झारखण्ड में प्रधानमंत्री मोदी की कुल 10 सभाऐं, संताल परगना में दो सभाएँ। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 15 नवंबर 2014

झारखण्ड में प्रधानमंत्री मोदी की कुल 10 सभाऐं, संताल परगना में दो सभाएँ।

  • भाजपा ही इस राज्य का एकमात्र विकल्प,  भाजपा के प्रदेश प्रभारी शिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा 

jharkhand election 2015
नेतृत्व परिवर्तन की बयार पूरे देश में चल रही है। झारखण्ड भी इस बयार से अछूता नहीं है। जनता परिवर्तन चाहती है। विकल्प के तौर पर एक मात्र भाजपा को देखा जा रहा है। किसी भी राज्य के संपूर्ण विकास में अनेक दलों की मिली जुली सरकार एक बड़ा रोड़ा है। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से विकास अवरुद्ध हो जाता है। विधानसभा चुनाव-2014 में भाजपा के प्रदेश प्रभारी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने (14 नवम्बर) को दुमका के मैहर गार्डेन में आयोजित प्रेसवार्ता में उपरोक्त बातें कही। दुमका से भाजपा प्रत्याशी डाॅ0 लुईस मराण्डी, जिलाध्यक्ष दिनेश दत्ता व  भाजपा नेता निवास मंडल की मौजूदगी में प्रदेश प्रभारी श्रीरावत ने कहा एनडीए के अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय ही झारखण्ड, उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना था। उत्तराखण्ड व छत्तीसगढ़ की स्थिति झारखण्ड से काफी अधिक विकसित है। भाजपा को इन तीनों ही प्रदेशों से काफी लगाव रहा है। विकास के मामले में उत्तराखण्ड व छत्तीसगढ़ इस राज्य से काफी आगे है। चाहे सड़क निर्माण की बात हो, पानी-बिजली, स्वास्थ्य-चिकित्सा या फिर औद्योगिक विकास के क्षेत्र की। उपरोक्त दोनांे राज्यो की स्थिति काफी उन्नत है। जहाँ एक ओर उपरोक्त राज्य विकास की दौड़ में काफी आगे चल रहे हैं वहीं दूसरी ओर झारखण्ड और भी गर्त में जा रहा है। राजनीतिक अस्थिरता इस राज्य की सबसे बड़ी बिडम्बना रही। राजनीति अस्थिरता के कारण जो विकास होना चाहिए था इस राज्य का नहीं हुआ। इस राज्य में मानव श्रम काफी मजबूत है। कई प्रदेशों में इस राज्य के श्रमिकों को काम करते हुए देखा जा सकता है। उत्तराखंड के फरनिस्ड इंडस्ट्रीज में झारखण्ड के श्रमिक काफी देखे जा सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों की रायल्टी उसी राज्य को सौ फीसदी प्राप्त हो इसके लिये सरकार की कई योजनाऐं है। प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर यह कह दिया है, पंचायतों को उसका अधिकार प्राप्त होगा। श्री रावत ने कहा पशुधन के मामले में झारखण्ड काफी समृद्ध राज्य है। झारखण्ड में गौ विज्ञान प्रौद्यागिकी संस्थान की स्थापना पार्टी का उद्देश्य है। संताल परगना में पार्टी को मजबूती प्रदान करने व जनता के बीच जागरुकता लाने के उद्देश्य से जो जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है वे उसका पालन कर रहे हैं। उन्होनें कहा दबाब की राजनीति से भाजपा दूर रहना चाहती है। महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन टूटने के सवाल पर श्री रावत ने कहा शिवसेना दबाब बनाना चाहती थी। महाराष्ट्र में परिणाम अनुकुल रहा। अल्पसंख्यकों के बारे में श्रीरावत ने कहा अल्पसंख्यक लगातार भाजपा से जुड़ना चाह रही है। कई अल्पसंख्यक भाजपा में अच्छे-अच्छे पदों को सुशोभित कर रहे है। एसपीटी एक्ट की बात करते हुए श्रीरावत ने कहा इस एक्ट को न तो बदलने की बात है और न ही इसे हटाने की बात। श्रीरावत ने कहा पूरे झारखण्ड में प्रधानमंत्री मोदी की लगभग 10 सभाएँ होनी है। संताल परगना प्रमण्डल में दो सभाओं के लिये बातचीत जारी है। विदेश भ्रमण से लौटने के बाद ही पीएमओ इस पर विचार करेगी। 

महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रो0 स्टीफन मराण्डी होगें झामुमों के प्रत्याशी  
jharkhand election 2015
पूरी तरह यह तय हो चुका है कि पिछले 30-35 वर्षों से दुमका की धरती से सूबे की राजनीति करने वाले प्रो0 स्टीफन मराण्डी महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से ही झामुमों के टिकट पर चुनाव लड़ेगंे। झामुमों के टिकट पर सूबे के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खुद के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना के बाद यह माना जा रहा है कि हेमन्त के वोट बैंक में सबसे अधिक क्षति का सबब बनने वाले प्रो0 स्टीफन मराण्डी को अन्यत्र शिफट् कर देने के बाद दुमका से प्रबल प्रतिद्वन्दी का रास्ता जहाँ एक ओर स्वतः समाप्त हो जाऐगा, वहीं दूसरी ओर पार्टी में पुनः वापसी से दुमका की जनता के बीच झामुमों के विरुद्ध फैला असंतोष सहानुभूति का रुप ले लेगा। शिवपहाड़ स्थित अपने आवास पर दिन गुरुवार (13 नवम्बर) की दोपहर पत्रकारों के साथ आयोजित वार्ता में उपरोक्त बातों को स्वीकार करते हुए प्रो0 स्टीफन मराण्डी ने कहा लाख गिला-शिकवा हो फिर भी अपना घर अपना ही होता है। अपने घर में हमेशा लौट आने की संभावना बनी रहती है। प्रो0 मराण्डी ने कहा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को गुरुजी के साथ उन्होनें सींचा है। राज्य की एक प्रमुख पार्टी के रुप में झामुमों की जो पहचान बन चुकी है उसके पीछे सिर्फ शिबू सोरेन का ही हाथ नहीं है, अपितु वैसे नेताओं का भी पूर्ण समर्पण रहा है जो पार्टी से आत्मा के साथ जुड़े रहे। पारिवारिक विवाद व अन्तर्कलह के बाद सिद्धान्तों के आधार पर भले ही उन्होनें पार्टी छोड़ी थी, यह सच है तथापि यह भी सच है कि झामुमों का साथ छोड़ने के बाद वे काँग्रेस में चले गए थे। काँग्रेस में जो पद व प्रतिष्ठा उन्हें प्राप्त होने चाहिए थे वह प्राप्त नहीं हुआ। कई अन्य ऐसे कारण रहे जिसकी वजह से प्रो0 मराण्डी को काॅग्रेस छोड़ने के लिये बाध्य होना पड़ा। काॅग्रेस में प्रो0 मराण्डी को कोई तरजीह नहीं दी गई। संताल परगना में वे जो चाहते थे संभव नहीं हो सका। काॅग्रेसी नेताओं के बीच पद व प्रतिष्ठा की लड़ाई चरम पर खुद ही थी ऐसे में प्रो0 मराण्डी का हाशिये में पड़े रहना कोई बड़ी बात नहीं थी। काॅग्रेस में रहकर वे राजनीति नहीं कर सकते मन में इस विचार के आते ही उन्होनें बाबूलाल मराण्डी को पकड़ा। बाबूलाल मराण्डी को संताल परगना में एक कद्दावर नेता चाहिए था। बाबूलाल मराण्डी ने प्रो0 स्टीफन मराण्डी को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में झाविमों के टिकट पर चुनाव लड़ाने की घोषणा तक कर डाली। दुमका की जनता कहती है प्रो0 स्टीफन मराण्डी जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर देते हैं। झाविमों के साथ भी लगभग वैसा ही हुआ। झाविमों में कुछ महीनों तक रहने के बाद प्रो0 स्टीफन मराण्डी फिर से झामुमों में शामिल हो गए। महेशपुर से प्रो0 स्टीफन मराण्डी के जीतने की संभावना कितनी है इसपर पत्रकारों को आश्वस्त करते हुए वे कहते हैं-महेशपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पाकुडि़या से तीन-चार कि0मी0 पहले ही खरौनी में उनका पैत्रिक आवास है। महेशपुर से वे काफी जुड़े हुए हैं। झामुमों ने सोंच-समझ कर ही महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से लड़ने का आॅफर दिया है। इसी विधानसभा खेत्र से झामुमों के कद्दावर नेता रहे सुफल मराण्डी पार्टी से काफी नाराज चल रहे हैं। महेशपुर उनका क्षेत्र है। उनकी सीट पर प्रो0 स्टीफन मराण्डी को लड़ाना पार्टी के लिये कितना फायदेमंद साबित होगा यह तो 23 दिसम्बर को ही पता चल पाऐगा किन्तु जो स्थिति इनदिनों देखने को मिल रही है, सुफल मराण्डी का सहयोग उन्हें प्राप्त हो पाना टेढ़ी खीर प्रतीत होता है।  

