नरकटियागंज (बिहार) की खबर (09 अक्टूबर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (09 अक्टूबर)

बापूधाम स्टेशन पर लापरवाही से यात्री परेशान

नरकटियागंज (पच) जिला से यात्रा करने वाले रेल यात्रियों की परेशानी को बयां करता है बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर रेल अधिकारियों की मनमानी का नमूना। टिकट काउन्टर पर कोई बुकिंग क्लर्क मनमाने ढंग से बैठते है। सूत्र बताते है कि वहाँ पर पूछताछ कार्यालय भी सफेद हाथी बना हुआ है। रेल यात्री मृत्युंजय कुमार और अम्बर तिवारी बताते है कि 06252222941 पर यदि आवश्यकता पड़े तो फोन लगाते-लगाते थक जाने पर भी कोई सूचना नहीं मिलती। नरकटियागंज के रहने वाले मृत्युंजय और बेतिया के अम्बर तिवारी ने बताया कि काउन्टर पर गाड़ी आने के समय बुकिंग काउन्टर पर लोग बैठते है तो इतनी भीड़ हो जाती है कि टिकट लेना मुश्किल हो जाता है। रेल यात्रीद्वय ने बताया कि गाँधी जयन्ती को दोनो युटीएस एफ पी 2 भी बी 3305 सी को लेकर चले और पूछताछ काउन्टर से सूचना नही ंमिलने के कारण सवारी गाड़ी छूट गयी तो दूसरी सवारी गाड़ी से आना पड़ा।  

आंगनबाड़ी सेविकाओं को मिल रही प्रताड़ना, एसडीओं से फरियाद की गुहार

बेतिया (पच) पश्चिम चम्पारण जिला अन्तर्गत नरकटियागंज अनुमण्डल के नरकटियागंज प्रखण्ड स्थित समेकित बाल विकास सेवा की आंगनबाड़ी सेविकाओं के क्रयपंजी के सत्यापन में भारी घालमेल का मामला सामने आया है। हमारे सूत्रों ने बताया कि महिला पर्यवेक्षिका सीडीपीओ के इशारे पर आंगनबाड़ी सेविकाओं को मानसिक प्रताड़ना दे रही है। टी.एच.आर. वितरण नियमित व नियमानुसार करने के बाद भी सेविकाओं से दो हजार दो सौ रूपये प्रतिमाह की दर से अवैध उगाही सीडीपीओ द्वारा किया रहा है। ऐसा नहीं करने वाले सेविका के कंेन्द्रों को अनियमित बता कर उन्हें मानसिक प्रताड़ना देने का काम किया जा रहा है। जिसमें सीडीपीओ के कथित बिचैलिये की सेवा लिए जाने की खबर है। जिन सेविकाओं ने ऐसा नहीें किया उन्हे प्रताड़ना देने से गुरेज नहीं किया सीडीपीओ ने। उसी प्रकार टेकहोम राशन व पोषाहार नहीं रोका जाना चाहिए लेकिन निदेशालय के नियमों को ताक पर रखकर बालविकास परियोजना पदाधिकारी ने पोषाहार पर रोक लगा दिया। इसके पूर्व माह मार्च 2014 में सीडीपीओं कार्यालय में अनुमण्डल पदाघिकारी ने औचक निरीक्षण किया और पाया कि कोई कार्य नियमानुसार नहीं हो रहा और कार्यालय पर बिचैलिये हावी है। महिला पर्यवेक्षिकाओं ने सेविकाओं से कहा कि आप लोग हमारे माध्यम से सीडीपीओ को खुश रखे अन्यथा परेशानी चरम पर होगी, कोई भी इधर-उधर मत करना नहीं तो किसी की खैर नही। उधर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी किरण कुमारी ने कहा कि किसी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वैसे प्रखण्ड पंचायत विकास समिति नरकटियागंज की कई बैठकों में विभागीय अनियमितता के कई मामले उछाले गये जहाँ विभाग निरूŸार रहा। प्रबुद्धजनों ने बताया कि कार्यालय में बिचालिये हावी है, जिनके माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को परेशान किया जाता है। सेविकाओं और सहायिकाओं को मिलने वाली सुविधाएँ नाम मात्र की है जिसमें अधिकारियों की मनमानी हैं। अधिकारियों के लिए बाल विकास परियोजना कामधेनु बना है और सेविकाएँ कामधेनु की चरवाहा। इधर सेविकाओं ने भाप्रसे के प्रशिक्षु अधिकारी सह अनुमण्डल पदाधिकारी को निबंधित पत्र भेजकर गुहार लगाया है कि पूरे मामले की जाँच कराई जाए और सेविकाओं को प्रताडि़त होने से बचाई जाए। एसडीओं को भेजे पत्र में कतिपय सेविका पतियों को बिचैलिया करार दिया गया हैं। उल्लेखनीय है कि नरकटियागंज आईसीडीएस कार्यालय से किसी प्रकार की पावती रसीद नही दी जाती है। 

