आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में दोषी ठहराये जाने और चार साल की सजा पाने के बाद बेंगलूर की जेल में बंद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता ने जमानत के लिए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। इससे पहले, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पिछले 12 दिन से जेल में बंद अन्नाद्रमुक प्रमुख ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है जिसने उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था। जयललिता शीर्ष अदालत से कल मामले का उल्लेख करने की अवधि के दौरान जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध कर सकती हैं।
जयललिता ने याचिका में तत्काल राहत का अनुरोध करते हुये कहा है कि उन्हें इस मामले में चार साल की कैद की सजा सुनायी गई है और वह कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक ने कहा था कि जयललिता को सशर्त जमानत दिए जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बावजूद सात अक्तूबर को उच्च न्यायालय ने 66 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री को जमानत देने से इंकार कर दिया था।
विशेष अदालत द्वारा सुनायी गई सजा को चुनौती देते हुए जयललिता ने कहा है कि 1991 से 1996 के दौरान उनके बतौर मुख्यमंत्री प्रथम कार्यकाल में संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने यह संपत्ति कानूनी तरीकों से प्राप्त की थी। जयललिता ने यह भी तर्क दिया है कि निचली अदालत ने कई फैसलों को नजरअंदाज किया और आयकर अपीली न्यायाधिकरण के अनेक आदेशों और फैसलों पर विचार नहीं किया जिसने आय और खर्च के बारे में उनके तर्क स्वीकार किए थे।
उच्च न्यायालय ने जयललिता को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार मानव अधिकारों के उल्लंघन जैसा है और इससे आर्थिक असंतुलन होता है। उच्च न्यायालय ने जयललिता की सहयोगी शशिकला और उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरण और इलावरासी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। विशेष अदालत ने इन सभी को 18 साल पुराने मामले में चार चार साल की कैद की सजा सुनाई थी और इस समय ये सभी जेल में हैं। अदालत ने जयललिता पर सौ करोड रुपये और अन्य सभी अभियुक्तों पर दस दस करोड़ रुपये का जुर्माना किया था।
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