ब्राजील के पूर्व महान फुटबॉलर और कोच जिको का मानना है कि अगर भारत को वैश्विक खेल जगत में बुलंदियों को छूना है तो यह पूरी तरह से स्थानीय खिलाड़ियों की 'मानसिकता' और विकसित होने की उनकी 'क्षमता' पर निर्भर करता है। इंडियन सुपर लीग की शुरुआत रविवार को होगी और जिको एफसी गोवा की कोचिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं जो 20 दिसंबर तक चलने वाले इस टूर्नमेंट में हिस्सा ले रही आठ फ्रेंचाइजियों में से एक है। कई लोगों का मानना है कि आईएसएल भारतीय फुटबॉल को हमेशा के लिए बदल देगा लेकिन जहां तक इस टूर्नमेंट के फायदों का सवाल है तो अपने शानदार खेल के कारण 'वाइट पेले' के नाम से मशहूर 61 वर्षीय जिको की राय अलग है।
जिको ने कहा, 'यह निर्भर करता है। अगर भारत प्रगति करना चाहता है तो यह उसके फुटबॉल खिलाड़ियों की मानसिकता पर निर्भर करता है। हम अपने अपार अनुभव और कोचिंग के जरिए उनकी मदद कर सकते हैं लेकिन प्रगति करने की क्षमता पूरी तरह से खिलाड़ी पर निर्भर है।' जिको ने कहा, 'मैं फुटबाल को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए यहां हूं फिर खिलाड़ी अमेच्योर हो या पेशेवर। लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि महासंघ और सरकार की संयुक्त मदद से फुटबॉल नई बुलंदियों को छूने में सफल रहेगा।'
विश्व कप नहीं जीत पाने वाले दिग्गज खिलाडियों में शामिल जिको हैरान हैं कि भारत जैसा बड़ा देश जिसकी जनसंख्या इतनी ज्यादा है वह वैश्विक स्तर पर छाप नहीं छोड़ पाया है। जापान की फुटबॉल को नई बुलंदियों में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले जिको ने कहा कि वह भारत एक मिशन के साथ आए हैं। उन्होंने कहा, 'भारत काफी बड़ा देश है लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि फुटबॉल का स्तर काफी ऊंचा नहीं है। मैं 2004 में विश्व कप के प्रारंभिक मैचों के लिए कोलकाता आया था और मैंने स्टेडियम देखे थे जो खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने वाले और खेल का लुत्फ उठाने वाले लोगों से भरे पड़े थे।'
जिको ने कहा, 'एशियाई फुटबॉल और भारतीय फुटबॉल मजबूत हो रहा है। मैं सिर्फ यात्री बनने के लिए यहां नहीं आया हूं, मैं देश में फुटबॉल के विकास का हिस्सा बनने के लिए यहां आया हूं।' उन्होंने कहा, 'सफलता के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। मैंने अपने देश में ऐसा किया है और भारत में भी ऐसा ही करूंगा। मैं देश में फुटबॉल को बेहतर करने के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करूंगा।'
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