- - मेवाड़ में राष्ट्रीय जीवन व नैतिक मूल्य विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित
गाजियाबाद। राष्ट्र का असली सोना न केजीएफ से निकलता है और न पूजा स्थलों के कलश से, असली सोना देश का चरित्र है, मर्यादाएं हैं, मनोबल है। असली सोना देश की एकता है। सैनिकों का बाहुबल है। प्रशासकों के बुद्धि कौशल में है। देशवासियों की निष्ठा और ईमानदारी में है। राजनेताओं के चारित्रिक उज्ज्वलता में है। ये बातें वरिष्ठ पत्रकार व सूर्यनगर एजुकेशनल सोसायटी के महासचिव ललित गर्ग ने कहीं। वह वसुंधरा स्थित मेवाड़ यूनिवर्सिटी के कैम्प कार्यालय में आयोजित विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
’राष्ट्रीय जीवन और नैतिक मूल्य’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने थोथे नारों के दौर से देश को काफी हद तक बाहर निकाला है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संभावनाओं का उजाला फैला है। पर असलियत से परे हम व्यक्तिगत एवं दलगत स्वार्थों के लिए अभी भी प्रतिदिन मिथ निर्माण करते रहते हैं। आवश्यकता है केवल थोक के भाव से भाषण न दिए जाएं, अभिव्यक्ति और किरदार यथार्थ पर आधारित हों। उच्च स्तर पर जो निर्णय लिए जाएं, वे देश हित में हों। यही राष्ट्र के नैतिक मूल्य हैं। गर्ग ने आचार्य तुलसी की पावन स्मृति करते हुए कहा कि राष्ट्र में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिये अणुव्रत आन्दोलन ही एकमात्र उपक्रम है, जिसे आचार्य तुलसी ने स्थापित किया।
मेवाड़ यूनिवर्सिटी की निदेशिका डाॅ. अलका अग्रवाल ने कहा कि नैतिक पतन के लिए कोई और नही ंहम जिम्मेदार हैं। अपने साधारण जीवन में जो काम हम ईमानदारी व बिना किसी को ठेस पहुंचाए करते हैं, वही नैतिक शिक्षा है। मन को साफ करके शहर को गंदा करना नैतिकता नहीं है। इसे हमें अब समझना होगा। इससे पूर्व उन्होंने व विधि विभाग के महानिदेशक भारत भूषण ने ललित गर्ग को मेवाड़ संस्थान की ओर से शाॅल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मेवाड़ का स्टाफ आदि मौजूद थे। संगोष्ठी का सफल संचालन प्रोफेसर आईएम पांडेय ने किया।
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