स्ंाताल परगना में भाजपा की राजनीति से गुम हो चुके हैं निशिकांत दूबे 
संताल परगना प्रमण्डल की राजनीति में नेतृत्व का दंभ भरने वाले गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे का जादू अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से लेकर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव तक जिस तरह संताल परगना की राजनीति में निशिकांत दूबे छाये रहे, विधानसभा चुनाव-2014 में इस क्षेत्र की राजनीति में उनका बंटाधार हो गया। लोकसभा चुनाव-2014 में दुमका से प्रत्याशी सुनील सोरेन को डाॅ. लुईस मराण्डी गु्रप ने कोई तरजीह नहीं दी, जैसा कि आरोप लगाया जाता रहा। दुमका में डाॅ0 लुईस मराण्डी के विरुद्ध परोक्ष रुप से बयानवाजी करने वाले निशिकांत दूबे नेपथ्य में इन दिनों है। संताल परगना में भाजपा की राजनीति से अचानक ओझल हो चुके निशिकांत दूबे की चर्चा चैक-चैराहों पर जारी है। श्री दूबे को न तो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में ही कोई स्थान दिया गया और न ही राज्य की राजनीति में ही कोई महत्वपूर्ण फैसला का अवसर प्रदान किया गया। राज्य की उपराजधानी दुमका में लगातार प्रवास और प्रेस में बयानवाजी के अवसर से भी वे महरुम ही दिख रहे। संताल परगना प्रमण्डल के तमाम 18 में से 17 विधानसभा सीटों के लिये पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े कर दिये, शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट सहयोगी दल लोजपा को दे दी गई, किन्तु इस बीच ऐसा कोई अवसर नहीं आया जब निशिकांत दूबे से कोई राय ली गई हो। निशिकांत दूबे का अचानक खामोश हो जाना कई सवाल छोड़ गया है संताल परगना की राजनीति में। लोग यह समझने पर मजबूर हो रहे कि अर्जुन मुण्डा समर्थकों की पैठ खुद-ब-खुद बढ़ती जा रही। दुमका में जब भी मीडियाकर्मियों के साथ उनकी वार्ताएँ आयोजित होती रही, संताल परगना की राजनीति से संबंधित मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरते रहे। पार्टी की अन्दरुनी हालात पर भी उनके बेवाक टिप्पणी जारी होती रही, अपना पक्ष पूरी प्रमुखता से वे रखते रहे। श्री दूबे के विरुद्ध पार्टी को क्या मैसेज गया यह तो समझ पाना काफी कठिन है तथापि माना जा रहा है कि उनका बड़बोलापन ही वर्तमान में उनकी खामोशी का एक अहम राज बनकर रह गया। दुमका में भाजपा के दो गुटों के बीच आज भी अन्तर्कलह परवान पर है। दुमका से डाॅ0 लुईस मराण्डी को टिकट प्राप्त होने से लेकर जामा के पूर्व विधायक सुनील सोेरेन व जरमुण्डी से टिकट की दौड़ में सबसे सबसे चर्चित चेहरा सीताराम पाठक को दरकिनार कर दिये जाने का मामला पार्टी के भीतर बहस का मुद्दा बना हुआ है। अब जबकि दुमका से डाॅ0 लुईस मराण्डी सहित जामा से सुरेश मुर्मू व जरमुण्डी से अभयकांत प्रसाद चुनावी मैदान में पूरी दमखम से उतर चुके हैं देखना यह है कि प्रचार-प्रसार में निशिकांत दूबे का कितना सहयोग उम्मीदवारों को प्राप्त होता है। 

मतदाताओं में जागरुकता के लिये जनसंपर्क अभियान जारी, कला जत्थाओं के माध्यम से किया जा रहा जागरुक
मतदाता जागरूकता को ध्यान में रखते हुए जिले के काठीकुण्ड प्रखंड के ग्राम आसनपहाड़ी एवं शिवतल्ला, सिदो कान्हु संताली सांस्कृतिक केन्द्र सालताला ने शिकारीपाड़ा व रानेश्वर प्रखंड के असना व आसनबनी में, संताली सांस्कृतिक मंडली ने मसलिया प्रखंड के नवासन व पलासी में, प्रयास फाउन्डेसन ने सरैयाहाट प्रखंड के ग्राम विसनपुर व ढोलपहाड़ी में, जनमत शोध संस्थान ने जामा प्रखंड के जामोगोड़ी व उदलखाप में अपने-अपने कला जत्थाआंे के माध्यम से गीत-नृत्य, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से मतदाताओं को जागरुक किया। विधानसभा आम चुनाव- 2014 में भागीदारी निभाने एवं निडर होकर मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, दुमका द्वारा इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है। विदित हो दुमका में 20 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव होना तय है। अधिक से अधिक मतदाताओं का झुकाव मतदान पर हो सके इसके लिये राज्य चुनाव आयोग के निर्देश पर स्वीप कोषांग के तत्वावधान में और भी कई तरह के कार्यक्रम चलाऐ जा रहे हैं। संताली लोक नृत्य मंडली ने जनसम्पर्क विभाग के सरकारी प्रचार वाहन से मसलिया प्रखंड के पलासी, रांगा, निझोर, शिकारपुर, भांगाडीह, पथरिया, बेलियाजोड़, नुतनडीह, खोरना, कालीपाथर, धोबना, कुषुमघाटा, लताबड़, गुवासोल, निपनिया, बेलपहाड़ी, दुखियाडीह इत्यादि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार प्रसार किया। 

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