विशेष : महिला अधिकारों को लेकर एचआरएलएन की अनोखी पहल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 16 नवंबर 2014

विशेष : महिला अधिकारों को लेकर एचआरएलएन की अनोखी पहल

अब तक तेजाब फेंकने सहित सैकड़ों घटनाओं में उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को दिला चुके है न्याय। इस कार्य में लाॅयर स्मृति कार्तिकेय, लॉ इंटर्न दीक्षा द्विवेदी सहित दर्जनभर युवतिया है शामिल। दोनों सम्मानित हो चुकी है विभिन्न पुरस्कारों से 

इलाहाबाद युनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता कमल कृष्ण राय उर्फ केके राय व काॅलिन गांसाल्वेस क्रांति की प्रेरणा से गठित ह्यूमन राइट्स लाॅ नेटवर्क अब न सिर्फ समाज के दबे-कुचलों बल्कि विभिन्न घटनाओं में उत्पीड़न की शिकार महिला अधिकारों के लिए अग्रणी संगठन बन गया है। इनके अधिकारों के लिए लड़ने वाला यह संगठन अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय से भी न्याय दिलाने में बड़ी भूमिका अदा कर रही है। इसके लिए सीनियर अधिवक्ता केके राय के ही देखरेख में लाॅयर स्मृति कार्तिकेय, लॉ इंटर्न दीक्षा द्विवेदी सहित दर्जनभर युवतिया समाज के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर इन दिनों न सिर्फ पीडि़त व उपेक्षित महिलाओं को न्याय दिलाने का बीडा उठाया है, बल्कि हाईकोर्ट से न्याय दिला भी रही है। ताजा मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर द्वारा सेंट्रल लाइब्रेरी में लड़कियों के प्रवेश पर लगाई गयी रोक को इलाहाबाद हाईकोर्ट आॅफ से वीसी को नोटिस भेजवाना है। हाईकोर्ट ने वीसी के आदेश को गैरकानूनी बताते हुए उन्हें नोटिस देकर 24 नवंबर तक जवाब मांगा है। इसके पहले चाहे वह प्रदेशभर में जगह-जगह महिलाओं पर तेज फेंकने का मामला रहा हो या उनके इलाज खर्च के लिए मुआवजा सहित आरोपियों को जेल भेजवाने का रहा हो या फिर विभिन्न जेलों में बंदी महिलाओं के उत्पीड़न का रहा हो या झाड़-फूंक के नाम पर पीडि़त महिलाओं का सभी को न्याय दिलाने में एचआरएलएन टीम सफल रहा। 

लाॅ प्रशिक्षु के रुप में अनुभव प्राप्त कर चुकी स्मृति कार्तिकेय ने जब डा राममनोहर लोहिया राष्टीय विधि विश्व विद्यालय से विधि की स्नातक की उपाधि लेकर एक अधिवक्ता के रुप में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दाखिल हुई तो वहां उनकी मुलाकात इलाहाबाद युनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर अधिवक्ता कमल कृष्ण राय उर्फ केके राय से हुई। फिर क्या मानों यही से उनके कैरियर को पंख लग गए। और एचआरएलएन के कर्ताधर्ता केके राय के सागिर्द में एक के बाद एक उपलब्धियों उनके कैरियर को बुलंदियों तक ले जाने में कारगर साबित होने लगे। भला क्यों नहीं उन्हें महिलाओं-बालिकाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा ह्यूमन राइट्स लाॅ नेटवर्क का जो मंच मिल गया। प्रदेशभर में करीब आधा दर्जन युवतियों पर तेजाब फेंकने के मामले में पीडि़तों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से न सिर्फ न्याय दिलवाया बल्कि आरोपियों को जेल भेजवाकर उनके इलाज की भी व्यवस्था कराई गयी। जेल में बंदी महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार के लिए महिला डाक्टरों की व्यवस्था कराने के साथ ही दवा भी मुफत में उपलब्ध कराई गयी। इतना ही नहीं पैसे के अभाव में अस्पतालों के डाक्टरों द्वारा भगाए जाने पर प्रसव सड़क पर कराने को मजबूर पीडि़त महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर न सिर्फ उनके स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा की बल्कि दोषियों को दंडित कराने का काम भी न्यायालय से कराया। इसके अलावा झाड़-फूक जादू-टोना, भूत-प्रेत के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार करने वाले ओझा-मौलवियों की भी गिरफतारी करवाकर घायलों का सरकारी खर्च पर इलाज करवाया गया। अधिवक्ता के रुप में स्मृति कार्तिकेय व एक उभरती सख्सियत के रुप में चर्चित इलाहाबाद विश्व विद्यालय की विधि छात्रा व लाॅ इंटर्न दीक्षा द्विवेदी ने साथ मिलकर तकरीबन 20 महत्वपूर्ण जनहित याचिका पीआईएल न सिर्फ दाखिल किया बल्कि महत्वपूर्ण आदेश भी प्राप्त कर संबंधितों को प्याय दिलाने का काम किया है। 

