ई कॉमर्स व्यापार के लिए रेगुलेटरी ऑथोरटी के गठन की मांग की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

ई कॉमर्स व्यापार के लिए रेगुलेटरी ऑथोरटी के गठन की मांग की

  • ई कॉमर्स व्यापार में विसंगतियों को लेकर कैट प्रतिनिधि मंडल वाणिज्य मंत्री से मिला
  • ई कॉमर्स व्यापार के  लिए रेगुलेटरी ऑथोरटी के गठन की मांग की

businessman-demand-authority-agains-e-commerce
ई कॉमर्स व्यापार में चल रही विसंगतियों को लेकर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से दिल्ली में उद्योग भवन के उनके कार्यालय में मिला और एक ज्ञापन देकर ऑनलाइन रिटेल व्यापार के मौजूदा स्वरुप पर गंभीर सवाल उठाते हुए कैट ने मांग की की सरकार ई कॉमर्स का व्यापार कर रही कम्पनियों के व्यापार मॉडल और कीमतें तय करने के तौर तरीकों की विस्तृत जांच कराये और ई कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित करने एवंम उस पर निगरानी रखने के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन भी करे ! कैट ने यह भी मांग की है की यह कंपनियां टैक्स कानूनों की किस प्रकार पालना कर रही हैं उसकी भी जांच की जाए! कैट ने यह भी कहा है की ऑनलाइन व्यापार का बाज़ारों पर क्या असर पड़ रहा है उसका अध्यन करने के लिए विशेषज्ञों और सम्बंधित वर्ग़ों की एक समिति गठित  की जाए !

कैट ने श्रीमती सीतारमण से यह भी आग्रह  किया है की देश के घरेलू व्यापार को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए तथा घरेलू व्यापार में वृद्धि हेतु व्यापार के और बेहतर अवसर पैदा करने के लिए एक बोर्ड ऑफ़ इंटरनल ट्रेड का गठन किया जाए वहीँ दूसरी और रिटेल व्यापार के लिए भी एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की जाए !

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल और कैट दिल्ली के उपाध्यक्ष एवं विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा सहित कैट के अन्य नेता प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए ! इस मुद्दे पर आज नई दिल्ली में कैट ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया जिसमें कैट के प्रदेश अध्यक्ष श्री रमेश खन्ना, प्रदेश चेयरमैन श्री नरेंद्र मदान, प्रदेश महामंत्री श्री विजय पाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सतीश गर्ग, कैट बोर्ड के प्रधान श्री राज कुमार बिंदल, वीट समिति के अध्यक्ष श्री सत्य भूषण जैन, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री देवेंदर मलिक आदि शामिल थे! आल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कैलाश लख्यानी एवं उपाध्यक्ष श्री तजिंदर सिंह एवं दिल्ली मोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के महामंत्री श्री धीरज मलिक भी सम्मिलन में शामिल हुए !

कैट प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कैट द्वारा ऑनलाइन व्यापार पर उठाये गए सवालों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा की इन ऐतराजों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और आवशयक कदम भी जल्द ही उठाये जाएंगे! उन्होंने कहा की किसी भी सूरत में अनुचित प्रतिस्पर्धा को इजाजत नहीं दी जा सकती! उन्होंने यह भी कहा की किसी भी सेक्टर के सुव्यवस्थित सञ्चालन हेतु चेक एंड बैलन्सेस का होना बेहद आवश्यक है और सभी सेक्टरों को इसका पालन भी करना चाहिए ! उन्होंने स्पष्ट किया की देश में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और अच्छे व्यापारिक वातावरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है ! रिटेल व्यापार के लिए बोर्ड ऑफ़ इंटरनल ट्रेड के प्रस्ताव की सराहना करते हुए उन्होंने कहा की इस पर बेहद गंभीरता से विचार करते हुए निर्णय लिया जायेगा ! 

श्रीमती सीतारमण से बातचीत करते हुए श्री खण्डेलवाल ने बेहद बुनियादी सवाल उठाते हुए कहा की ऑनलाइन व्यापार एक तकनिकी प्लेटफार्म हैं जहाँ पंजीकृत विक्रेता अपने माल बेचते हैं ! एक विक्रेता आज किसी वस्तु को एक निश्चित दाम पर बेच रहा है और किसी बड़ी सेल के दिन अचानक उस वस्तु की कीमत काफी कम हो जाती है और सेल ख़त्म होने के बाद वही वस्तु फिर पुराने दाम पर बेचीं जाती है ! उन्होंने जानना चाहा की वो कौन सी प्रणाली है जिसके चलते कीमत एक दम कम हो जाती है! इसकी जांच बेहद जरूरी है क्योंकि इसका सीधा विपरीत प्रभाव घरेलू बाज़ार पर पड़ रहा है और प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन भी है !



श्री खण्डेलवाल ने यह भी कहा की एक तरफ तो व्यापारियों पर अनेक कानूनों की पालना करने की जिम्मेदारी है जो अनेक सरकारी विभागों द्वारा संचालित होते हैं वहीँ ई कॉमर्स व्यापार के लिए कोई स्थापित कानून ही नहीं है जिसके कारण ऑनलाइन रिटेलर्स अपनी मन मर्जी से व्यापार कर रहे हैं ! उन्होंने कहा की लीगल मैट्रोलोजी (पैकेज कमोडिटी) रूल, 2011 के अनुसार किसी भी वस्तु के प्रत्येक पैकेज पर निर्माता का नाम, निर्माण की तारीख, कीमत, कस्टमर केयर नंबर आदि लिखना आवश्यक है किन्तु ऑनलाइन व्यापार के किसी भी पैकेज पर इस कानून की पालना नहीं हो रही ! क्या ऑनलाइन व्यापार और घरेलू व्यापार के लिए दो तरह के कानून हैं ? उन्होंने यह भी कहा की ऑनलाइन कंपनियां एक राज्य के वैट विभाग से पंजीकृत होती हैं लेकिन माल की डिलीवरी देश भर में करती है ! वैट कानून का तकाजा है की माल की खपत करने वाले राज्य के उपभोक्ता को वैट कर देना होगा लेकिन इस मामले में उपभोक्ता के राज्य को कर के रूप में एक भी रुपैया नहीं मिलता! इस प्रकार इस व्यापार में कर की भी अनेक खामियां हैं जिनको देखा जाना आवश्यक है !



श्री खण्डेलवाल ने बताया की कैट रिसर्च ग्रुप द्वारा हाल ही में एक प्रारंभिक सर्वे किया गया जिसमें यह देखा गया की गत 6 महीनों में कुछ व्यापारों में ऑनलाइन व्यापार के कारण लगभग 20 प्रतिशत से 35 प्रतिशत की गिरावट आई है जिसमें मुख्य रूप से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर, कंस्यूमर ड्यूरेबल्स, कास्मेटिक, कपडे, चश्में, ट्रेवल लगेज, गिफ्ट की वस्तुएं, होम एप्लायंसेज, किचन एप्लायंसेज, होम फर्निशिंग्स, खिलौने, खेल का सामान, किताबें, घड़ियाँ आदि हैं !



श्री खण्डेलवाल ने आरोप लगाया की ऑनलाइन रिटेलर्स प्रीडेट्री प्राइसिंग अर्थात लागत से भी कम मूल्य पर सामान बेचने की पद्धति अपना रही हैं जो प्रतिस्पर्धा कानून, 2003 का उल्लंघन है

कोई टिप्पणी नहीं: