उत्तराखंड की विस्तृत खबर (21 अक्टूबर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (21 अक्टूबर)

शहीद पुलिस कर्मियों को सीएम ने दी श्रद्धाजंलि
  • शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों की समस्याओं के निराकरण हेतु बनेगी अनुश्रवण समिति: मुख्यमंत्री 

देहरादून 21 अक्टूबर, (निस)। राज्य सरकार शहीद पुलिस जनों के परिजनों को हर संभव सहायता देने के लिए वचनबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों पुलिस जनों के परिजनों की समस्याओं और उनके अनुश्रवण के लिए स्थायी समिति बनायी जायेगी। यह समिति प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पुलिस महानिदेशक सहित दो अधिकारी सदस्य होंगे। पुलिस विभाग के निरीक्षक, उप निरीक्षक एवं सहायक उप निरीक्षक के वेतन बैंड व ग्रेड वेतन राजकीय कर्मचारियों की भांति करने के लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। समिति में प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक सदस्य के रूप में होंगे। अराजपत्रित अधिकारियों व कर्मचारियों के पौष्टिक आहार व धुलाई भत्ते में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी। पुलिस कल्याण निधि को 1.5 करोड़ रुपये बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये किया जायेगा। प्रदेश में पुलिस विभाग के चार पुलिस माॅडन स्कूलों देहरादून, हरिद्वार, 40वीं वाहिनी पीएसी एवं 31वीं वाहनी पी.ए.सी. रूद्रपुर के रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपये मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से अनुदान के रूप में दिये जायेंगे।   मुख्यमंत्री हरीश रावत मंगलवार को पुलिस लाईन रेसकोर्स में ‘‘पुलिस स्मृति दिवस’’ कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिस जनों को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर पुलिस कल्याण के लिए विभिन्न घोषणाएं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हम सबके लिए प्रेरणा का दिन है। हमारे जवानों और पुलिस जनों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर समाज व राष्ट्र की रक्षा की। उनके त्याग व बलिदान को भुलाया नही जा सकता है। राज्य सरकार पुलिस जनों के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठायेगी। राज्य सरकार भविष्य में भी पुलिस जनों के कल्याण के लिए निर्णय लेती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की सीमाएं अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगी हुई है, जिस कारण हमारे सामने वाहय व आंतरिक सुरक्षा की चुनौती और अधिक बढ़ जाती है। हमारे पुलिस जनों को इस चुनौति का मुकाबला करने के लिए सचेत रहना होगा। दुनिया का कोई भी देश आज आतंकवाद की समस्या से अछूता नही है। इस समस्या से हमारा देश भी जूझ रहा है। हमारे यहां आतंकवाद के साथ ही नक्सलवाद की समस्या भी है। इन सभी समस्याओं से मुकाबला करने के लिए हमारी पुलिस को संदेश देना होगा कि हम सतर्क और सचेत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारा राज्य तरक्की कर रहा है, लेकिन उसी अनुसार हमें चुनौतियों का भी सामना करने के लिए तैयार भी रहना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस को आज सीमाओं से आने वाले खतरे से भी सतर्क रहना होगा। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत, दिनेश अग्रवाल, दिनेश धनै, पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक, विधायक हरबंस कपूर, राजकुमार, भीमलाल आर्य, अध्यक्ष अल्पसंख्यक कल्याण आयोग नरेन्द्रजीत सिंह बिन्द्रा, मुख्य सचिव सुभाष कुमार, प्रमुख सचिव गृह एम.एच.खान, मुख्यमंत्री के जनसंपर्क समन्वयक जसबीर रावत सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे। 