पत्रकार पर केस उठाने का दवाब, चार माह में गिरफ्तारी नहीं

बेतिया (पच) बिचैलियों के दवाब में पत्रकार उत्पीड़न के मामले में पुलिस की शैथिल्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नामजद ओर उसके सहायोगी थानाध्यक्ष शिकारपुर के साथ बैठकर चाय पीते है। पीडि़त पत्रकार ने बताया कि उसके सामने अधिकारी अपने रोब में एसपी समेत तमाम उच्चाधिकारी के सम्बन्ध में भी अभद्र शब्दो का प्रयोग करते हैं। पत्रकार बताते है कि जब शिकारपुर थाना में पीडि़त को देश छोड़ने को कहा तो पत्रकार ने इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति भारत गणराज्य को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगायी है। प्रारंभिक दौर में थानाध्यक्ष ने गिरफ्तारी के लिए छापामारी किया लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इस पूरे प्रकरण में पुलिस की गतिविधि पूरी तरह संदिग्ध रही है। पुलिस द्वारा सरकारी फोन से पीडि़त से बात करने की जगह अन्य व्यक्ति के फोन से धमकाया। इस बावत पीडि़त पत्रकार ने कहा कि जितना जोर लगा लो पत्रकार तुम्हारे केस को हमलोग मिलकर खा जाएंगे। इन्सपेक्टर सीताराम सिंह ने पहले केस को सुलह करने को पत्रकार से कहा लेकिन सुलह नहीं होने पर केस को फाॅल्स करने को कह दिया। मंजय ने कहा कि पुलिस और बिचैलिया के गठजोड़ से जब पत्रकार समुदाय तबाह है तो आम लोगों का क्या होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

