उत्तराखंड की विस्तृत खबर (23 सितम्बर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 23 सितंबर 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (23 सितम्बर)

केदारनाथ इलाके के लिए रिसैटलमेंट आयोग का होगा गठन: मुख्यमंत्री
  • सेवानिवृत न्यायाधीश होगें इस आयोग के अध्यक्ष

uttrakhand news
देहरादून 23 सितम्बर, (निस)। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण व पुनर्वास में श्री केदारनाथ मंदिर की गरिमा सुनिश्चित की जाए। साथ ही पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्य वैज्ञानिक ढंग से हो। कि अगले वर्ष केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ होने से पूर्व सारे काम किए जाने हैं। इसलिए समयबद्धता का पालन किया जाए। केदारनाथ मंदिर से देश विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाए ंजुड़ी हैं। इसकी कार्ययोजना में धार्मिक विश्वास व परम्पराओं का भी ध्यान रखा जाए। केदारनाथ व केदारनाथ मार्ग पर प्रभावितों के पुनर्वास का काम पारदर्शिता व निष्पक्षता से स्वतंत्र रूप से हो सके, इसके लिए सेवानिवृŸा न्यायाधीश की अध्यक्षता में रिसैटलमेंट आयोग गठित किया जाए। मंगलवार को सचिवालय में केदारनाथ के पुनर्निर्माण व पुनर्वास के फेज-2 की कार्ययोजना की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक में सलाहकार इंदुकुमार पाण्डे, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव एसएस संधु, सचिव भाष्करानंद, मोहम्मद शाहिद, अमित नेगी, डीएम रूद्रप्रयाग डा.राघव लांगर सहित अन्य अधिकारी थे। 

तीर्थ पुरोहितों से पुनर्वास मामलों में ली जाए उनकी सलाह 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि तीर्थ पुरोहितों के पुनर्वास में उनकी सलाह ली जाए और उनके वाजिब हितों को सुनिश्चित किया जाए। केदारनाथ मंदिर के चारों ओर के परिसर को इस तरह से विकसित किया जाए कि भविष्य में मंदिर व श्रद्धालुओं की सुरक्षा में कमी ना रहे। मंदाकिनी व सरस्वती नदियों के बीच में पूरी प्लानिंग के साथ ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण किया जाए। मंदिर को तीन स्तरीय सुरक्षा दीवार से सुरक्षा दी जाए। जीएसआई की मदद के साथ ही कंसल्टेंसी के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बीडिंग की जाए। श्री केदारनाथ धाम की सुरक्षा को लेकर कोई हीलाहवाली स्वीकार्य नहीं होगी। कार्ययोजना इस प्रकार की बनाई जाए कि मंदिर दूर से ही स्पष्ट दिखाई दे। मुख्यमत्रंी ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है कि केदारनाथ में प्रवेश के लिए बनाए गए पुल से लेकर मंदिर तक कोई अवरोध ना हो। इस बीच में गलियारे को खुला रखा जाए। शेष भूमि पर तीर्थ पुरोहितों के पुनर्वास के लिए बातचीत की जाए और इससेे संबंधित हर निर्णय में  तीर्थपुरोहितों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। मंदिर के पीछे की तरफ कोई निर्माण नहीं किया जाए। सरस्वती व मंदाकिनी नदियों में स्थायी प्रकृति के रिवर ट्रेनिंग के लिए कार्ययोजना बनाते समय लक्ष्य रखा जाए कि केदारनाथ आपदा में जिस गति का फ्लश फ्लड आया था उसे रोकने की उसमें क्षमता हो। सिंचाई विभाग घाट निर्माण का काम प्रारम्भ कर दे। 

रामबाड़ा का विकल्प बने छोटी लैंनचोली व बड़ी लेंचोली 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि छोटा लैंनचोली से बड़ा लेंचोली तक के क्षेत्र को रामबाड़ा के विकल्प के रूप में विकसित किया जाए। समूचे केदारनाथ मार्ग पर जो भी व्यक्ति अपनी स्वामित्व की भूमि पर रेस्टोरेंट, ढ़ाबा या अन्य व्यावसायिक काम करना चाहता है उसे सरकार की योजनाओं के अंतर्गत लाभ दिलाकर प्रोत्साहित किया जाए। गौरीकुंड से केदारनाथ मार्ग को जहां भी जितना भी संभव हो सके चैड़ा किया जाए। जगह-जगह पर सोलिड वेस्ट मेनेजमेंट के लिए उचित प्रबंध किए जाएं। कई फीट हिमपात से केदारनाथ में मार्ग बंद हो जाता है। बर्फ को हटाने के लिए आवश्यक संख्या में स्नो-ब्लोअर खरीद लिए जाएं। 

