- उपद्रव के चलते सरकारी बसें समेत दर्जनों वाहनें जली तो कईयों के शीशा चकनाचूर
- शाम ढलते ही अधिवक्ताओं-छात्रों एवं पुलिस के बीच जमकर हुए पथराव के बाद भड़का हिंसा
- प्रथम दृष्टया जांच में पुलिस की निष्क्रियता उजागर, जिले के आला अधिकारियों सहित मुख्य सचिव को तलब
इलाहाबाद (सुरेश गांधी )। यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर के बाहर सोमवार को उपद्रव के बीच जमकर तो़ड़फोड होने से इलाके में दहशत फैल गयी है। मामला उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बीएन तिवारी पर हुए हमले के विरोध में रास्ता जाम कर रहे वकीलों का स्थानीय लोगों से विवाद बताया जा रहा है। जाम लगने से नाराज भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में वकीलों ने भी ईंट-पत्थर चलाए तो हालात बेकाबू हो गए। पथराव के चलते मची भगदड़ में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई और दर्जनभर से अधिक लोग लहूलुहान हो गए। आधा दर्जन रोडवेज बसें भी उपद्रव की चपेट में आईं। पत्थर लगने से उनके शीशे चकनाचूर हो गए। बड़ी संख्या में निजी वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुरक्षा कमेटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने जिले के आला अधिकारियों सहित मुख्य सचिव को तलब किया है। इसके पहले उन्होंने हाईकोर्ट परिसर के बाहर हुई तोड़फोड़ की जानकारी ली और कर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए। अध्यक्ष ने मामले को हाईकोर्ट की सुरक्षा से जुड़ा मानकर प्रदेश के मुख्य सचिव को 18 नवंबर को तलब किया है। प्रथम दृष्टया जांच में उन्होंने पुलिस की निष्क्रियता माना है। ताज्जुब इस बात का है कि चार घंटे तक हाईकोर्ट परिसर के आसपास अराजकता का आलम था, मगर पुलिस गायब थी। जब सब कुछ तहस-नहस हो गया तो भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे एसपी सिटी राजेश यादव ने आक्रोशित वकीलों को शांत कराया। हाईकोर्ट परिसर के आसपास पुलिस-पीएसी भी तैनात कर दी गई है। बताया जा रहा है कि धूमनगंज थाना अंतर्गत कृष्णा बिहार कॉलोनी में रहने वाले हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीएन तिवारी का सपा नेता चंद्रबली सिंह पटेल से विवाद चल रहा है। आरोप है कि बीते शुक्रवार की शाम सपा नेता ने अपने असलहाधारी समर्थकों के साथ तिवारी के घर हमला कर दिया था। इस हमले में बीएन तिवारी और उनके पुत्र वेणुगोपाल घायल हो गए थे। अधिवक्ता की तहरीर पर पुलिस ने सपा नेता चंद्रबली और दो चैकीदारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई। इस बात से बीएन तिवारी के अधिवक्ता साथी नाराज थे। उन्होंने सोमवार दोपहर 12.30 बजे आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए हाईकोर्ट पानी की टंकी के पास जाम लगा दिया। सैकड़ों वाहन, स्कूल बस, एंबुलेंस जाम में फंस गए। सूचना दिए जाने के बाद भी कोई पुलिसकर्मी नहीं पहुंचे। इसी दौरान स्कूटी पर स्कूल से अपनी बेटी को लेकर घर ले जा रहा रईस नामक युवक जाम में घुस गया तो कुछ लोगों ने दोनों की पिटाई कर दी। इससे छात्रा बेहोश हो गई। यह देख स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा और वह पथराव के साथ तोड़फोड़ करने लगे। अधिवक्ताओं को भी दौड़ा लिया गया। भीड़ के हाथ जो भी लगा, उसकी जमकर धुनाई की। आक्रोशित भीड़ ने सड़क किनारे खड़ी बाइकों को नाले में फेंक दिया। साथ ही हाईकोर्ट के करीब खड़ी अधिवक्ताओं की तमाम कारें भी क्षतिग्रस्त कर दीं। जवाब में वकीलों की तरफ से भी मोर्चा संभाल लिया गया। अफरातफरी और भगदड़ में फंसकर फुटपाथ पर फल बेच रही नीवां निवासी शांति देवी (65) की जान चली गई। कई और महिलाएं भी भागते समय गिरकर चुटहिल हो गईं। करीब चार घंटे बाद पुलिस हालात सामान्य कर सकी। इसके उपरांत क्षतिग्रस्त हुई रोडवेज की बस के परिचालक जितेंद्र सिंह और अधिवक्ता सैफउल्ला की तहरीर पर कैंट पुलिस ने सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट, बलवा, वाहनों में तोड़फोड़ और शांति व्यवस्था भंग करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की। एसएसपी दीपक कुमार का कहना है कि उपद्रवियों को चिह्न्ति कर कार्रवाई की जाएगी।
महिला की मौत का जिम्मेदार कौन?
हाईकोर्ट के समीप चक्काजाम के दौरान भड़की हिंसा फल विक्रता गरीब बुजुर्ग महिला की मौत का जिम्मेदार कौन है। बड़ी वजह यह है कि दोपहर करीब साढ़े 12 बजे से लेकर शाम साढ़े चार बजे तक हाईकोर्ट का इलाका अराजकता के साए में रहा। नवाब युसुफ रोड, करियप्पा द्वार के सामने, ओवर ब्रिज और हाईकोर्ट रोड पर ईंट-पत्थर चलते रहे। कई नकाबपोश युवक और छात्र भी तोड़फोड़ में शामिल रहे। लेकिन पुलिस का कही अता-पता नहीं रहा। रेलवे कॉलोनी में भी घुसकर पथराव व तोड़फोड़ की गई। वकील और जनता के बीच करीब आधे घंटे तक पथराव चलता रहा। जिसे देख इलाके के लोग बुरी तरह दहशत में आ गए। लोगों का कहना था कि यदि समय पर पुलिस पहुंच आती तो इतना बड़ा बवाल नहीं होता है। बता दे, धूमनगंज थाना क्षेत्र के नीवां मुहल्ले में रहने वाली 65 वर्षीय शांति देवी के पति दुखी लाल की कई साल पहले ही मौत हो चुकी है। वह अपना और एक बेटी का भरण पोषण हाईकोर्ट के समीप सड़क पर फल बेचकर करती थी। शायद उसे नहीं पता था कि वह वकील और जनता के बीच हुए संघर्ष में बलि चढ़ जाएगी। दोपहर करीब पौने तीन बजे पथराव से भगदड़ मची तो शांति अपने साथ फल बेचने वाली महिलाओं कुसुम, तुलसी, उमा के साथ भागने लगी। सिर पर फल की टोकरी होने के कारण तेज भागी तो सड़क पर गिर पड़ी और सिर पर गहरी चोट लग गई। वह किसी तरह सड़क से खिसकते-खिसकते मंदिर के किनारे लेट गई तो फिर उठ न सकी। करीब चार बजे लोगों ने पुलिस को बताया तो उसे आनन-फानन में स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बुजुर्ग महिला की मौत के साथ ही एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है? पथराव, जाम, जनता, वकील, पुलिस या फिर कुशासन? पुलिस महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उसकी जांच कराने की बात कह रही है, लेकिन उसके बाद भी क्या यह पता चल पाएगा कि उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है। यह पुलिस, प्रशासन और बवाल करने के साथ ही शहर की जनता के सामने एक यक्ष प्रश्न है। जिसके जवाब का शहर के लोगों को इंतजार रहेगा।
न्यायिक कार्य से विरत अधिवक्ता
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कानपुर रोड पर अधिवक्ताओं के दर्जनों वाहनों में तोड़फोड़ की घटना के विरोध में मंगलवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का फैसला लिया है। मुख्य द्वार के सामने बार की सभा बुलाई भी गई है। बार एसोसिएशन ने उपद्रवियों को चिह्नित कर गिरफ्तार करने तथा पुलिस निष्क्रियता की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। संबंधित पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने एवं क्षतिग्रस्त वाहनों का मुआवजा दिलाये जाने की मांग भी की गई है। इस घटना की सूचना मुख्य न्यायाधीश, डीएम, एसएसपी, मंडलायुक्त व अधिवक्ता संगठनों को दी गई है।
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