मंे रहती थी । श्री तिवारी ने कहा की श्री राजबली सिंह के निधन से मेरी व्यक्तिगत छति हुई है क्योंकि उनसे मेरा संबध मेरे छात्र जीवन की राजनीति के समय से अनवरत बना रहा है। दुख की इस घडी में हम सब उनके परिवार के साथ है।

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