केन्द्र पर लगाया सौतेला व्यवहार का आरोप 

देहरादून 23 सितम्बर, (निस)। उत्तराखण्ड सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मत्री धीरेन्द्र प्रताप ने केन्द्र सरकार पर उत्तराखण्ड के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया है। उत्तराखण्ड काग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ राज्य के छह जिलो के आठ दिवसीय दौरे के बाद यहां पहुंचे धीरेन्द्र प्रताप ने पत्रकार वार्ता के दौरान आरोप लगाया कि अब जबकि राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले एक मास के करीब हो गया है, केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड सरकार के आपदा व अन्य परेशानियो से जूझने के लिए मागें गए 4000 करोड़ रूपयो के पैकेज की मागं पर ‘एक ईकन्नी’ तक देने का एलान नही किया है। उन्होने इसे केन्द्र के सौतेले व पक्षपातपूर्ण व्यवहार का जीता जागता उदाहरण बताते हुए कहा है कि ‘एक ओर तो भाजपा के प्रदेश के नेता राज्य सरकार पर विकास की अनदेखी के आरोप लगाते थक नही रहे हैं जबकि दुसरी ओर राज्य की विकास योजनाओ के लिए केन्द्र के पास कोई कार्यक्रम नही है तथा ये पाचों भाजपाई सांसद भी राज्य की जरूरतों पर धृतराष्ट की तरह अन्धे बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को बद्रीनाथ व केदारनाथ के रखरखाव के लिए भारी ससंाधनो की जरूरत है परन्तु भाजपा की केन्द्र सरकार है कि हिन्दुओ के तीर्थस्थानो तक के लिए पैसे देने को तैयार नही है, जिससे नवोदित राज्य की विकास परियोजनाओ पर भारी असर पडा हैं। उन्होंने कहा कि काग्रेस ने गैरसैण में काग्रेस मुख्यालय खोल कर, उत्तराखण्डी शहीदो व राज्य आन्दोलनकारियों की भावना का सम्मान कर गैरसैण को राज्य की भावी राजधानी बनाने की ओर कदम बढा दिए है जबकि भाजपा है कि ह आज भी गैरसैण को राजधानी बनाने की काग्रेसी प्रयासों का विरोध करने से बाज नही आ रही है जो शहीदो का अपमान है। 

ऊर्जा के नए-नए तरीके विकसित करने की जरूरत

देहरादून/ऋषिकेश, 23 सितम्बर, (निस)। आज विश्व में ऊर्जा के नए-नए तरीके विकसित करने की जरूरत है। हमारा विकास ऐसा हो जिसमें कम से कम कार्बन का निर्माण हो। हमारी जलवायु दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है और यह एक राष्ट्रीय समस्या बन रही है। जलवायु में तेजी से आ रहे परिवर्तनों के प्रति पूरी दुनिया को चेत जाना चाहिए और इसमें सुधार के लिए हर सम्भव प्रयास किये जाने चाहिए। यह उद्गार आज अमेरिका के न्यूयार्क में विश्व शान्ति दिवस पर आहूत शान्ति मार्च के मौके पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने व्यक्त किए। परमार्थ प्रवक्ता राम महेश मिश्र ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विश्व शान्ति दिवस पर न्यूयार्क में ‘शान्ति मार्च’ भी निकाला गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान-की-मून के नेतृत्व में निकाले गए इस मार्च में यूएनओ के उप-महासचिव जान एलिएशन एवं अमेरिका के पूर्व-उपराष्ट्रपति श्री अलगोर सहित विश्व के कई नेताओं और धर्मगुरुओं ने भाग लिया। यह मार्च यूएनओ से शुरू हुआ और लगभग पाँच घण्टे तक न्यूयार्क के विभिन्न हिस्सों में निकला। भारत और हिन्दू धर्म की ओर से तीर्थनगरी ऋषिकेश के प्रख्यात सन्त श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पीस मार्च में शिरकत की। मार्च के अन्त में सभी ने विश्व पर्यावरण शान्ति के लिए सम्पन्न सामूहिक प्रार्थना में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर श्री स्वामी जी ने कहा कि आज पृथ्वी संकट में है। माँ ने सदैव बच्चों को संभाला है, आज आवश्यकता है कि दुनिया भर के उसके सारे बच्चे मिलकर माँ को संभालें। आज धरती माँ बीमार है, हम सब मिलकर उसका इलाज करके उसे बचा लें। तभी हमारी खुद की भी रक्षा हो सकेगी। उन्हांेंने कहा कि विकास के लिए नए-नए प्लाॅन तो कभी भी सम्भव हो सकते हैं लेकिन यदि प्लैनेट अर्थात् पष्थ्वी नहीं होगी तो किसी प्लाॅन का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने वैश्विक जीवन की दिशाओं तथा सोचने व करने के ढंग को बदलने का सुझाव दिया। श्री स्वामी जी ने कहा कि आज पूरी दुनिया को इस अभियान से जुड़ने की जरूरत है क्योंकि सभी आपस में जुड़े हुए हैं और एक कोने का प्रभाव दूसरे क्षेत्रों तथा कोने पर पड़ता है। विश्व जलवायु की रक्षा के लिए उन्हांेने ग्रीन क्लाईमेट फण्ड बनाये जाने का भी सुझाव दिया, जिस पर सभी ने अपनी सहमति जताई। इस अवसर पर पूर्व उपराष्ट्रपति श्री अलगोर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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