सीएम को कराया समस्याओं से अवगत

देहरादून 21 अक्टूबर, (निस)। नागरिक सुरक्षा संगठन के प्रतिनिधिमण्डल ने सोमवार देर सायं मुख्यमंत्री हरीश रावत से बीजापुर अतिथि गृह में भेंट की। भेंट के दौरान नागरिक सुरक्षा संगठन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को संगठन की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नागरिक सुरक्षा संगठन सामाजिक कार्यों के साथ ही वाह्य व आंतरिक संकट के समय आपदा कालीन दल के रूप में नागरिकों के जानमाल की रक्षा करने एवं शान्ति व्यवस्था बनाये रखने में सहयोगी रहता है। उन्होंने संगठन को और बेहतर समन्वय के साथ कार्य करने को कहा। भूकम्प व अन्य देवी आपदाओं के समय संगठन के स्वयं सेवक समाज के मददगार रहते हैं। सामाजिक एकता व साम्प्रदायिक सद्भाव में भी इनका सहयोग मिलता है। उन्होंने नागरिक संगठन से अधिक सक्रियता के साथ कार्य करने की अपेक्षा की। मुलाकात के दौरान मुख्य वार्डन नागरिक सुरक्षा चन्द्रगुप्त विक्रम ने बताया कि नागरिक सुरक्षा विभाग अभी केवल देहरादून में कार्यरत है, यदि अन्य जनपदों में भी विभाग का विस्तार कर दिया जाय, तो आपदा आदि के समय बेहतर ढंग से कार्यों का निष्पादन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि संगठन द्वारा समय-समय पर एन.सी.सी., एन.एस.एस. के सदस्यों के साथ ही विद्यार्थियों को आपदा से बचाव आदि के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उन्होंने 6 दिसम्बर को आयोजित होने वाले नागरिक सुरक्षा दिवस के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से सम्मिलित होने का अनुरोध भी किया। इस अवसर पर संगठन के उपनियंत्रक सी.एस. बोथ्याल, उप मुख्य वार्डन सतीश अग्रवाल, प्रभागीय वार्डन राजेश चन्द्र शर्मा एवं उप प्रभागीय वार्डन योगेश अग्रवाल आदि उपस्थित थे। 

एन. रविशंकर बने उत्तराखण्ड के 11वें मुख्यसचिव, राकेश शर्मा पर अटकलें समाप्त

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देहरादून, 21 अक्टूवर(निस)। 1980 बैच के आईएएस अधिकारी, एन रविशंकर ने केंद्र से प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद सोमवार को उत्तराखंड के दसवें मुख्य सचिव के रूप में सुभाष कुमार से कार्यभार ग्रहण किया. सुभाष कुमार को राज्यसरकार ने राज्य विद्युत विनियामक बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया है. श्री कुमार ने बीते दिन ही वीआरएस के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था। सोमवार को दिल्ली से लौटने के बाद एन रविशंकर ने दोपहर को प्रदेश के कार्मिक विभाग में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी जिसके बाद अपराहन तीन बजे उन्होंने मुख्य सचिव के कार्यालय पहुंचकर सुभाष कुमार से मुख्यसचिव का कार्यभार ग्रहण किया. मुख्य सचिव के कार्यालय का प्रभार लेने के बाद मीडिया से कहा कि प्रदेश का चहुंमुखी विकास उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए प्रशासनिक ढ़ाचे को मजबूत कर एकीकृत तरीके से कार्य करेंगे। सचिवालय की अपनी टीम से बात कर कार्य को आगे बढ़ायेंगे। मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं को एकजुटता से समयबद्ध रूप से पूर्ण करेंगे। 1980 बैच के आईएएस अधिकारी एन. रविशंकर ने उत्तराखंड के 11वें मुख्य सचिव के रूप  में मंगलवार को कार्यभार ग्रहण किया। राज्य के पहले मुख्य सचिव अजय विक्रम सिंह 9 नवम्बर 2000 से 3 जून, 2001 तक, दूसरे मुख्य सचिव मधुकर गुप्त 4 जून 2001 से 1 सितम्बर 2003 तक रहे। तीसरे मुख्य सचिव आर.एस. टोलिया 01 सितम्बर 2003 से 4 अक्टूबर 2005 तक, चैथे मुख्य सचिव एम. रामचंद्रन 4 अक्टूबर 2005 से 30 अक्टूबर 2006 तक रहे। पांचवे मुख्य सचिव एस.के. दास 30 अक्टूबर 2006 से 11 सितम्बर 2008 तक, छठे मुख्य सचिव इंदु कुमार पाण्डेय 11 अगस्त 2008 से 2 दिसम्बर, 2009 तक रहे। राज्य के सातवें मुख्य सचिव 2 दिसम्बर 2009 से 12 सितम्बर 2010 तक, आठवें मुख्य सचिव 13 सितम्बर 2010 से 1 मई 2012 तक, नवें मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन 1 मई, 2012 से 3 मई, 2013 तक और दसवें मुख्य सचिव सुभाष कुमार 3 मई, 2013 से 21 अक्टूबर, 2014 तक रहे। 4 जुलाई 1955 को जन्में श्री रविशंकर इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग और फिजिक्स के स्नातक और प्रबंधन के पीजी डिप्लोमा हैं। मुख्य सचिव बनने के पहले केन्द्र सरकार में सचिव प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी, अतिरिक्त सचिव सूचना प्रौद्योगिकी, संयुक्त सचिव सूचना प्रौद्योगिकी पदों पर रहे। इससे पहले उत्तराखंड में सचिव राज्यपाल, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, आयुक्त प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, सचिव ऊर्जा, सचिव सिंचाई, सचिव गृह, सचिव जल संसाधन आदि पदों पर रहे। कार्यभार के बाद उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परिचयात्मक बैठक की. एन. रविशंकर के मुख्यसचिव पद पर ताजपोशी के बाद बीते कई महीनों से अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा के मुख्यसचिव बनाये जाने की चर्चाओं पर विराम लग गया है.     

केदारनाथ पर डेढ़ साल से राजनीति कर रही सरकारः भट्ट
  • आपदा पर यदि सरकार गंभीर है तो विस का विशेष सत्र बुलाकर ब्लू पिं्रट सदन में रखे 

देहरादून, 21 अक्टूवर (निस)। नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड विधानसभा अजय भट्ट ने कहा कि केदारनाथ पर सरकार डेढ़ साल से लगातार राजनीति कर रही है। जिस घटना ने पूरे देश को हिला दिया, हजारों लोग मारे गए उनके प्रति संवेदना एवं आपदाग्रस्त क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान करने के बजाए सरकार अपनी राजनीति एवं अपना चेहरा चमकाने में लगी है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में आपदा पर गंभीर है तो शीघ्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर केदारनाथ का ब्लू प्रिंट सदन में रखें, ताकि सारी चीजें रिकार्ड में आ जाएं। 
बलवीर रोड स्थित भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष श्री भट्ट ने कहा कि डेढ़ साल से लगातार कैबिनेट पर कैबिनेट की जा रही है, परंतु धरातल पर कुछ नहीं किया जा रहा है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लोग आत्महत्या कर रहे हैं, आमरण अनशन पर बैठ रहे हैं, मुआवजा न मिलने के कारण धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और संत जल समाधि लेने की घोषणा कर रहे हैं, परंतु सरकार समस्याओं के समाधान के बजाए अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की नामाम कोशिश कर रही है। श्री भट्ट ने कहा कि जो कैबिनेट ने पूर्व में फैसला लिया उसकी घोषणा करने के लिए सरकारी खजाने से लाखों रुपये फूंक डाले। कैबिनेट बैठक केदारनाथ मंदिर के दर्शन, भोजन एवं विपक्षी दलों जो सरकार के साझीदार हैं की बैठक सभी एक घंटे में समाप्त हो गई। स्थानीय लोगों को अपनी बात कहने का मौका तक नहीं मिला, अधिकारी एवं नेताओं को पहले ही दिन गुप्तकाशी भेज दिया गया। खाली केदारनाथ गए और फोटो खिंचाकर आ गए, इसमें खजाने से लाखों रुपये हवाई सैर सपाटे में फूंक डाले। श्री भट्ट ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में आपदा पर गंभीर है तो शीघ्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पूरा ब्लू प्रिंट सदन में रखे ताकि सारी चीजें रिकार्ड पर आ जाएं। उन्होंने कहा कि कल यदि सरकार गंभीर होती तो कम से कम एक घंटा नहीं एक दिन केदारधाम में रूकती और दूसरे दिन पैदल आकर केदारघाटी के लोगों की समस्याएं सुनती, इससे लोगों में आत्मविश्वास बढ़ता। उन्होंने कहा कि बडे़ खेद की बात है कि केदारनाथ मंदिर में दूरदराज से बड़ी उम्मीद के साथ आए आपदा पीडि़त लोगों से मुख्यमंत्री तो क्या एक मंत्री तक नहीं मिले, किसी भी मंत्री ने मंदिर परिसर के अगल-बगल झांकने की भी जरूरत नहीं समझी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से फरियादी एवं वहां के लोग यह कहना चाह रहे थे कि जो आपदा के दौरान मकान टूटे हैं और उनके अंदर आज भी शव पड़े हैं, हमें उन्हें साफ करने की इजाजत दी जाए ताकि हम अपना दबा सामान निकाल सकें, परंतु बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री समेत उत्तराखंड की पूरी कैबिनेट केदारनाथ धाम गई और आपदा पीडि़तों से बात ही नहीं की। बस पूर्व कैबिनेट के फैसले को पहले से ही टाइप करके ले जाया गया और उसकी घोषणा की दी, सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इतना बड़ा ड्रामा किया गया। श्री भट्ट ने कहा कि यह सरकार उत्तराखंड की जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर रही है, गैरसैंण व अल्मोड़ा में जिस तरह से कैबिनेट कर सरकार ने धन का दुरुपयोग किया है, उसी प्रकार केदारधाम में भी सरकारी खजाने पर लाखों का चूना लगा। इन दोनों कैबिनेट की बैठकों का आज तक कोई परिणाम नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि इस सरकार के पीने के लिए पानी की बोतलें भी हैलीकाॅप्टर से ले जाई गई, कई चक्कर तो हैलीकाॅप्टर ने सिर्फ पानी एवं खाने-पीने की चीजें ले जाने में लगाया।  

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