गांव से लेकर शहर तक फैला है अतिक्रमणकारी, मिलता प्रशासनिक प्रश्रय

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नरकटियागंज (पच) पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय हो या जिला के अनुमंडल व प्रखण्ड क्षे़त्र में अतिक्रमण की समस्या दिन व दिन जटिल होती जा रही है। जिला मुख्यालय की मुख्य सड़क से लेकर प्रमुख चैक चैराहों व बाजारों तक चारों ओर अतिक्रमण ही अतिक्रमण का नाजारा है। अतिक्रमणकारियों व अतिक्रमण को प्रश्रय देने वालों के कारण स्थिति इतनी भयावह होती जा रही है कि अब अतिक्रमण से लोग कराहने लगे हंै। प्रशासनिक निष्क्रियता व सुस्ती के कारण अतिक्रमणकारियों का मनोबल इतना अधिक बढ़ा हुआ है कि वे जहां चाहते हैं वहां दुकान खोल लेते है, झोपड़ी डाल लेते हैं और कही बस स्टैण्ड तो कहीं टैक्सी तो कही टैम्पू स्टैण्ड बना लेते हैं। बेतिया जिला मुख्यालय के समाहरणालय गेट और चैराहा से लेकर स्टेशन चैक मीना बाजार, लाल बाजार, छावनी समेत अन्य जगहों पर लोगों का पैदल चलना मुहाल हो गया है। उसके अलावे अनुमंडलीय शहर नरकटियागंज व बगहा भी अतिक्रमण की आगोश में है और लोग परेशानी से प्रतिदिन रूबरू हो रहे हैं। विभिन्न शहरों से अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार प्रशासनिक योजना बनी, कई बार अतिक्रमण हटा और फिर किसी न किसी प्रशासनिक प्रश्रय को लेकर वे पुनः वहीं काबीज हो गये। जिला के कई शहर में अतिक्रमण हटाने के लिए सिर्फ योजनाए बनी लेकिन मूर्त रूप लेने से पहले ही वह विफल हो गयी। समाजिक कार्यकर्ता व अन्य प्रबुद्धजनों का कहना है कि ऐसा शायद अतिक्रमणकारियों के दबाव के कारण होते आ रहा है। बताया जाता है कि गरीब लोगों को जीवन यापन करने के लिए फल सब्जी बेंचने व चाय बेेंचने के लिए ठेला व दूकान लगाकर अतिक्रमण करना पड़ता है। उसी क्रम में कुछ अतिक्रमण सड़कों के किनारे सफेदपोशों व दबंगों ने कर रखा है। जिनके कारण अतिक्रमण हटाओं अभियान में कुछ गरीबों की दुकानों को उजाड़ दिया जाता है और अभियान की खानापूरी कर ली जाती हैं। विभिन्न दलों के नेताओं व समाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि जिला मुख्यालय की सड़क समेत जिला के प्रत्येक मुख्य सड़क को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए।

28 से 30 रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा खुदरा बाजार में, आलू ने निकाला दम


