प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फिजी के अपने नौ दिवसीय दौरे के बाद आज स्वदेश लौट आए। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कई अंतरराष्ट्रीय शिखर बैठकों में भागीदारी की। प्रधानमंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल को लेकर एयर इंडिया का विशेष विमान फिजी की राजधानी सुवा से 14 घंटे की उड़ान के बाद सुबह सात बजकर 15 मिनट पर यहां हवाई अड्डे पर उतरा।
तीन देशों की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार में ईस्ट एशिया और आसियान-भारत शिखर बैठक में भाग लिया। ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने जी 20 शिखर बैठक में भाग लिया तथा अपने ऑस्ट्रेलियाई और फिजी के समकक्षों से मुलाकात की। 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद फिजी की यात्रा पर जाने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने समकक्ष फ्रैंक बैनीमरामा के साथ चर्चा की और फिजी के लिए कुल आठ करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान किए जाने का भी ऐलान किया। उन्होंने फिजी की संसद को भी संबोधित किया और कहा कि भारत डिजिटल फिजी के निर्माण के लिए तैयार है। संसदीय चुनाव के बाद वह फिजी की संसद को संबोधित करने वाले पहले विदेशी नेता हैं।
मोदी ने अपनी फिजी यात्रा के दौरान प्रशांत महासागर क्षेत्र के सभी 14 देशों के लिए आगमन पर वीजा की सुविधा की घोषणा की और उम्मीद जतायी कि इससे लोगों के बीच में आपसी समक्ष को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। ऑस्ट्रेलिया में अपने चार शहरों के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबट ने रक्षा, साइबर, नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने और चरमपंथी समूहों में विदेशी लड़ाकों के शामिल होने से उत्पन्न चुनौती के मुकाबले के लिए सुरक्षा सहयोग तंत्र पर सहमति जतायी जिसे द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर माना जा रहा है।
दोनों देशों ने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते को अगले वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिए जाने और साथ ही असैन्य परमाणु समझौते को भी जल्द संपन्न किए जाने पर सहमति जतायी जिससे भारत को यूरेनियम की आपूर्ति करने का रास्ता खुलेगा। ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पूर्व मोदी ने म्यांमार में आसियान-भारत शिखर बैठक और ईस्ट एशिया समिट में भागीदारी की। म्यामांर की राजधानी ने पई ताव में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व समुदाय को धर्म और आतंकवाद के बीच के किसी भी संबंध को खारिज करना चाहिए और साथ ही सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए एक वास्तविक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी स्थापित की जानी चाहिए।
भारत-आसियान संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके संबंधों में कोई अवरोध नहीं है और वे महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की व्यापार नीति और माहौल में बड़ा सुधार होगा। उन्होंने दस देशों के आसियान के साथ संपर्क स्थापित करने संबंधी परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन के लिए एक विशेष व्यवस्था का प्रस्ताव दिया। शिखर बैठकों से इतर मोदी ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, अपने मलेशियाई समकक्ष नजीब रज्जाक, रुसी प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव और थाई समकक्ष प्रयुत छान ओ छा से मुलाकात की।
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