गंगा नदी में प्रदूषण रोकने के तौर तरीके ढूंढने में सरकार के जुटे रहने के बीच केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि इस पावन नदी के तटों पर अस्थि विसर्जन नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘गंगा में अस्थि विसर्जन पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन यह नदी के मध्य में गहरे पानी में किया जाना चाहिए न कि तटों पर. हम तटों पर अस्थि विसर्जन नहीं करने देंगे.’’
पुनर्गठित राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की यहां पहली बैठक के बाद मंत्री ने कहा कि जहां तक अस्थि विसर्जन की बात है तो संतों ने हमसे कह दिया है कि हम जो भी फैसला करेंगे, उन्हें वह स्वीकार्य होगा.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि आधी जली हुई लकड़ी नदी में नहीं फेंकी जाए, श्मशानघाट के डिजायन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक दाह संस्कार की बात है तो दोनों की विकल्प- लकड़ियों से दाह संस्कार और इलेक्ट्रिक दाह संस्कार खुले हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसी की अंतिम इच्छा लकड़ियों से दाह संस्कार कराए जाने की है तो यह सुनिश्चित किया जाए कि वह कम से कम लकड़ियों से हो. मैंने हमेशा ही एक ऐसे डिजायन की बात की है जिसमें कम लकड़ियां खपत होती हों. यदि साधु हमसे कहते हैं कि इलेक्ट्रिक दाह संस्कार ठीक है तो हमें दोनों तरह के दाह संस्कार सुनिश्चित कर सकते हैं.’’
उमा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लकड़ियों वाले दाह संस्कार को लेकर मैंने सिर्फ इतना कहा था कि डिजायन ऐसा हो कि कम से कम लकड़ियों की जरूरत हो तथा शव पूरी तरह जल जाए ताकि आधी जली हुई लकड़ियां नदी में नहीं फेंकी जाए.’’ उन्होंने कहा कि आईआईटी, राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान तथा सीपीसीबी वाली तकनीकी समिति द्वारा संतों के साथ परामर्श कर समीक्षा किए जाने के बाद ही उसे लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पूजा सामग्रियों के विसर्जन पर कोई रोक नहीं होगी. लेकिन श्रद्धालुओं की नजर से दूर जाल से इन सामग्रियों को निकाला जा सकता है. इसमें एनजीओ और नगर निकाय शामिल हो सकते हैं.
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