ताजा मामला अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का है, जिन्होंने युनिवर्सिटी की छात्राओं को सेंट्रल लाइब्रेरी में जाने पर रोक लगा दी थी। इस हिटलरी फरमान को भी ह्यूमन लाॅ नेटवर्क की लाॅयर स्मृति कार्तिकेय व यूनिवर्सिटी आॅफ इलाहाबाद की लॉ इंटर्न दीक्षा द्विवेदी ने चुनौती के रुप में लिया और पीआईएल दाखिल की। इस पीटिसन में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वीसी के आदेश को गैरकानूनी करार देते हुए उन्हें नोटिस दिया है। नोटिस में पूरे प्रकरण का जवाब मांगा गया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने इस याचिका पर अगली सुनवाई की तिथि 24 नवंबर मुकम्मल भी कर दी है। यह आदेश चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड व जस्टिस पीकेएस बघेल की बेंच ने दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में लिंग के आधार पर लड़कियों को न जाने देना गलत बताया गया है। हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति पर छात्राओं के साथ लैंगिक भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए मौलाना आजाद सेंट्रल लाइब्रेरी में रोक लगाए जाने को गलत ठहराया गया था। याचिका में कहा गया था छात्राओं को भी छात्रों के समान शिक्षा पाने व लाइब्रेरी का लाभ लेने का कानूनी अधिकार है। वीसी ने लड़कियों को लाइब्रेरी में जाने से रोककर संविधान की खिल्ली उड़ाई है। याचिका के पक्ष में कोर्ट में ह्यूमन लाॅ नेटवर्क की लाॅयर स्मृति कार्तिकेय एवं लॉ इंटर्न दीक्षा द्विवेदी, चार्ली प्रकाश, साक्षी सिंह, अभिजीत चटर्जी ने बहस की। बता दें, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कुलपति ले. जनरल जमीरुदीन शाह के लड़कियों के लाइब्रेरी में नो एंट्री के बयान की मेधावियों ने भी आलोचना की थी। इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत में मेडल पाए छात्रों ने शाह के बयान को गलत मानसिकता का परिचायक बताया गया था। कहा गया कि कुलपति का बयान काफी खेदजनक है। लड़कियों पर तो वैसे ही समाज के कितने कानून हैं। किताबों के पास जाने से रोकने की बात कतई जायज नहीं है। 

स्मृति कार्तिकेय को ऐसे ही मानवाधिकार सक्रियता के कारण फरवरी 2014 में दक्षिण अफ्रीका के मैके हाएस में सम्मानित किया गया। दीक्षा द्विवेदी आज स्वीडिस संस्था की छात्रवृत्ति मानवाधिकार के लिए पा रही है और और दोनों मार्च 2015 में बर्लिन में आयोजित अंतराष्टीय सम्मेलन में भाग लेने जा रही है। दीक्षा द्विवेदी न्यायपालिका के सहारे समाजसेवा भी जुटी है। इन्होंने कौशांबी के दो विकास खंडों के 35 गांवों का सर्वेक्षण कर बच्चों के कुपोषण पर जारी रपट ने बाल पुष्टाहार योजना व आंगनबाडी योजना जैसी बच्चों को कुपोषण से दूर करने की योजनाओं की असलियत का भी चिठ्ठा खोलकर पूरे प्रदेश को चैका दिया था। इस रपट के आधार पर दीक्षा ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का काम किया था। दीक्षा पेंटिंग में डिप्लोमा के साथ-साथ 400 मीटर रिले दौड़ की धाविका व टेबिल टेनिस की खिलाड़ी भी रही है। इलाहाबाद विश्व विद्यालय की एक छात्रा को कैंपस के बाहर जब जलाने की कोशिश की गयी और पुलिस ने मामले में लीपापोती की तो उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर न सिर्फ छात्रा को न्याय दिलाया बल्कि सरकारी खर्चे पर इलाज भी करवाया। जौनपुर में तेजाब से जलाई गयी महिला को भी उन्होंने न्याय दिलाकर उसका घर बसवाया। इन दोनों की एक के बाद एक सफलता पर एचआरएलएन के कर्ताधर्ता एवं हाईकोर्ट के सिनियर अधिवक्ता केके राय ने प्रगति की कामना करते हुए बधाई दी है। 





(सुरेश गांधी)

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