कर्नाटक हाई कोर्ट अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें तत्काल जमानत देने और आय से अधिक संपत्ति के 18 साल पुराने मामले में चार साल के कारावास की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। इस मौके पर कर्नाटक के सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद किया गया है। होसुर सीमा से शहर में अन्नाद्रमुक नेताओं और समर्थकों के संभावित प्रवेश को देखते हुए पुलिस ने हाई कोर्ट और प्रपन्न अग्रहार केंद्रीय कारागार के आस-पास सुरक्षा कड़ी कर दी है। गौरतलब है कि गत 27 सितंबर से जयललिता प्रपन्न अग्रहार केंद्रीय कारागार में कैद हैं।
हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने 1 अक्तूबर को जयललिता और उनकी करीबी सहायक शशिकला और उनके रिश्तेदारों वी एन सुधाकरण और इलावरासी की याचिकाओं पर 7 अक्तूबर के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी। दशहरा की छुट्टी के बाद नियमित पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इन सबको मामले में दोषी ठहराया गया था। एसीपी (कानून व्यवस्था) आलोक कुमार ने बताया, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए हमने सारी सुरक्षा व्यवस्था की है। हमारे पास सूचना है कि अन्नाद्रमुक समर्थकों और नेताओं का एक समूह होसुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से शहर में आ रहा है। कुमार ने बताया कि पुलिस अन्नाद्रमुक समर्थकों और नेताओं के प्रवेश को लेकर तैयार है। ये लोग जयललिता की याचिका पर सुनवाई की पूर्व संध्या पर विभिन्न लॉज और रिसॉर्ट में ठहरे हैं।
कुमार ने कहा, उन्हें आने दें। हम इससे पूर्व के अवसरों, फैसले के दिन और जमानत याचिका पर सुनवाई के दिन स्थिति से निपटे हैं। हम इस बार भी स्थिति से निपटेंगे। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट और प्रपन्न अग्रहार कारागार के एक किलोमीटर की परिधि में धारा 144 लगा दी गई है। इसी कारागार में शशिकला, सुधाकरण और इलावरासी भी कैद हैं। कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के पास 500 और प्रपन्न अग्रहार जेल के पास 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
कुमार ने कहा कि 500 पुलिसकर्मियों में कर्नाटक राज्य आरक्षित पुलिस बल और नगर सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल, दो डीसीपी, पांच एसीपी को हाईकोर्ट के आस-पास तैनात किया गया है जबकि चार डीसीपी, छह एसीपी और केएसआरपी और सीएआर के कर्मियों समेत 1000 कर्मियों को जेल के आस-पास तैनात किया जाएगा। जयललिता के वकील राम जेठमलानी ने गत 1 अक्तूबर को अपील के लंबित रहने तक सजा को निलंबित करने और उन्हें जमानत पर रिहा करने की मांग की थी, जिसका विशेष लोक अभियोजक भवानी सिंह ने विरोध किया था। सिंह आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत में भी विशेष लोक अभियोजक थे।
विशेष न्यायाधीश जॉन माइकल डिकुन्हा ने 27 सितंबर को अपने फैसले में भ्रष्टाचार के मामले में जयललिता को चार साल के कारावास और 100 करोड़ रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने शशिकला, सुधाकरण और इलावरासी को भी चार-चार साल के कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने जयललिता पर एक सौ करोड़ रुपये और अन्य दोषियों पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना भी किया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें