पाकिस्तानी किशोरी और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसफजई को अमेरिका के लिबर्टी मेडल से नवाजा गया है। इस अमेरिकी पुरस्कार को हासिल करने वाली सबसे युवा विजेता मलाला ने कहा कि यह सम्मान उन्हें भारत समेत विभिन्न देशों में बाल अधिकारों के लिए उनका अभियान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा। मलाला ने पुरस्कार में मिली एक लाख डॉलर की राशि को पाकिस्तान में शिक्षा के लिए देने का वादा किया है। उन्होंने कहा, 'हम एक बेपरवाह पीढ़ी नहीं बन सकते हैं। मैं दुनिया के सभी देशों से कहूंगी, आइए युद्धों को 'ना' कहें। विवादों को 'ना' कहें। इसके साथ ही मलाला ने कहा कि वह भारत, सीरिया, नाइजीरिया और गाजा जैसे स्थानों पर संकटों में फंसे बच्चों के लिए बात कर रही हैं।'
इस पुरस्कार के पूर्व विजेताओं में हिलेरी क्लिंटन, टोनी ब्लेयर, जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश, बिल क्लिंटन, कोफी अन्नान और हामिद करजई शामिल हैं। फिलाडेल्फिया में नैशनल कंस्टिट्यूशन सेंटर में 1,400 दर्शकों को संबोधित करते हुए 17 वर्षीय मलाला ने धन को बंदूकों के बजाय किताबों पर खर्च करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इतिहास कोई आसमान से बनकर नहीं आता, हम ही इतिहास रचते हैं। उन्होंने कहा, 'हम एकसाथ मिलकर डर, अत्याचार और आतंकवाद से कहीं ज्यादा मजबूत हैं।'
मलाला ने कहा, 'मैं उन लोगों के लिए बोलती हूं, जिनकी अपनी आवाज नहीं है। मैं उन लड़कियों के लिए बोलती हूं, जिन्हें सताया जाता है। मुझे क्यों नहीं बोलना चाहिए? हमारे देश के लिए यह हमारा कर्तव्य है। मुझे स्कूल जाने के हमारे अधिकार के बारे में बोलने की जरुरत थी।' उन्होंने कहा, 'शिक्षा गरीबी, अज्ञानता और आतंकवाद के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ हथियार है।'
मलाला उस समय अंतरराष्ट्रीय तौर पर चर्चा में आ गई थीं, जब उन्होंने 11 साल की उम्र में पाकिस्तान में बीबीसी के लिए तालिबान के शासन के अंतर्गत जीवन के बारे में लिखना शुरु किया। गुल मकाई उपनाम से वह अक्सर अपने समुदाय में लड़कियों की शिक्षा के लिए अपने परिवार की लड़ाई के बारे में बोलती थीं। उनकी मुखरता के चलते उन्हें 2011 में पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार मिला और उसी साल अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया गया।
स्कूल से लौटते समय तालिबान के आतंकियों ने उनके सिर में गोली मार दी थी, हालांकि इस हमले में घायल होने के बावजूद वह बच गई थीं। अब तक की सबसे युवा नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला को भारत में बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी के साथ नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है।
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