पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 21 जुलाई 1993 को हुयी पुलिस गोलीबारी की जांच कर रहे न्यायमूर्ति सुशांत चटर्जी आयोग ने इस घटना को जालियांवाला बाग हत्याकांड से भी वीभत्स करार दिया है। न्यायमूर्ति .सेवानिवृत्त. सुशांत चटर्जी के आयोग ने आज अपनी रिपोर्ट राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्रा को साैंपी। रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस ने किसी किस्म के उकसावे के बगैर मैदान में एकत्रित निहत्थे लोगों पर गोलियां चलायीं।हालांकि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि पुलिस को गोलियां चलाने की अनुमति किसने दी।
इस गोलीबारी में कांग्रेस के 13 कार्यर्कता मारे गये थे। घटना के समय राज्य में वाम मोचर्े की सरकार थी। राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्ष 2011 में पद संभालने के कुछ ही दिनों के बाद इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये और घायलों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि सुश्री बनर्जी उस समय पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस की नेता थीं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस कार्यर्कताों ने मतदाता पहचान पत्र को मतदान के लिये जरूरी इकलौते दस्तावेज के तौर पर मान्यता देने की मांग को लेकर एक विशाल रैली निकाली थी। पुलिस ने रैली में शामिल लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसायीं थी।
आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और राज्य के तत्कालीन गृह सचिव मनीष गुप्ता समेत तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के कई सहयोगियों और करीबियों से पूछताछ की। श्री भट्टाचार्य ने पद से हटने के बाद इस हत्याकांड को उचित ठहराया था जबकि श्री गुप्ता ने आयोग के समक्ष कहा कि उन्होंने गोलीबारी को र्समथन नहीं दिया था।
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