यह एक सच्चाई है कि खर्च करने से सारी ची़जे कम हो जाती हैं। माल, दौलत, पैसा, खज़ाने इन सारी चीज़ों से अगर ज़मीन व आसमान के बीच का रिक्त स्थान भर भी दिया जाए और अगर मनुश्य थोड़ा-थोड़ा करके इसमें से खर्च करता रहे तो यह बात पूरे विष्वास के साथ कही जा सकती है कि यह सब कुछ खत्म हो जाएगा। लेकिन यह बात 100 प्रतिषत सही है कि ज्ञान एक ऐसी दौलत है जिसको जितना खर्च किया जाए उतना ही इसमें इज़ाफा होता चला जाता है। जहां तक मेरा सवाल मैंने धार्मिक षिक्षा हासिल करने के साथ ग्रेजुएषन किया है। मगर जो कुछ मैंने दिल्ली के गैर सरकारी संगठन चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेषन नेटवर्क के तहत होने वाली लेखन कार्यषाला में सीखा उतना मैंने अपने 18 साल के छात्र-जीवन में भी नहीं सीखा। कभी कभी मैं इस सोच में पड़ जाता था कि समाचार पत्रों में लेख लिखने वाले लोग बहुत बड़े पदों पर कार्यरत होते होंगे। कई बार मैंने समाचार पत्रों के साथ काम करने का सोचा भी और अलग अलग विशयों पर लेख लिखने का इरादा भी किया। मगर कागज़ की नाव बनाकर समुद्र को पार करने की उम्मीद कर रहा था। क्षेत्रीय और जनता की समस्याएं का हल न निकालना और ऊपर से अधिकारियों की लापरवाही से तंग आकर दिल में हर वक्त एक ही ख्याल आता था कि अपने कलम या ज़बान से ज़मीनी सच्चाई को उजागर कर सकूं। बेबस व बेसहाराओं की आवाज़ को अधिकारियों व प्रषासन तक पहुंचा सकूं। मगर यह सब करने के लिए दूर-दूर तक कोई साधन नज़र नहीं आ रहा था। अचानक भगवान ने मेरी सुन ली और चरखा के रूप में मेरे लिए संसाधन का बंदोबस्त कर दिया।
चरखा ने पुंछ की तहसील मंडी पर पहली बार 24, मार्च 2014 को कदम रखा जिसमें किसी के ज़रिए मुझे भी चरखा के करीब जाने का मौका मिला। चरखा के ज़रिए मंडी में आयोजित कार्यषाला में जब में दूसरे प्रतिभागियों के बीच पहुंचा तो उन्होंने मुझसे कहा कि ‘‘क्या ढू़ढ़ने आए हो चचा’’ के साथ मेरा स्वागत किया। मेरी खुद की क्षमता का यह हाल था कि मैं लैंडलाइन नंबर पर मैसेज किया करता था। चार दिवसीय कार्यषाला के दौरान हमें चरखा और उसके उद्देष्य को विस्तार से जानने का मौका मिला। इसके अलावा इस दौरान हमें राज्य व केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं और उसमें होने वाली बंटरबाट की जानकारी भी दी गई। कार्यषाला के दौरान हमें मंडी से सात किलोमीटर दूर अड़ाई गांव, फील्ड विजि़ट जाने का मौका मिला। इस दौरे से अड़ाई हवेली का एक माह पहले जला हुआ बिजली का ट्रांसफार्मर दूसरे दिन ही लग गया और लोगों के घर एक माह बाद बिजली से रोषन हुए। मैंने चरखा के ज़रिए आयोजित दूसरी लेखन कार्यषाला में भी हिस्सा लिया। इस कार्यषाला के दौरान हमें पत्रकारिता की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले पांच डब्ल्यू और एक एच के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस कार्यषाला के बाद सारे प्रतिभागियों ने एक एक लेख लिखा। मैंने भी एक लेख पिछले लोकसभा चुनाव में पंचायत बायला और राजपूरा के लोगों का चुनाव से बायकाट, षीर्शक बनाकर लिखा था। यह लेख मैंने कार्यषाला के खत्म होने पर चरखा के डिप्टी एडिटर अनीस-उर-रहमान-खान