केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि मुगलकालीन जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. लिहाजा, यह फैसला वक्फ को करना है कि नए शाही इमाम के चयन में उत्तराधिकार का कानून कैसे लागू होता है. दरअसल, जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बेटे शाबान बुखारी की नायब शाही इमाम के तौर पर होने वाली दस्तारबंदी को अदालत में चुनौती दी गई है. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी तथा न्यायमूर्ति आर.एस. एंडलॉ की पीठ से कहा कि ‘‘यह अप्रासंगिक है कि किसे आमंत्रित किया गया है और किसे नहीं किया गया है लेकिन परेशान करने वाली बात यह है कि हम अपने इतिहास से कैसे पेश आते हैं.
बुखारी के खिलाफ सुहैल अहमद खान, अजय गौतम और वी.के. आनंद की ओर से दस्तारबंदी के फैसले को चुनौती देते हुए दायर 3 अलग-अलग जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और बुखारी इसके कर्मचारी हैं. ऐसे में वह अपने बेटे को नायब शाही इमाम नियुक्त नहीं कर सकते. याचिकाओं में कहा गया है कि शाही इमाम ने गत 30 अक्तूबर को ऐलान किया कि उनके 19 साल के बेटे उनके बाद जामा मस्जिद के शाही इमाम होंगे तथा 22 नवम्बर को बतौर नायब शाही इमाम उनकी दस्तारबंदी की जाएगी. गौरतलब है कि शाही इमाम बुखारी ने दस्तारबंदी में शरीक होने के लिए पाक पीएम नवाज शरीफ को तो न्यौता भेजा था लेकिन देश के पीएम नरेंद्र मोदी को न्यौता नहीं भेजा था.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें