आदिवासियों से जुड़े मसले की जांच के लिए स्वतंत्र समिति बने - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 नवंबर 2014

आदिवासियों से जुड़े मसले की जांच के लिए स्वतंत्र समिति बने

  • न्याय, शांति और सम्मान के लिए आदिवासी अधिकार पद यात्रा 20 नवम्बर से
  • लगभग 3 लाख फर्जी प्रकरण आदिवासियों के खिलाफ दर्ज

ekta parishad
भोपाल। पिछले कुछ सालों में आदिवासी समुदाय के लिए कई नियम-कानून बनाए गए, जिसके माध्यम से उन्हें अधिकार एवं सम्मान देने का वायदा किया गया। वन अधिकार कानून की प्रस्तावना में यह लिखा गया है कि यह कानून आदिवासियों को ऐतिहासिक अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए बनाया गया है, पर इसके बावजूद जमीनी हकीकत यह है कि आज भी आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है, उनके अधिकार छिने जा रहे हैं, उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है और शांति एवं सम्मान से वे जी नहीं पा रहे हैं। आदिवासियों के साथ हो रहे ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ एकता परिषद और सहयोगी संगठनों द्वारा मध्यप्रदेश में डिंडोरी, मंडला और बालाघाट एवं छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले में आदिवासी और वंचित समाज के अधिकारों के लिए एक पदयात्रा का आयोजन किया गया है। पदयात्रा 20 नवंबर को डिंडोरी जिले के बजाग विकासखंड के चाड़ा गांव से प्रारंभ होगा। 10 दिसंबर 2014 को छत्तीसगढ के कबीरधाम (कवर्धा) में संपन्न होगी। एकता परिषद की मांग है कि सरकार आदिवासी समुदाय से जुड़े सारे मसलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन जल्द से जल्द करे।

 जन संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भारत सरकार के द्वारा गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद, सदस्य राजगोपाल पी.व्ही. ने आयोजित पत्रकार वार्ता में जोरदार ढंग से रखा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन का औसत 30 फीसदी है, जो कि बहुत ही कम है। यदि 6 सालों में 10 फीसदी की दर से भी इस पर क्रियान्वयन होता तो यह आंकड़ा 60 फीसदी तक हो पहुंच जाता। आदिवासियों के खिलाफ मनगढ़ंत और फर्जी प्रकरणों को भी अभी तक पूरी तरह नहीं हटाया गया है। प्रदेश में डेढ़ लाख प्रकरण हटाए जाने के बाद भी वर्तमान में लगभग 3 लाख फर्जी प्रकरण आदिवासियों के खिलाफ दर्ज है। विस्थापन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार विस्थापन से पहले विस्थापितों से पूर्व सहमति लिया जाना जरूरी है, पर मंडला, डिंडोरी क्षेत्र में बनने वाले हेरिटेज काॅरिडोर में 600 किलोमीटर का इलाका चला जाएगा, जिससे हजारों लोग विस्थापित होंगे। इसकी योजना तक बन गई है, पर लोगों को इसके बारे में नहीं मालूम हैं। प्रदेश की विशेष जनजाति बैगा के लिए बनाए गए बैगा विकास प्राधिकरण के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च किए गए, पर उसका काम पारदर्शी नहीं है। ये सारे मसले बहुत ही गंभीर है, जिनकी स्वतंत्र जांच जरूरी है,  जिससे कि आदिवासी समाज को न्याय मिल सके और वे शांति एवं सम्मान के साथ जी सकें। सभी मसले की जमीनी हकीकत को ज्यादा करीब से देखने एवं आदिवासी समुदाय को जोड़ने के लिए आदिवासी अधिकार पद यात्रा निकाली जा रही है। पदयात्रा में देश के विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी व वंचित समाज के प्रतिनिधि, विभिन्न दलों के नेतागण, वरिष्ठ पत्रकार तथा बुद्धिजीवी होंगे।

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