के हवाले कर दिया था। इसके बाद चरखा फीचर सर्विस के माध्यम से यह लेख दिल्ली से प्रकाषित होने वाले दैनिक अखबार अज़ीज़-उल-हिंद में 2, जुलाई 2014 को प्रकाषित हुआ और अगले ही दिन दैनिक उर्दू अखबार हिंदुस्तान एक्सप्रैस में। दिल्ली से प्रकाषित होने के एक माह के बाद यही लेख जम्मू एवं कष्मीर के मषहूर उर्दू अखबार ‘‘उड़ान’’ में 12 अगस्त 2014 को प्रकाषित हुआ। हर दिन की तरह इस दिन भी अखबार अपने वक्त पर यानी सुबह 8 बजे पहुंचा ही था कि सबसे पहले सुरनकोट से सिद्दीक अहमद सिद्दीकी का फोन बधाई के साथ, उसके बाद जम्मू से मुष्ताक मलिक और फिर दिल्ली से चरखा के डिप्टी एडिटर अनीस-उर-रहमान-खान का। इस तरह कुल 113 फोन, 17 एसएमएस और वाट्स एप कुल 5 मैसेज आए। जिंदगी में पहली बार इतने सारे फोन और मैसेज मिलने पर मैं अपनी जगह पर बहुत खुष था। मगर चंद बुध्दजीवियों और सियासी लोगों से ताना और हौंसला तोड़ने जैसे षब्द भी सुनने को मिले, मगर इससे मेरा हौंसला टूटने के बजाय और ज़्यादा बुलंद हुआ। इस मौके पर मैं अपने बुध्दजीवियों से यह ज़रूर कहना चाहता हंू कि मुझे चरखा के साथ जुड़े हुए अभी सिर्फ 6 महीने का अर्सा हुआ है। मगर इस छोटे से वक्त में जितने सार्वजनिक काम होते नज़र आए, उतने काम इतने छोटे से वक्त में होते हुए मैंने कभी नहीं देखे। मिसाल के तौर पर अड़ाई हवेली का बिजली का ट्रांसफामर हमारी टीम के एक दौरे की वजह से लगा। इसके बाद एक के बाद दूसरे काम होन लगे जिसमें खेत मीडिल स्कूल में सरपंच और दूसरों की मदद से खेल का मैदान मुहैया कराया गया। अड़ाई रहवाला का बिजली का ट्रांसफामर सिर्फ फोन पर विभाग के साथ बात करने से लग गया। 30 मार्च को एमएलए हवेली के सामने चार काम की मांग की जिसमें से मरीज़ों के लिए एंबुलेंस, मंडी से अड़ाई बस सर्विस, मीडिल स्कूल मलकां को हाईस्कूल का दर्जा, अड़ाई मलकां में पीएमजीएसवाई योजना के तहत सड़क निर्माण कार्य। भगवान का षुक्र व कर्म है कि 10 जुलाई 2014 को मंडी से अड़ाई बस सर्विस षुरू कर दी गई है जो आज जनता को अपनी सर्विस मुहैया करा रही है। दूसरे मीडिल स्कूल अड़ाई मलकां को हाईस्कूल करने का एलान कर दिया गया है। तीसरे अड़ाई मलकां के चार माह पहले बिजली का ट्रांसफामर विभाग के अधिकारियों के साथ सिर्फ फोन पर बात करने से सात दिनों के अंदर अंदर, मलकां तारा गढ़ का ट्रांसफामर मरम्मत करके लगवाकर यहां के लोगों को खप अंधेरे से निजात दिलवाने में कामयाबी नसीब हुई है।
विधानसभा चुनाव की वजह से राज्य में आचार संहिता लग चुकी है। इस दौरान विकास के नए कामों का एलान नहीं किया जाएगा। उम्मीद है कि चुनाव के बाद नई सरकार राज्य में बाढ़ प्रभावितों का ख्याल रखते हुए उनके पुनर्वास के लिए काम करेगी। इसी उम्मीद के साथ यहां के लोग जिंदगी के सफर में आगे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा मै एक बार फिर चरखा टीम को धन्यवाद कहना चाहता हंू जिसने हमें कलम की ताकत का एहसास कराकर अपने इलाके की समस्याओं को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उजागर करना सिखाया।
रियाज़ मलिक
(चरखा फीचर्स)
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