सरकार के भरोसे देश नहीं चल सकता : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 17 नवंबर 2014

सरकार के भरोसे देश नहीं चल सकता : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सरकार के भरोसे देश नहीं चल सकता और चलना भी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि देश चलाने के लिए लोगों को पहल करने देना चाहिए और शासन को उसमें रुकावट नहीं बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने सिडनी में ऑलफोंस एरीना में बड़ी संख्या में एकत्र हुए भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं नहीं मानता कि सरकारें देश बनाती हैं। पहले लगता था कि सरकार देश बनाती है लेकिन मैं मानता हूं कि सरकार देश नहीं बनाती और उसे बनाना भी नहीं चाहिए क्योंकि देश लोग बनाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमें देश बनाने के लिए लोगों को मौका देना चाहिए, सरकार उसमें बाधा नहीं बने और रास्ते से हट जाए।’

प्रधानमंत्री ने उत्साही भारतीय समुदाय के लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपनी इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘सरकार के भरोसे देश नहीं चल सकता और न चलना चाहिए। यह मेरा मानना है. लोगों को पहल करने दें। थोड़ी खिड़की खोलें और ताजा हवा आने दें।’ लोगों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को कम करने की दिशा में अपनी सरकार द्वारा उठाये गए कुछ कदमों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने विधायक, सांसद या राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणपत्र सत्यापित कराने की व्यवस्था खत्म कर दी है।

इस संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी यह व्यवस्था, मैंने उसे निकाल दिया। क्योंकि अगर हम अपनों पर भरोसा नहीं करेंगे तो लोग हम पर भरोसा क्यों करेंगे। किसी ने कहा कि ‘यह मेरा है (दस्तावेज) तो यह मेरा है’। जब नौकरी लगेगी तब मूल प्रमाणपत्र दिखा दें..।’ मोदी ने कहा कि अपने लोगों पर विश्वास करना सीखें। हम लोगों पर भरोसा करके उन्हें जोड़कर देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों को कानून बनाने में मजा आता था, मुझे अनावश्यक कानून खत्म करने में आनंद आता है।

देश में स्वच्छता अभियान चलाने, शौचालय बनाने और सभी गरीबों के बैंक खाते खोलने के कार्यो को वरीयता के आधार पर आगे बढ़ाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कई लोगों के बड़े बड़े काम करने के सपने होते हैं। वो सपने उन्हें मुबारक। मुझे तो छोटे छोटे काम करने हैं। छोटे लोगों के लिए करने हैं और छोटों को बड़ा बनाने के लिए करने हैं।’ उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की छह महीने की अल्पावधि में ही वह यह अनुभव कर सकते हैं कि देश के सामान्य लोगों ने जो सपने देखे हैं, उन्हें पूरा करने का भारत मां आर्शीवाद दे रही है और देश की जनता उसे कर दिखाने का सामथ्र्य रखती है।

उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारत फिर से उठ खड़ा होगा, सामथ्र्यवान बनेगा और विश्व को संकट से मुक्ति दिलाने की ताकत बनेगा। और अब ऐसा कोई कारण नहीं लगता कि हमारा देश पीछे रह जायेगा। मोदी ने कहा, ‘नियति ने उसका :भारत: आगे जाना तय कर लिया है। जिस देश के पास 250 करोड़ भुजाएं हों और उसमें भी 200 करोड़ ऐसी हों जो 35 साल से कम आयु की हैं। उस युवाशक्ति और नौजवानों की ताकत के बल पर भारत मजबूत शक्ति बनेगा।’

हाल के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारतीय राजनीति में परिवर्तन के लिए विश्वभर में रह रहे भारतीयो की उमंग को दर्शाते हैं। इन नतीजों के प्रति लोगों की जिज्ञासा ,भारत के उज्जवल भविष्य को लेकर थी, न कि किसी पार्टी की हार या जीत को लेकर। जन धन योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 67 साल में एक साल में औसतन एक करोड़ बैंक खाते खुलते थे लेकिन इस योजना के शुरू होने के 10 हफ्ते में सात करोड़ से अधिक खाते खुल चुके हैं। चुनाव के बाद देश में बदलाव के माहौल का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘सरकार वही, मुलाजिम वही, दफ्तार वही, फाइल वही, आदत वही, लोग भी वही.. लेकिन काम हुआ कि नहीं हुआ।’

अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मेडिसन स्कवायर की तरह यहां सिडनी के ऑलफोंस एरीना में भी ‘मोदी मोदी’ के जयकारे लगाने वाली और उनकी हर बात पर तालियां बजा कर समर्थन करने वाली अतिउत्साही भीड़ को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोगों और व्यवस्थाओं को कम करके नहीं आंके। अगर सही दिशा दी जाए तब लोग उससे भी आगे दौड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘काम बहुत कठिन है लेकिन क्या हम यह सोचकर उसे हाथ नहीं लगाएं.. उससे दूर भाग जाएं ? मैंने एक बड़ा संकट मोल लिया है। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्रमा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने आजादी नहीं देखी और अगर वो यह सोचते कि मेरे जीते जी आजादी आ जाए तब कभी आजादी नहीं मिल सकती थी।’

मोदी ने आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों का भी आह्वान किया कि स्वच्छ भारत के अभियान को आगे बढ़ाने में वे भी पहल करें और भारत के अपने मूल गांव एवं स्थानों पर शौचालय बनाने में योगदान करें। इस पर उपस्थित लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर अपना समर्थन जताया। श्रम के सम्मान की जोरदार वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सफाई करना या कूड़ा कचरा उठाना, अपनी शान कम करने की बात नहीं है बल्कि बहुत इज्जत का काम है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ‘श्रमेव जयते’ योजना शुरू की है।

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