जम्मू एवं कष्मीर का सरहदी जि़ला पुंछ सरहद पर होने की वजह से हमेषा सुर्खियों में रहता है। सरहद पार से होने वाली गोलाबारी वैसे यहां के लोगों के लिए नई बात नहीं है लेकिन इस बार सरहद पर तनातनी इतनी बढ़ गई है कि सरहद पार से होने वाली गोलाबारी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। लगातार हो रही गोलाबारी ने यहां के लोगों को मानसिक तौर पर परेषान कर दिया है। लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि बाढ़ के बाद वह अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए करें तो क्या करें? जो लोग सरहद पर रह रहे हैं उन्हें इस बात का डर सताए हुए है कि कहीं कोई गोला आकर उन्हंे मौत की नींद न सुला दे। इन तमाम परिस्थितियों के बीच पहले से ही तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोग बाढ़ के बाद अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। इलाके में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं ने बाढ़ के बाद और ज़्यादा विकराल रूप ले लिया है। कुछ दिन पहले पुंछ में बाढ़ के पानी ने ज़बरदस्त तबाही मचाई। लोगों का सब कुछ इस बाढ़ में बह गया। उस वक्त हर ओर पानी ही पानी नज़र आ रहा था लेकिन अब स्थिति यह है कि लोगों को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो पा रहा है।
पुंछ जि़ले की तहसील मंडी के साब्जि़यां के छोल पंचायत के बराड़ी गांव में पीने के पानी की समस्या एक विकराल रूप लिए हुए है। यहां लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। पूरे गांव में सिर्फ नायब सरपंच मोहम्मद सैद के घर में ही चष्मे के ज़रिए पाइप से पीने का पानी पहुंचता है। पूरा गांव इसी पाइप से अपनी प्यास बुझाता है। बाढ़ से नायब सरपंच मोहम्मद सैद के घर में आने वाली यह इकलौती पाइप लाइन भी टूट गयी थी जिसे यहां के स्थानीय लोगों ने बड़ी मुष्किल से ठीक किया। इस बारे में गांव के स्थानीय निवासी गुलाम दीन कहते हैं कि हमारे गांव में कहीं पर भी पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। नायब सरपंच सैद मोहम्मद के घर में ही सिर्फ पीने का पानी आता है। लोग चार-पांच किलोमीटर दूर से चलकर यहां से पीने का पानी लेने के लिए आते हैं। वह आगे कहते हैं कि सैद मोहम्मद साहिब बड़ी मुष्किल से कोषिष करके अपने घर तक यह लाइन लेकर आए थे। मायूसी के साथ वह आगे कहते है कि बाढ़ में ज़मीन खिसकने से नायब सरपंच सैद मोहम्मद, उनकी मां बूबा बी और उनके बेटे की पत्नी सफूरा बेगम को अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्होंने यह भी बताया कि कि नायब सरपंच की मौत के बाद गांव में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो हम लोगों की समस्याओं को अधिकारियों और नेताओं के पास लेकर जा सके।
सैद मोहम्मद के भतीने परवेज़ खां कहते हैं कि यहां पीने के पानी की समस्या एक विकराल रूप लिए हुए है। सरपंच बड़ी मुष्किल से कोषिष करके अपने घर तक पानी की लाइन लेकर आए थे। पूरा गांव यहीं से पानी भरकर अपनी प्यास बुझाता है। वह आगे कहते हैं कि चष्मे से आने वाले पानी से लोगों की प्यास तो बुझ जाती है लेकिन यह पानी गंदा है और इससे लोगों के बीमार पड़ने का खतरा रहता है। इसकी वजह से अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसकी जिंदगी भगवान भरोसे रहती है क्योंकि यहां से मंडी अस्पताल बहुत दूर है और रास्ता भी ठीक नहीं है। पीने के पानी के अलावा यहां सरहद पार से होने वाली गोलाबारी भी एक बड़ी समस्या है। बड़ी बेबसी के साथ वह आगे कहते हैं कि यहां के लोग पीने के लिए पानी का इंतेज़ाम करें या अपनी जान बचाएं।
विष्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 प्रतिषत बीमारियों का कारण अषुध्द जल है। भारत में बच्चों की मौत की एक बड़ी वजह जलजनित बीमारियां हैं। अषुध्द पानी पीने से हर साल डायरिया के चार अरब मामलों में से 22 लाख मौतंे होती हैं। पृथ्वी पर कुल 71 प्रतिषत जल उपलब्ध है इसमें से 97.3 प्रतिषत पानी खारा होने की वजह से पीने के योग्य नहीं है। सारी दुनिया पानी की समस्या से जूझ रही है। पिछले साल एक दैनिक अखबार में छपी राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम की एक रिप¨र्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर की केवल 34.7 प्रतिशत आबादी क¨ नल¨ं के जरिए पीने का साफ पानी उपलब्ध है, जबकि बाकी की 65.3 प्रतिशत आबादी क¨ हैंड पंप, नदिय¨ं, नहर¨ं तालाब¨ं अ©र धाराअ¨ं का असुरक्षित अ©र अनौपचारिक पानी मिलता है। ऐसे में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेय जल एवं स्वच्छता विभाग के 2011-2022 की रणनीतिक य¨जना के अनुसार वर्ष 2017 तक, 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवार¨ं क¨ पाइप¨ें के जरिए पानी उपलब्ध करवा देने का दावा दिवास्वप्न सा ही लगता है। राश्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या को दूर करने के मकसद से षुरू की गई थी लेकिन साब्जि़या, किरनी, बालाकोट और दूसरे सरहदी इलाकों में इस योजना की हकीकत खुल जाती है।
पुंछ में कई स्थानों पर यह भी देखने को मिला है कि पानी की पाइप लाइनें लीक हो रही हैं और कुदरत का अनमोल तोहफा लोगों को नसीब होने के बजाय बर्बाद हो रहा है। पानी की पाइपें लीक होने के बावजूद भी सरकार से मोटा वेतन पाने वाले लाइन मैन भी इसको ठीक करने नहीं आते हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि पानी लोगों के घर में पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो रहा है। जम्मू कश्मीर के ल¨ग¨ं की अपनी समस्याअ¨ं से निजात पाने के लिए निगाहें अब आगामी विधानसभा चुनाव¨ं पर टिकी हैं। किंतु यह त¨ वक्त ही बताएगा की क्या यह चुनाव वाकई ल¨ग¨ं की प्यास बुझा पाएगा या हर बार की तरह इस बार फिर जनता छली जाएगी।
गौहर आसिफ
(चरखा फीचर्स)
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