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नरकटियागंज (पच) जैसे ही प्याज अर्श से फर्श पर आया आलू की कीमतें आसमान छूने लगी है। आलू की कीमत घटने के बजाए दिनों-दिन बढती जा रही है। आलू की बढती कीमत सें सब्जियाँ बेमेल हो बेस्वाद हो ही गयी है। आमजनों की थाली से आलू का भुजीया और आलूदम ढूँढे मिल नहीं रहा। आलू की कीमते लोगों को रूलाने लगी है, ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि आलू की खरीद बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ कर उसके चिप्स, भुजीया और भेराइटी बना कर बाजार को उपलब्ध करा रही है। जिसके कारण आलू का भाव उँचाई की बुलन्दी को छू रहा है। जिला मुख्यालय बेतिया और अनुमण्डलीय शहर नरकटियागंज व बगहा एवं आसपास के खुदरा बाजारों में आलू 28 से 32 रूपये प्रति किलो बिक रहा है, लगभग तीन-चार माह से की कीमत एक समान अर्थात एक समान स्थिर बना है। जिस कारण आम लोंग आलू की कीमत से खासे परेशान है। आलू की बढती कीमतों का मुख्य कारण दूकानदार बड़ी मंडियों से आलू की कम आवक कम बता रहे हैं। आलू के थोक व्यापारी मेंहीलाल, ललन व अन्य ने बताया कि आलू की व्यापक खेती के इलाको में ही बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ आलू की भेराइअी तैयार करने के लिए खरीद कर रही हैं। वहां की मण्डियों से ही देश के अन्य भाग में आलू पहंुचता है। जिस कारण बड़ी मण्डियों में ही आलू की कीमत मे उछाल आ गया है। नरकटियागंज के थोक मंडियो में आलू 2 हजार  6 सौ रूपये से 2 हजार 800 सौ रूपये प्रति क्विंटल की दर से बेंची जा रही है। आलू के खुदरा दुकानदार ज्यादा मुनाफा लेकर बेच रहे है, जिससे आम लोगो की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। थोक व्यापारियों का कहना है कि जब प्याज की आवग ज्यादा होगी तभी प्याज की कीमत कम होगी। बहरहाल, आलू की कीमतांे ने आलूदम से ग्राहकों की दम निकाल रही है। वहीं खुदरा बाजार में कारोबारी ज्यादा मुनाफा कमाकर मालामाल हो रहे है। सरकार को आलू की कीमत पर लगानी चाहिए अंकुश, ये कहती है गृहणियाँ करीब चार माह से आलू की दरंे दिनांें-दिन बढती जा रही है। खास लोगांे व सरकारी सेवा में कार्यरत लोग जब आलू की आसमान छूती कीमत से परेशान है तो आम लोगों की हालत क्या होगी, इसका सिर्फ आकलन ही किया जा सकता है। हमने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की महिलाओं से इस संबंध में पड़ताल किया। प्रस्तुत है गृहणीयों की राय, बेतिया की गृहणी सुनीला देवी का कहना है कि आलू की कीमत में बढोत्तरी से बच्चों का पसंदीदा आलू का भुजीया मिलना काफी कम हो गया है। आखिर महीने का बजट भी देखना हैं। भोजन में आलूदम तो बनाना एक प्रकार से बन्द है। जिससे खाना का स्वाद खराब हो गया है। सरकार को आम लोगो के बारे मे सोचना चाहिए। कुमुद  कुमार सिन्हा कहती तीखे अन्दाज में कहती है कि सरकारी कैन्टिन में सब कुछ इतना सस्ता है, हमलोगांे को आलू खरीदने में आफत है। श्रीमती वर्मा कहती है कि महंगाई के कारण आलू की भेराईटी कौन कहे भुजीया कीचेन से दूर हो गया है। सब्जियों में आलू नाममात्र का मिला कर सिर्फ स्वाद बदलने के लिए माप तौल कर डाला जा रहा है, न जाने आलू की कीमतों में कब गिरावट आएगी। प्रीति श्रीवास्तव बताती है कि उनकी बेटी आलू के बिना किसी प्रकार की सब्जी खाना पसंद नही करती इस लिए कीमत चाहे जो हो आलू खरीदना मजबूरी बन गयी है। बगहा की प्रोफंशनल महिला श्वेता शुक्ला का कहना है कि आलू की बढती कीमत के कारण कीचेन के बजट पर भारी प्रभाव पड़ा हैै। विशेषकर बच्चों की खास पसंद को पूरा करने के लिए बजट खराब करना पड़ रहा है। अमीर व गरीब हर प्रकार के परिवार की कीचन की शान आलू की बढती कीमत को नियंत्रित करना सरकार की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। नरकटियागंज की गृहणी नन्दा देवी कहती है कि एक तरफ महंगाई से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। वही आम लोगों की पहुँच में रहने वाला आलू की बढती कीमत ने लोगो की कमर तोड़ दी है। आलू की बढ़ती की बढ़ती कीमत को कम करने के लिए प्रशासन व सरकार को पहल करनी होगी। मनोरमा देवी, सविता देवी, ललिता देवी और मंजू देवी कहती है कि आलू की महंगाई के कारण उनके यहाँ बिना आलू के ही सब्जियाँ बनानी पड़ रही है, आलू के बीना नहीं खाने व रूठने वाले बच्चों को मनाने में काफी परेशानी होती है। जहाँ महंगाई ने सबको को बेहाल कर दिया है वही आलू की कीमत कोढ़ में खाज के समान है। आलू की कीमतों पर सरकारी लगाने की आवश्यकता हैं।

गाँव से शहर तक अतिक्रमण का बोलबाला, प्रशासन के मुँह पर ताला

नरकटियागंज(पच) नरकटियागंज अनुमण्डल और आस-पास के क्षेत्रों में अतिक्रमण एक बड़ी समस्या बन गई हैं। अतिक्रमण से निजात पाने के लिए समाज के लोगों ने उच्चाधिकारियों से कई बार गुहार लगाया, तत्पश्चात कई महिने पूर्व तत्कालीन अनुमण्डल पदाधिकारी विजय कुमार पांडेय ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया और अतिक्रमण का जाएजा लिया था। उस दौरान उन्होंने तमाम अतिक्रमीत भूमि को खाली कराने का निर्देश अंचल प्रशासन को दिया। लेकिन उस वाक्या को कई माह का समय बीत गया लेकिन आज तक ना ही शहर में किसी अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई की गयी और किसी को किसी प्रकार की सूचना दी गयी। अतिक्रमण को लेकर एसडीएम ने उस समय जो तेवर दिखाया था उसको देखकर ऐसा लगा था कि अब अतिक्रमणकारियों की खैर नहीं होगी। अलबत्ता दुःखद बात तो यह है कि अतिक्रमणकारियों के विरूद्ध प्रशासन का वह सख्त तेवर बरकार नहीं रह सका, हाथी के दाँत के समान प्रशासनिक तेवर महज दिखावा बन कर रह गया। नरकटियागंज बाजार के बीचो-बीच मार्केट की मुख्य सड़क पर दिन भर बर्तनों की दुकानें सजी रहती हैं। जिससे उस रास्ते से आना जान दूभर हो जाता है। नरकटियागंज मुख्य सड़क बिजली के ग्रिड (लौरिया रोड) से लेकर रवि पेट्रोलियम तक सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमणकारियों का मानो समा्रज्य कायम हो गया है। कहीं पान की गुमटी तो कहीं फोटो कापी की दुकान तो कहीं गैराज आदि खोलकर अतिक्रमणकारी सरकारी जमीन पर कुंडली मारकर बैठे हुए है। नरकटियागंज से बल्थर सड़क मार्ग के दोनों किनारे पर विभिन्न गाँवो में अतिक्रमण इस कदर की सड़क पर चलने वाले वाहन को गाडि़यों को पास देने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। नवागत अनुमण्डल पदाधिकारी व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से लोगों ने मांग किया है कि अनुमण्डल क्षेत्र में अभियान चलाकर कम से कम मुख्य सड़क को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए।

हरदी टेढ़ा स्थान के पास से नहीं हटा अतिक्रमण

नरकटियागंज (पच) नरकटियागंज गौनाहा मुख्य सड़क में हरदी माई स्थान के पास पिछले डेढ वर्ष से चल रहा अवैध अतिक्रमण का मामला आज तक निष्पादित नहीं हो सका। उक्त अतिक्रमण के मामले को लेकर अतिक्रमणकारियों व हरदीटेढ़ा के लोगों के बीच काफी तनातानी भी हो चुकी है। जिसकों लेकर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोगों के उपर अतिक्रमणकारियों की तरफ से मुकदमे भी ठोंके जाने की बात आती रही हैं। हरदी टेढा स्थान के पास सरकारी जमीन पर घर बनाए बैठे अतिक्रमणकारियों को अंचल प्रशासन की तरफ से नोटिश भेजने का भी स्वांग रचा गया लेकिन उसके आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी।

