प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने भारत के 'मंगलयान' को 2014 के सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया है और इसे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐसी उपलब्धि बताया है, जो भारत को अंतर-ग्रहीय अभियानों में पांव पसारने का मौका प्रदान करेगी। 'टाइम' ने मंगलयान को 'द सुपरमार्ट स्पेसक्राफ्ट' की संज्ञा दी है। पत्रिका ने कहा, कोई भी मंगल ग्रह पर पहली कोशिश में नहीं पहुंचा। अमेरिका नहीं कर सका, रूस नहीं कर पाया और न ही यूरोपीय देश कर पाए। लेकिन 24 सितंबर को भारत ने ऐसा कर दिखाया। ऐसा तब हुआ तब मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर गया, एक ऐसी उपलब्धि जो कोई अन्य एशियाई देश हासिल नहीं कर पाया।
'टाइम' पत्रिका ने मंगल यान को 2014 के 25 सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में शामिल किया है, जो दुनिया को बेहतर, सुन्दर और कुछ मामलों में आनंददायक बनाने वाले हों। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार मंगलयान पर 7.4 करोड़ डॉलर की लागत आई थी, जो अकादमी पुरस्कार विजेता फिल्म 'ग्रैविटी' पर आए खर्च से कम है। 'टाइम' ने कहा कि मंगलयान पर जो पांच उपकरण लगाए गए हैं, उनके माध्यम से मंगल ग्रह पर मिथेन का आकलन करने और उसकी सतह की बनावट के बारे में जानकारी जुटायी जाएगी।
पत्रिका ने कहा, महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे भारत को अंतर-ग्रहीय अभियान में पांव पसारने में मदद मिलेगी, जो देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम और विशेष तौर पर विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी बात होगी। इस सूची में दो भारतीयों के आविष्कार भी शामिल हैं, जो अलग-थलग रखे जाने वाले कैदियों को योग करने के लिए स्थान उपलब्ध कराने और बच्चों के लिए खिलौना टैबलेट से जुड़ा है। वन पर्यावरणविद् नलिनी नादकर्णी ने ओरेगन में स्नेक रिवर सुधार संस्थान के साथ 'ब्लू रूम' तैयार किया, जो अलग-थलग रखे जाने वाले कैदियों के लिए है, जिन्हें दिन में 23 घंटे दीवारों के अलावा कुछ और देखने को नहीं मिलता है। गूगल के पूर्व इंजीनियर प्रमोद शर्मा ने 'ओस्मो' नामक खिलौना टैबलेट तैयार किया है। इस सूची में शामिल अन्य आविष्कारों में लाकहीड मार्टिन की ओर से तैयार रिएक्टर और एप्पल स्मार्ट वाच, माइक्रोसॉफ्ट सर्फेस प्रो 3 शामिल हैं।
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