सुप्रीम कोर्ट ने आज सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को निर्देश दिया कि वह 2जी मामले से खुद को अलग रखें। कोर्ट ने कहा कि 2जी मामले की जांच दल के वरिष्ठतम अधिकारी इस मामले में सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी निभायेंगे। न्यायालय ने सिन्हा के खिलाफ दस्तावेज मुहैया कराने वाले व्हिसिल ब्लोअर के नाम का खुलासा करने का निर्देश देने संबंधी अपना आदेश भी वापस लिया है। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में सिन्हा के खिलाफ लगाये गये आरोपों विश्वसनीय लगते हैं। इससे पहले सीबीआई को झिड़की लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वहां सब कुछ ठीक नहीं लगता और सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ गैरसरकारी संगठन द्वारा लगाए गए आरोपों में कुछ विश्वसनीयता दिखती है। न्यायालय ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा लगाए गए इन आरोपों से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा हमें लगता है कि सब ठीक नहीं है और पहली नजर में ऐसा लगता है कि गैरसरकारी संगठन अर्जी में जो आरोप लगाए गए हैं उनमें कुछ विश्वसनीयता है। संस्था का आरोप है कि सिन्हा ने 2जी स्पेक्ट्रम घाटाले से जुड़े मामलों में कुछ आरोपियों को संभवत: बचाने की कोशिश की है।
सिन्हा ने कल उच्चतम न्यायालय से कहा था कि उनके मातहत उप-महानिरीक्षक श्रेणी के सीबीआई के अधिकारी संतोष रस्तोगी घर के भेदी बन गए थे और उन्होंने ही सीबीआई की पत्रावलियों पर की गयी टिप्पणियों और अन्य दस्तावेजों को उक्त गैर सरकारी संगठन को उपलब्ध कराये और उनके ही आधार पर उनके (सिन्हा) के खिलाफ आधारहीन और गलत मामला बनाया गया। विशेष सरकारी वकील आनंद ग्रोवर ने आज कहा कि सिन्हा ने 2जी मामले में हस्तक्षेप किया जो एजेंसी के रुख के बिल्कुल उल्टा है। ग्रोवर ने उच्चतम न्यायालय से कहा यदि सिन्हा की राय स्वीकार कर ली जाती तो 2जी मामले में हमारा पक्ष ध्वस्त हो जाता। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि 2जी जांच से रस्तोगी को हटाना उसके आदेश की हेठी करने जैसा है।
उच्चतम न्यायालय ने आज अदालत कक्ष में भारी संख्या में सीबीआई के कई अधिकारियों की मौजूदगी पर भी नाखुशी जाहिर की। अदालत कक्ष में सीबीआई के करीब आठ अधिकारी मौजूद थे, जो न्यायालय की टिप्पणी के बाद बाहर चले गए।
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