दुर्गावती भी जला दी गयी ससुराल में, धरे रह गये अरमान, पाँच माह में दिन पूरे

नरकटियागंज (पच) अभी हाथ की मंेहन्दी का रंग फीका नहीं पड़ा था कि दहेज दानवों ने दुर्गावती को दुनिया के रंगो से दूर कर दिया। पाँच माह पूर्व बड़े अरमान के साथ ससुराल में कदम रखने वाली दुर्गावती को क्या पता था कि महज 10 हजार की खातिर दहेज के दानवों की शिकार बन जाएगी। उल्लेखनीय है कि महेशपुर गाँव शिकारपुर थाना निवासी स्व.मथुरा राम की भतीजी और गोखुल राम की पुत्री दुर्गावती विगत मइ्र्र 2014 को छठू राम के पुत्र अनिल कुमार उर्फ अनील राम के साथ ब्याहकर गौनाहा थाना के मुरली भरहवा गाँव लायी गयी। हमारे सूत्र बताते है कि दुर्गावती को उसके पिता ने राजमिस्त्री का काम करने वाले दामाद के लिए अपने शक्ति अनुरूप एक लाख चालिस हजार रूपये दहेज तय कर शादी सम्पन्न कराया। शादी के पूर्व एक लाख तीस हजार रूपये भुगतान कर दिया। उसके बाद गोखुल राम गोरखपुर रिक्शा चलाने चला गया। उधर उसकी पुत्री दुर्गावती कुमारी उर्फ दुर्गावती देवी को महज दस हजार रूपये के लिए लगातार प्रताड़ना मिलता रहा। मृतका के परिजनों के अनुसार दुर्गावती ने अपने ससुराल वालों के मोबाईल से सात अक्टूबर 2014 को अपनी माँ से बात किया और कहा कि माँ 10000दस हजार रूपये भेज दो अन्यथा ये लोग रहने नहीं देंगे। उसकी माँ ने कहा कि अभी तुम्हारे बाबूजी नहीं है और रूपये भी नहीं है जब रूपये हो जाएँगे तो समय पर भेजवा देंगे। लेकिन उसकी माँ को क्या पता कि बेटी से ये आखिरी बातचीत है। 09 अक्टूबर 2014 को उसे घर में बन्द कर आग के हवाले कर दिया गया। बुरी तरह जली अवस्था में गौनाहा पुलिस को अपने बयान में दुर्गावती ने बताया उसके ससुर छठू राम, पति अनिल, सास सुशिला देवी और देवर ब्रजेश ने उसे मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगाया। उधर मामले की जाँच प्रतिवेदन के बादद थानाध्यक्ष गौनाहा ने बताया कि घटना स्थल के निरीक्षण के दौरान सभी नामजद फरार बताये गये और आग से जलने की पुष्टि भी। उधर गौनाहा थानाध्यक्ष चन्द्रभूषण शुक्ला ने बताया कि इस संबंध में काण्ड संख्या 111/14 दर्ज कर लिया गया है। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी जारी है, जबकि दुर्गावती के शव का पोस्टमार्टम हो गया है और उसके प्रतिवेदन की प्रतीक्षा है। हालाकि बयान देने के समय मरनासन्न दुर्गावती 70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुकी थी।

फरार आशिक-मासूक गिरफ्तार

गौनाहा(पच) गौनाहा थानाध्यक्ष सीबी शुक्ल ने बताया कि मंगूराहा की रहने वाली विनोद नामक व्यक्ति की पुत्री रूपा को एक माह के भीतर बरामद कर लिया गया है। पुलिस सूत्र बताते है कि मंगूराहा के विनोद दहईत ने अपने ही गाँव के रूपा को अपने साथ लेकर नेपाल चला गया था तो उसके पिता विनोद ने गौनाहा पुलिस में मामला दर्ज कराया था। उसके बाद थानाध्यक्ष को जब इस बात की भनक मिली की दोनो मंगूराहा में विजयादशमी को लेकर आये हुए है तो उन्होंने उनकी गिरफ्तारी के लिए सुरेंश मिश्र अवर निरीक्षक को निर्देश दिया । सुरेश मिश्र ने आठ अक्टूबर 2014 को दोनो को धर दबोचा। उसके बाद उन्हे दण्डाधिकारी के समक्ष पेश किया गया। जहाँ रूपा ने स्वयं को 20 वर्षीया बताया जबकि उसके पिता ने उसे 14 वर्ष की नाबालिग बताया है। सुरेश मिश्र दोनो को लेकर 164 का बयान कराने के बाद मेडिकल जाँच में गये है जहाँ उसके बास्तविक आयु सामने आएगी और मामले में कार्रवाई संभव होगी।

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